एमपी में 2 साल में 12 हजार बार बुलडोजर एक्शन ?

एमपी में 2 साल में 12 हजार बार बुलडोजर एक्शन
कमलनाथ ने किया ट्रायल, शिवराज ने स्पीड दी; मोहन भी इसी राह पर क्यों?

मध्यप्रदेश के छतरपुर में थाने पर पथराव के बाद शुरू हुए बुलडोजर एक्शन की चर्चा पूरे देश में है। इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है। कांग्रेस सवाल उठा रही है कि आखिर संविधान की शपथ लेने वाली सरकारों का ये कैसा न्याय है? दूसरी तरफ बीजेपी नेता ये कहकर बचाव कर रहे हैं कि कानून का जो उल्लंघन करेगा, कानून अपना रास्ता बनाएगा।

बुलडोजर एक्शन पर हो रही सियासत के बीच दैनिक भास्कर ने एक्सपर्ट से बात कर इस एक्शन के सामाजिक, आर्थिक, कानूनी और राजनीतिक पहलुओं के बारे में समझा। आखिर ये बुलडोजर एक्शन यूपी से होते हुए एमपी कैसे पहुंचा? संडे स्टोरी में बुलडोजर पॉलिटिक्स की पूरी पड़ताल….

पहले जानिए एमपी में कब शुरू हुआ बुलडोजर एक्शन

एमपी में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। उस समय बुलडोजर विकास का प्रतीक था। पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने पटवा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। मकसद राजधानी भोपाल की सड़कों को चौड़ा करना था। इसके बाद उन्हें बुलडोजर मंत्री कहा जाने लगा।

साल 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उन्होंने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ दिया। यूपी में अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की गई। इसके बाद यूपी के इस मॉडल को 2018 में मप्र की कमलनाथ सरकार ने अपनाया।

15 महीने के कार्यकाल में कमलनाथ सरकार ने माफिया के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल किया। जब एमपी में शिवराज सरकार की वापसी हुई तो बुलडोजर की स्पीड बढ़ गई। शिवराज ने कुछ ऐसे बयान दिए जिससे वे योगी आदित्यनाथ के ‘बुलडोजर बाबा’ की तरह ‘बुलडोजर मामा’ की छवि गढ़ते दिखे।

5 केस: दंगे हों या रेप…एक्शन के लिए बुलडोजर बुलाया

1.खरगोन दंगों के बाद मस्जिद की दुकानें ढहाई

मप्र में बुलडोजर से मकान और दुकानों को ढहाने की सबसे बड़ी कार्रवाई 10 अप्रैल 2022 को हुई थी। दरअसल, खरगोन में रामनवमी के जुलूस पर पथराव हुआ था उसके बाद शहर में दंगे भड़क गए। प्रशासन ने कर्फ्यू लगाते हुए दंगाईयों को गिरफ्तार किया। एक दिन बाद प्रशासन ने तालाब चौक स्थित मस्जिद की सभी दुकानों को अवैध बताकर तोड़ दिया। ये दावा किया गया कि इसी मस्जिद से दंगा भड़काने की साजिश रची गई थी। हालांकि, जिनकी दुकानें तोड़ी गई, उनका दावा है कि उनका दंगे से कोई लेना-देना नहीं था।

इन्हीं में शामिल जाहिद अली कहते हैं कि मेरा दंगे से कोई लेना-देना नहीं था। इसके बाद भी मेरे मकान और दुकान को तोड़ दिया। मुझे न तो मुआवजा मिला और न ही इंसाफ। खरगोन के ही सामाजिक कार्यकर्ता अल्ताफ आजाद इस दर्द को अपनी एक शायरी से व्यक्त करते हैं। कहते हैं- “लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, और तुम तरस नहीं खाते बुलडोजर चलाने में”।

2. मंडला में 11 गौ तस्करों के मकान ढहाए

14 जून 2024 को मंडला में नैनपुर के भैंसवाही गांव में 11 घरों से 150 से ज्यादा गोवंश के अवशेष मिले थे। अगले दिन पुलिस और प्रशासन की टीम ने सभी 11 आरोपियों के अवैध घरों को बुलडोजर चलाकर ढहा दिया। मौके पर खुद तत्कालीन एसपी रजत सकलेचा, एएसपी समेत 8 चौकियों का पुलिस बल तैनात था।

प्रशासन की ओर से बताया गया कि आरोपियों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध तरीके से गोवंश के अवशेष जैसे हड्‌डी, चर्बी आदि जमा कर रखे थे। पुलिस ने एक आरोपी वाहिद कुरैशी को उसी दिन और बाकियों को बाद में गिरफ्तार किया।

सभी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई भी की गई थी। गोवंश की तस्करी के चलते स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी थी। आज भी आरोपियों के मकान वहां नहीं बन पाए। प्रशासन ने सरकारी जमीन का हवाला देते हुए सभी को वहां से बेदखल कर दिया। आरोपी परिवार के लोग वहां से पलायन कर दूसरी जगह जा चुके हैं।

मंडला में 11 गौ तस्करों के मकान ढहाता प्रशासन। ये कार्रवाई इसी साल जून के महीने में की गई थी।
मंडला में 11 गौ तस्करों के मकान ढहाता प्रशासन। ये कार्रवाई इसी साल जून के महीने में की गई थी।

3. सीधी पेशाबकांड के आरोपी का मकान तोड़ा, ब्राह्मण नाराज हुए

4 जुलाई 2023 को सीधी के कुबरी गांव का रहने वाले बीजेपी नेता प्रवेश शुक्ला का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वह उसी गांव के आदिवासी युवक दशमत पर पेशाब करते हुए नजर आया था। विधानसभा चुनाव से पहले हुए वायरल वीडियो से प्रदेश की सियासत गर्मा गई।

