केवल मौलिक अधिकारों की बात न करें, कर्तव्यों को भी जीवन में उतारें !

केवल मौलिक अधिकारों की बात न करें, कर्तव्यों को भी जीवन में उतारें
भारत में मौलिक अधिकारों की चर्चा हम करीब-करीब रोज सुनते हैं, लेकिन संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य भी हैं। हम संविधान के मौलिक अधिकारों को तो अपना अधिकार समझते हैं, लेकिन मौलिक कर्तव्यों को लेकर अनभिज्ञ हैं।

Independence Day 2024: The Importance Of Fundamental Rights And Duties

भारत में मौलिक अधिकारों की चर्चा हम करीब-करीब रोज सुनते हैं, लेकिन संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य भी हैं। हम संविधान के मौलिक अधिकारों को तो अपना अधिकार समझते हैं, लेकिन मौलिक कर्तव्यों को लेकर अनभिज्ञ हैं। हालांकि, मूल संविधान में कहीं मौलिक कर्तव्यों का जिक्र नहीं था, लेकिन आपातकाल के समय वर्ष 1976 में केंद्र सरकार ने संविधान में 42वां संशोधन कर 10 मौलिक कर्तव्य शामिल किए। साल 2002 में 11वां मौलिक कर्तव्य शामिल किया गया। आज जब हम देश का 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं तो मौलिक कर्तव्यों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है।

देश में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। इस समिति का मुख्य उद्देश्य आपातकाल के दौरान मौलिक कर्तव्यों और उनकी आवश्यकताओं की सिफारिश करना था। स्वर्ण सिंह समिति ने मौलिक कर्तव्यों के शीर्षक से संविधान में एक अलग अध्याय को शामिल करने की सिफारिश की, ताकि मौलिक अधिकारों का उपयोग करते हुए नागरिकों को उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया जाए।

सरकार ने संविधान में एक अलग अनुच्छेद 51ए शामिल किया, जिसमें 10 मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया। हालांकि, स्वर्ण सिंह समिति ने केवल आठ मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने की सिफारिश की थी, लेकिन 42वें संशोधन में सरकार ने 10 कर्तव्य शामिल किए। साल 2002 में 11वां मौलिक कर्तव्य संविधान में जोड़ा गया।

मौलिक कर्तव्यों को संविधान में शामिल करने के पांच दशक बाद भी देश के नागरिक इन्हें लेकर जागरूक नहीं हैं। वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में यह तथ्य सामने आया था कि सुप्रीम कोर्ट के वकीलों, जजों, सांसदों सहित देश के लगभग 99.9 प्रतिशत नागरिक संविधान के अनुच्छेद 51ए में वर्णित कर्तव्यों को पूरा नहीं करते हैं, क्योंकि उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं है।

ऐसे में सवाल उठता है कि यह कर्तव्य बनाए क्यों गए हैं? हालांकि, वर्ष 1998 में केंद्र सरकार ने वर्मा समिति का गठन किया, जिसका उद्देश्य प्रत्येक शिक्षण संस्थानों में मौलिक कर्तव्यों को लागू करने व सीखने के लिए नीति और कार्यप्रणाली तैयार करना था। वर्मा समिति ने अपनी जांच में पाया था कि मौलिक कर्तव्य इसलिए प्रचलित नहीं हो रहे हैं, क्योंकि इनके क्रियान्वयन की रणनीति कमजोर है।

वैसे, मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख हमारे धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। भगवद्गीता और रामायण में लोगों को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया गया है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को फल की अपेक्षा किए बिना अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कहते थे कि हमारे अधिकारों का सही स्रोत हमारे कर्तव्य होते हैं और यदि हम अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वाह करेंगे तो हमें अधिकार मांगने की आवश्यकता नहीं होगी।

भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों की अवधारणा को तत्कालीन सोवियत संघ के संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया था। हालांकि, कई अन्य देशों में जिम्मेदार नागरिकता के सिद्धांत को मूर्तरूप देकर स्वयं को विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने का कार्य किया गया है।

अमेरिका इसका सबसे नया उदाहरण है, जहां ‘सिटीजंस अल्मनाक’ नाम से दस्तावेज जारी किया जाता है, जिसमें नागरिकों के कर्तव्यों का विवरण होता है। सिंगापुर में नागरिकों द्वारा कर्तव्यों का पालन शुरू करने के बाद वहां विकास की गति तेज हो गई थी। 

Independence Day 2024: The Importance Of Fundamental Rights And Duties
Independence Day 2024 – फोटो : Istock
यदि हम भारत में अपने मौलिक अधिकारों की वकालत करते हैं तो हमें अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन भी करने की आवश्यकता है। वर्मा समिति की सिफारिश के अनुरूप सरकार को चाहिए कि प्रत्येक नागरिक को मौलिक कर्तव्यों की जानकारी देने के लिए रणनीति बनाई जाए। यदि देश का प्रत्येक नागरिक अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करेगा तो एक बड़ा बदलाव भारत में दिख सकता है। सही मायने में स्वतंत्रता दिवस मनाने का इससे अच्छा कोई और तरीका नहीं हो सकता।
संविधान में 6 मौलिक अधिकार
1. समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य
1. संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्र गान का आदर करना। 
2. स्वतंत्रता के लिये हमारे राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों का पालन करना। 
3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और उसकी रक्षा करना। 
4. देश की रक्षा करना और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करना। 
5. भारत के लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करना जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो। साथ ही ऐसी प्रथाओं का त्याग करना जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं। 
6. हमारी समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्त्व देना और संरक्षित करना। 
7. वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं सुधार करना और प्राणिमात्र के लिए दयाभाव रखना। 
8. मानवतावाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा ज्ञानार्जन एवं सुधार की भावना का विकास करना। 
9. सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना एवं हिंसा से दूर रहना। 
10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिये प्रयास करना ताकि राष्ट्र लगातार उच्च स्तर की उपलब्धि हासिल करे। 
11. 6 से 14 वर्ष तक के आयु के अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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