कीमोथेरेपी क्या है ?

 कीमोथेरेपी क्या है:कैंसर के इलाज में होता है यह ट्रीटमेंट, कीमो कैसे काम करता है, जानें हर जरूरी सवाल का जवाब

हमारे शरीर में करीब 30 ट्रिलियन यानी 30 लाख करोड़ कोशिकाएं होती हैं। ये सभी एक निश्चित पैटर्न में नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और एक समय के बाद खुद ही नष्ट हो जाती हैं। जो कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, उनकी जगह नई और हेल्दी कोशिकाएं ले लेती हैं।

हेल्दी कोशिकाएं अपने आप पुरानी डेड हो चुकी कोशिकाओं को खाती रहती हैं और शरीर की सफाई करती रहती हैं। इतना ही नहीं, अगर कोई कोशिका अपना पैटर्न बदलने, शरीर को खराब करने का काम करे तो हेल्दी कोशिकाएं उसे भी खाकर खत्म कर देती हैं। यह हमारे शरीर की डिफेंस आर्मी हैं, जिनका काम है हर संभावित दुश्मन को मार गिराना और शरीर को हर हाल में स्वस्थ और जीवित रखना।

जब तक यह हेल्दी साइकल चल रहा है, समझिए कि हम स्वस्थ हैं।

कैंसर होने पर यह पैटर्न गड़बड़ा जाता है। असल में कैंसर होने पर कोशिकाओं का कंट्रोलिंग इफेक्ट खत्म हो जाता है। फिर ये अनियंत्रित तरीके से कई गुना तेजी से बढ़ने और डिवाइड होने लगती हैं। इनकी अनियंत्रित ग्रोथ ही ट्यूमर का रूप ले लेती है।

लगातार अनुसंधान और शोध के बावजूद अभी तक कैंसर के लिए बहुत कारगर और किफायती इलाज उपलब्ध नहीं है। अभी तक कैंसर के इलाज में सबसे कारगर थेरेपी कीमो ही है। इससे सेल्स की असामान्य ग्रोथ को रोका जा सकता है।

इसमें भी बड़ी मुश्किल ये है कि ज्यादातर कैंसर के मामले आखिरी स्टेज में पता चलते हैं। इसलिए कीमोथेरेपी के दौरान ही कई लोगों की मौत हो जाती है। कई लोग इसे ही मौत की वजह समझने लगते हैं। धीरे-धीरे लोगों के मन में कीमो को लेकर कई तरह के सवाल और डर पैदा हो गए हैं।

…….. कीमोथेरेपी की। साथ ही जानेंगे कि-

  • कीमोथेरेपी कैसे काम करती है?
  • हमारे शरीर पर इसका क्या असर होता है?
  • कीमोथेरेपी से पहले खुद को कैसे तैयार करें?

भारत में साल 2022 में कैंसर से 9.1 लाख लोगों की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, भारत में साल 2022 में कैंसर के कुल 14.1 लाख नए मामले सामने आए। इस साल कैंसर के कारण कुल 9.1 लाख लोगों की मौत हो गई।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च इन कैंसर (IARC) के मुताबिक भारत में 32 लाख से अधिक लोग ऐसे हैं, जो कैंसर के साथ 5 साल से अधिक समय तक जीवित हैं। इसका मतलब है कि इनका कैंसर शुरुआती स्टेज में डिटेक्ट हो गया। फिर सही समय पर कीमोथेरेपी या दूसरे इलाज मिल गए।

कीमोथेरेपी क्या है?

