Justice to Nirbhaya: पूर्व कमिश्नर बोले- तफ्तीश में पहली बार अपराधियों के दांतों की हुई थी जांच

निर्भया कांड की जांच को अंजाम तक पहुंचाने वाले तत्कालीन पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने कहा कि यह मेरे कैरियर की सबसे कठिन जांच थी। पहली बार अपराधियों के दांतों की जांच भी की गई थी। कुमार ने कहा कि इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था और लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। ऐसे में फोर्स का मुखिया होने के कारण वह समय मेरे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था।

वैज्ञानिक ढंग से सबूत जुटाए : उन्होंने बताया कि हमने अपनी पूरी टीम के साथ बैठक कर इस मामले के वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने पर जोर दिया था। यही वैज्ञानिक साक्ष्य निर्भया के दरिंदों को फांसी की सुनाने में बेहद अहम साबित हुए और जिनका इस्तेमाल पहली बार किसी जघन्य मामले की जांच में किया गया। इनमें सबसे अहम और अनोखा था फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री।

फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री तकनीक का इस्तेमाल  
यह वैज्ञानिक साक्ष्य भारत में पहली बार अपराध के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए इस्तेमाल किया गया। दांतों के जरिए इंसान की पहचान करने के विज्ञान को फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री कहते हैं। दरअसल, निर्भया के शरीर पर दांत काटने के निशान थे। इन निशान को ही गुनहगारों के खिलाफ अहम सबूत बनाने की मुहिम तत्कालीन कमिश्नर के  दिमाग में आई। इसके बाद कर्नाटक के धारवाड़ के वैज्ञानिक डॉ. असित आचार्य से दांतों की फॉरेंसिक जांच कराई गई और इस जांच के बाद ही दांत व जबड़े की मदद से जुर्म को सुलझाने में अंतत: कामयाबी मिली।

विदेश से भी बयान लिए
नीरज कुमार ने यह भी बताया कि निर्भया कांड पहला ऐसा केस था, जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विदेश से गवाह के बयान दर्ज हुए। दरअसल निर्भया की मौत सिंगापुर के अस्पताल में हुई थी। इसलिए उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों के बयान वीडियो कान्फ्रेसिंग से लिए गए थे।

सभी ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया
मामले की जांच में शामिल ज्वाइंट कमिश्नर से लेकर सिपाही तक सभी ने अपना श्रेष्ठ दिया, जिससे आज गुनहगार फांसी के दरवाजे पर पहुंचे हैं।

तहकीकात के पांच अहम पड़ाव
1. मैटीरियल सबूत : मसलन एटीएम कार्ड, कपड़े, पर्स, जूते, मोबाइल, घड़ी जैसी तमाम चीजें।
2. फिजिकल सबूत: बस, जिसे मुजिरमों ने धो डाला था। उसमें फिंगर प्रिंट, ब्लड और बाल मिले।
3. तकनीकी परीक्षण: हर आरोपी के मोबाइल की लोकेशन पता की गई और एक-एक सेकेंड का सबूत मिला।
4. डीएनए : सजा के लिए हर आरोपी का बॉडी टू बॉडी डीएनए। लार से भी डीएनए लिया गया। नाखूनों के अंदर से लड़की की स्किन भी जुटाई गई।
5. फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री: पीड़िता के शरीर से दरिंदों के दांतों और जबड़े की नाप ली और डीएनए लिया गया। इनका अपराधी से मिलान।

 

छोटे से छोटे साक्ष्य को भी जमा किया
नीरज कुमार ने बताया कि घटना के बाद इलाके के ज्वाइंट सीपी विवेक गोगिया, डीसीपी छाया शर्मा और जांच से जुड़ी टीम के मुख्य सदस्यों के साथ पांच घंटे की बैठकी की। इस दौरान तय हुआ कि इस केस में ऐसे साक्ष्य एकत्र करने हैं, जो आगे भी दुष्कर्म की  केस के लिए मिसाल बने।

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