महिला दिवस पर …….पहल:स्कूल की किताबों में पुरुष सैनिक, महिलाएं नर्स ही क्यों? ……….. इस असमानता के खिलाफ

इसलिए, इस महिला दिवस पर भास्कर का सभी शिक्षा बोर्ड से आग्रह है कि वे महिलाओं की छवि के साथ हो रहे इस भेदभाव की स्थिति को बदलें। किताबों में महिला और पुरुषों को बराबरी और समानता के स्तर पर दिखाएं। स्वयं भास्कर समूह आज से पहल करते हुए यह सुनिश्चित करेगा कि अखबार के पन्नों में हर प्रतीकात्मक तस्वीर में महिला और पुरुषों का चित्रण समान हो। शब्दों और तस्वीरों के चयन में समानता दिखाई दे। आइए, हम सभी मिलकर समाज से असमानता का यह भेदभाव खत्म करें… इसकी शुरुआत भास्कर आज से ही करेगा।

महिलाएं आज से नहीं, सालों से इतिहास बना रही हैं…

डॉ. आनंदीबाई गोपालराव : पहली महिला डॉक्टर

किताबों में भले ही पुरुष डॉक्टर बने हों, लेकिन वेस्टर्न मेडिसिन में डॉ. आनंदीबाई गोपालराव ने पेंसिल्वेनिया से वर्ष 1886 में डिग्री ले ली थी। उन्होंने विरोध के बावजूद अमेरिका जाकर पढ़ाई की थी।
किताबों में भले ही पुरुष डॉक्टर बने हों, लेकिन वेस्टर्न मेडिसिन में डॉ. आनंदीबाई गोपालराव ने पेंसिल्वेनिया से वर्ष 1886 में डिग्री ले ली थी। उन्होंने विरोध के बावजूद अमेरिका जाकर पढ़ाई की थी।

किरण बेदी : पहली महिला IPS

किरण बेदी 1972 में देश की पहली महिला IPS बन गई थीं, फिर किताबों में सिर्फ पुरुष पुलिस या जवान क्यों दिखाए जाते हैं? 35 साल तक कई अहम जिम्मेदारियां निभाकर वे 2007 में रिटायर हुईं।
किरण बेदी 1972 में देश की पहली महिला IPS बन गई थीं, फिर किताबों में सिर्फ पुरुष पुलिस या जवान क्यों दिखाए जाते हैं? 35 साल तक कई अहम जिम्मेदारियां निभाकर वे 2007 में रिटायर हुईं।

अय्यालसोमायाजुला ललिता : पहली महिला इंजीनियर

एक रिसर्च के अनुसार सिर्फ छह फीसदी किताबों में ही महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। अगर स्कूल की किताबों में यह प्रतिनिधित्व बढ़ेगा तो बचपन से ही महिलाओं के प्रति समानता का भाव आएगा।

-डॉ. प्रेरणा कोहली, साइकोलॉजिस्ट

NCERT समय-समय पर जेंडर न्यूट्रल ऑडिट करता है। हालांकि, प्री-प्राइमरी के लिए विशेष किताबें नहीं सुझाई जातीं। प्रकाशकों और शिक्षकों को समानता बढ़ानी चाहिए।

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