राजनीतिक नुकसान की आशंका देख तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह खुद डैमेज कंट्रोल में जुटे। आरोपी को गिरफ्तार कराया। पीड़ित दशमत को सीएम हाउस बुलाकर उसके पैर धोकर सम्मानित किया। आर्थिक मदद दी। इसके बाद आरोपी प्रवेश शुक्ला के मकान को बुलडोजर से तोड़ दिया गया।

प्रशासन की इस कार्रवाई से ब्राह्मण समाज नाराज हो गया। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ की पहल पर समाज के लोगों ने चंदा एकत्र कर आरोपी परिवार को मकान बनवाने के लिए दिए। प्रवेश का तोड़ा गया मकान फिर से बन चुका है।

प्रवेश शुक्ला के पिता रमाकांत शुक्ला का कहना है कि मेरे साथ अन्याय हुआ है। मैंने जबलपुर हाईकोर्ट में दो याचिका लगाई है। वहीं से न्याय की उम्मीद है। मैंने मकान गिराए जाने के एवज में प्रशासन से क्षतिपूर्ति मांगी है।

4. महाकाल की सवारी पर थूकने के आरोपी के घर चला बुलडोजर

17 जुलाई 2023 को उज्जैन में महाकाल की सवारी के दौरान एक बिल्डिंग से तीन लड़कों ने थूका और कुल्ला कर‎ पानी फेंका था। सवारी में शामिल भैरवगढ़ निवासी सावन लोट ने देखा। इसका मोबाइल से वीडियो भी बनाया। ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने पर स्थानीय लोग भड़क गए।

वीडियो बनाने वाले सावन लोट की शिकायत पर खाराकुआं थाने में आरोपियों के खिलाफ धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और सद्भावना बिगाड़ने सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज हुआ। 19 जुलाई को उज्जैन नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने तीनों आरोपियों के घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया।

उज्जैन में पिछले साल थूक कांड के आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाया गया था।
उज्जैन में पिछले साल थूक कांड के आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाया गया था।

5. भाजपा कार्यकर्ता पर हमला करने वाले के घर बुलडोजर चला

मप्र में डॉ. मोहन यादव सरकार के गठन के बाद बुलडोजर एक्शन का ये पहला मामला था। दरअसल, 5 दिसंबर 2023 को भोपाल की जनता कॉलोनी में रहने वाले भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र सिंह पर जानलेवा हमला करते हुए इसी कॉलोनी के फारुख राइन, असलम, समीर शाहरुख और बिलाल ने हाथ का पंजा काट दिया था।

घटना के बाद सभी गिरफ्तार हुए और 14 दिसंबर को पुलिस, प्रशासन और नगर निगम के अमले ने सभी आरोपियों के घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया। मुख्य आरोपी फारुख राइन पर एनएसए की कार्रवाई की गई।

9 महीने बाद भी दो आरोपी जेल में, एक का मकान अब भी टूटे हालत में

जनता कॉलोनी में 9 महीने बाद दैनिक भास्कर आरोपी बने परिवारों के बीच पहुंचा। इस केस के पांच आरोपियों में दो सगे भाई फारुख और शाहरुख अब भी जेल में हैं। जबकि समीर, असलम और बिलाल जमानत पर छूट चुके हैं। बिलाल और असलम के तोड़े गए घर की मरम्मत परिवार के लोगों ने करा दी है, लेकिन शाहरुख के घर का टूटा हिस्सा ज्यों का त्यों पड़ा है।

जमानत पर बाहर आए बिलाल का कहना है कि मैं केवल बीच बचाव करने गया था। पुलिस मुझे सोते हुए घर से उठाकर ले गई। बिलाल एक निजी अस्पताल के ब्लड बैंक में काम करता था इस घटना के बाद उसकी नौकरी चली गई। बिलाल ने कहा मेरी लाइफ खराब हो गई। यदि मैं गलत भी होता तो क्या पूरे परिवार को सजा देना था। मकान किसी का अकेला नहीं होता, इसमें पूरा परिवार रहता है।

बुलडोजर एक्शन के सामाजिक, आर्थिक, कानूनी और राजनीतिक पहलू क्या है

सामाजिक पहलू : सरकार का ये एक्शन कानून से ज्यादा जनभावनाओं पर आधारित है और इसके जरिए सिस्टम अपनी ताकत दिखाकर मैसेज भी दे देता है। संबंधित व्यक्ति को लगता है कि सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी सीधे चोट पहुंचाई गई है।

क पहलू: छतरपुर में हाजी शहजाद अली की 20 करोड़ की हवेली हो या फिर कोई और कार्रवाई। मकान तोड़ने के पीछे प्रशासन की मंशा होती है कि ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति को कमजोर किया जाए। मगर इसकी चपेट में कभी-कभी ऐसे लोग भी आ जाते हैं जिनका ऐसे मामलों से लेना-देना नहीं होता।

राजनीतिक पहलू: बुलडोजर एक्शन को राजनीति अपने-अपने चश्मे से देखती है। बीजेपी समर्थित नेता इसे कानून के राज के लिए जरूरी बताते हैं। जबकि दूसरा धड़ा, इस एक्शन को संविधान के खिलाफ बताता है। उनका तर्क है कि सरकार का ऐसा एक्शन न्याय व्यवस्था के खिलाफ है।

कानूनी पहलू: प्रशासन मकान तोड़ने की कार्रवाई करता है तो दलील दी जाती है कि उस शख्स ने अवैध तरीके से निर्माण किया था। सवाल अक्सर ये उठता है कि जब निर्माण होता है तब अधिकारी जांच क्यों नहीं करते। समय रहते एक्शन न लेने वाले अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती।

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