कीमोथेरेपी केमिकल ड्रग थेरेपी का एक आक्रामक रूप है, जो हमारे शरीर में तेजी से बढ़ रही सेल्स को खत्म करती है। आमतौर पर यह कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है क्योंकि कैंसर सेल्स अन्य कोशिकाओं की तुलना में तेजी से बढ़ती और डिवाइड होती हैं।

मरीज की हेल्थ कंडीशन और कैंसर की स्टेज के आधार पर यह तय होता है कि केवल कीमोथेरेपी दी जानी है या इसके साथ अन्य थेरेपीज जैसे, सर्जरी, रेडिएशन या हॉर्मोन थेरेपी की भी जरूरत है।

शुरुआती स्टेज में कैंसर को केवल कीमोथेरेपी से कवर किया जा सकता है, जबकि स्टेज बढ़ जाने पर इसे सर्जरी और रेडिएशन के साथ कंबाइंड करके दिया जाता है। यह सब कई और कंडीशंस पर भी निर्भर करता है। जैसे-

कीमोथेरेपी को सिस्टमेटिक ट्रीटमेंट कहते हैं, इसका मतलब है कि यह पूरे शरीर पर असर करता है।

दुनिया की कई स्टडीज में यह सिद्ध हो चुका है कि कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं पर प्रभावी ढंग से हमला करती है। हालांकि इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।

कीमोथेरेपी किस तरह असर करती है?

  • कैंसर होने पर हमारे शरीर के कैंसरस हिस्सों की सेल्स बिना कोई पैटर्न फॉलो किए अनियंत्रित तरीके से बढ़ने और डिवाइड होने लगती हैं। कीमो ड्रग इन कैंसरस सेल्स की अनियंत्रित ग्रोथ को रोकती है।
  • असल में कीमोथेरेपी कैंसरस सेल्स के विभाजन और प्रजनन करने की क्षमता को बाधित करती है। इसमें भी कई तरह की दवाएं होती हैं। इनका असर भी अलग-अलग होता है।
  • कीमोथेरेपी की अलग-अलग दवाएं कोशिकाओं की अलग-अलग लाइफ स्टेज में हमला करती हैं।
  • कुछ दवाएं पूरे शरीर में तेजी से विभाजित होने वाली कोशिकाओं पर हमला करती हैं। जबकि कुछ दवाएं केवल कैंसर कोशिकाओं के कुछ हिस्सों पर हमला कर सकती हैं।
  • कीमोथेरेपी में कई बार एक ही दवा इस्तेमाल होती है, जबकि कई बार डॉक्टर कई दवाओं का मिश्रण इस्तेमाल करते हैं।

कीमोथेरेपी किस तरह दी जाती है?

कीमोथेरेपी आमतौर पर गोलियों के रूप में, सीधे इंजेक्शन से या IV द्वारा नसों में दी जाती है। इसके अलावा पेशेंट की कंडीशन और जरूरत के मुताबिक कई अन्य तरीकों से भी कीमोथेरेपी दी जा सकती है।

  • ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में है, इसे देखते हुए कीमोथेरेपी सीधे ट्यूमर में दी जा सकती है। अगर ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी कराते हैं तो डॉक्टर धीमी गति से घुलने वाली डिस्क को इंप्लांट कर सकते हैं, जिससे समय-समय पर दवाएं निकलती रहती हैं।
  • अगर स्किन कैंसर है तो इसके इलाज में कीमोथेरेपी क्रीम से दी जा सकती है।
  • शरीर के जिस हिस्से में कैंसर है, उसे लोकेट करके दवा को सीधे उस हिस्से तक पहुंचाया जा सकता है। जैसे सीधे पेट, छाती, सेंट्रल नर्वस सिस्टम या यूरिनरी ब्लैडर में।
  • कुछ कीमोथेरेपी गोलियों के रूप में ली जा सकती है।
  • कुछ फ्लुइड कीमोथेरेपी दवाएं सिंगल शॉट में दी जा सकती हैं। जबकि कुछ दवाओं के लिए पोर्ट बना दिया जाता है, जहां हर बार इंजेक्शन लगाया जा सकता है।

कीमोथेरेपी से पहले खुद को कैसे तैयार करें?

