इन 75 सालों में देश को जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना आगे नहीं बढ़े: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि इन 75 वर्षों में​ जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना आगे नहीं बढ़े। देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे, उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़े।
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक (RSS) संघ प्रमुख ने दिल्ली में संत ईश्वर सम्मान 2021 कार्यक्रम को किया संबोधित
  • जय श्रीराम कहना चाहिए और श्रीराम जैसा बनना भी चाहिए- संघ प्रमुख मोहन भागवत
  • कार्यक्रम में समाज की निस्वार्थ भावना से सेवा करने वाले संगठनों और व्यक्तियों को सम्मानित किया गया

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि इन 75 वर्षों में​ जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना आगे नहीं बढ़े। देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे, उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़े। दिल्ली में संत ईश्वर सम्मान 2021 कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि दुनिया के सारे देश मिलाकर अब तक जितने महापुरुष हुए होंगे उतने हमारे देश में गत 200 वर्षों में हो गए। एक-एक का जीवन सर्वांगीण जीवन की राह उजागर करता है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज की नई पीढ़ी ताकतवर है। देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे। श्रीराम के चरित्र से सीख लेनी चाहिए। जय श्रीराम कहना चाहिए और श्रीराम जैसा बनना भी चाहिए।

मोहन भागवत ने कहा कि एक-एक का जीवन का महान है, जैसे हम जय श्रीराम कहते है कहना भी चाहिए लेकिन श्रीराम जैसा होना भी चाहिए। लेकिन हम तो कहते हैं कि वो तो भग्वान थे लेकिन भरत जैसे भाई को प्यार श्रीराम ही कर सकते हैं, हम तो नहीं करते। स्वामी विवेकानंद ने कहा- यहां बहुत तेजस्वी लोग आए आपना काम करके चले गए, किसी को पता नहीं चला उन्हें गुप्त योगी कहते हैं। मनुष्य के पास धर्म है। धर्म कहते ही सब पूजा देखने लगते हैं, पूजा तो धर्म का छोटा अंग है। यहां धर्म वो है जिसे मानव धर्म कहते हैं या हिंदू धर्म कहते हैं यानि हिंदुस्तान से निकले सभी धर्म, वो ये नहीं कहते इसकी पूजा करो या उसकी, मैंने ये किया मुझे मिला तुम भी करो तुम्हे भी मिलेगा।

संघ प्रमुख ने कहा कि धर्म के चार पैर हैं- एक सत्य, भौतिक सुख के पीछे भागोगे तो गढ्ढे में गिरोगे, ये भी सत्य है। दुसरा पैर है- करूणा, वैसे तो हर 5 साल बाद सेवा वाले करने वाले आते हैं और तीन चार महीने बाद गायब हो जाते हैं फिर 5 साल बाद उगते हैं ये खेल तो हम देखते ही हैं वो सेवा नहीं है, मजबूरी में काम करना सेवा नहीं है। मैं सेवा क्यों करता हूं क्योकिं मुझसे रहा नहीं जाता।

इस कार्यक्रम में समाज की निस्वार्थ भावना से सेवा करने वाले संगठनों और व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया। विज्ञान भवन में संत ईश्वर सम्मान समारोह-2021 का आयोजन किया गया। इसका आयोजन संत ईश्वर फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से किया गया। इस मौके पर कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं। संत ईश्वर सम्मान प्रति वर्ष ऐसे संगठनों एवं व्यक्तियों को दिया जाता है जो समाज की नजरों से दूर निस्वार्थ भाव से समाजसेवा का कार्य कर रहे हैं।

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