सबसे पहले हमें यह समझना और स्वीकारना होगा कि कीमोथेरेपी एक गंभीर मेडिकल कंडीशन के लिए दिया जाने वाला उपचार है। इसलिए थेरेपी शुरू करने से पहले प्लान बनाना जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर और हॉस्पिटल स्टाफ की मदद ले सकते हैं। वे संभावित समस्याओं का अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं।

डॉक्टर संभावित समस्याओं का अंदाजा लगाने के लिए कुछ मेडिकल टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इनसे पता लगाया जा सकता है कि पेशेंट कीमोथेरेपी के लिए पर्याप्त स्वस्थ है या नहीं। आमतौर पर इसमें लिवर हेल्थ, हार्ट हेल्थ के लिए चेकअप होते हैं। जबकि कुछ डॉक्टर मेंटल हेल्थ चेक करने की भी सलाह दे सकते हैं।

अगर कोई मेडिकल कंडीशन है या कोई बीमारी है तो डॉक्टर कीमोथेरेपी से पहले उसके इलाज की सलाह दे सकते हैं क्योंकि इस दौरान पहले से मौजूद बीमारियों की कंडीशन बिगड़ सकती है।

कीमोथेरेपी से पहले काम आ सकते हैं ये टिप्स

वर्कलोड मैनेज करें: आमतौर पर लोग कीमोथेरेपी के दौरान अपने काम कर सकते हैं। इसके बावजूद हमें अधिक-से-अधिक आराम करके इसके दुष्प्रभाव कम करने की कोशिश करनी चाहिए। अपने ऊपर से काम का बोझ कम करना चाहिए।

कीमोथेरेपी से पहले घर को करें तैयार: कीमोथेरेपी से पहले खुद के साथ-साथ घर को भी तैयार करना होगा। घर की साफ-सफाई कर लें, कपड़े धुल लें, किराने का सामान जमा कर लें। यह सब इसलिए जरूरी है क्योंकि कीमो की दवाएं बहुत गंभीर असर कर सकती हैं।

अगर घर में पालतू जानवर या छोटे बच्चे हैं तो उनकी देखभाल के लिए किसी की मदद ले सकते हैं। इसके लिए घर के ही किसी सदस्य या दोस्त की मदद लेना बेहतर होगा।

साइड इफेक्ट्स का अनुमान लगाएं: कीमोथेरेपी से पहले अपने डॉक्टर से पूछें कि किस तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं और उसके मुताबिक ही योजनाएं बनाएं।

  • मान लीजिए, डॉक्टर कहते हैं कि कीमो की दवाओं से इनफर्टिलिटी हो सकती है और आप बच्चा कंसीव करना चाहते हैं तो स्पर्म, एग्स, या फर्टिलाइज्ड एंब्रियो को स्टोर और फ्रीज करवा सकते हैं।
  • आमतौर पर कीमोथेरेपी के दौरान बाल झड़ जाते हैं तो उसके लिए पहले ही हेड कवर, कैप या विग खरीद सकते हैं।

थेरेपी शुरू करने से पहले सपोर्ट ग्रुप जॉइन कर सकते हैं: हम जिस मेडिकल या फिजिकल कंडीशन से गुजर रहे हैं, अगर उस अवस्था को किसी से बता सकते हैं तो दिल हल्का हो जाता है, बेहतर महसूस होता है। चूंकि कीमोथेरेपी के दौरान शरीर और मन में कई परिवर्तन आते हैं तो इस समय परिवार और दोस्तों का साथ होना जरूरी है। अगर चाहें तो सपोर्ट ग्रुप जॉइन कर सकते हैं। यहां लोगों से अपनी बातें कहकर सुकून मिलेगा। यह आशावादी बने रहने में मदद करेगा। सपोर्ट ग्रुप ट्रीटमेंट के बारे में किसी तरह के डर या आशंका को शांत करने में भी मदद कर सकता है।

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