भोपाल . … बीडीए में बाबूराज…मलाईदार प्रभार भी इन्हीं के पास ?

बढ़ता जांच का दायरा:बीडीए में बाबूराज… यहां डिप्टी कलेक्टर के बाद बाबू ही बचे हैं, मलाईदार प्रभार भी इन्हीं के पास
भोपाल …..पुलिस का सवाल: 6 महीने में कितने प्रकरण हल हुए

रिश्वत लेते ट्रैप हुए दास की बेनामी संपत्ति के इनपुट …

भोपाल डेवलपमेंट अथॉरिटी (बीडीए) के बाबू तारकचंद दास की अकूत संपत्ति की जांच के बीच यहां का ’बाबूराज’भी लोकायुक्त की जांच के दायरे में शामिल होने जा रहा है। क्योंकि एजेंसी को पता चला है कि यहां राजस्व, अतिक्रमण जैसे अन्य मलाईदार प्रभार भी बाबुओं के पास ही हैं। 24 साल से यहां कोई नई भर्ती नहीं हुई। इसलिए डिप्टी कलेक्टर के बाद बाबू ही बचे हैं। बीडीए में सीईओ से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक 271 अधिकारी-कर्मचारियों की सेंक्शन स्ट्रेंथ है। फिलहाल 60 अधिकारी-कर्मचारी बचे हैं और इनकी भी औसत आयु 57 वर्ष हो चुकी है।

यानी अगले दो साल में 50% कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। पुराने कर्मचारियों को आईटी से जुड़ी तकनीकी जानकारी कम है, इसलिए यहां ऑनलाइन सिस्टम भी डेवलप नहीं होने दिया जा रहा है। सेंक्शन पदों में यहां एडिशनल सीईओ, प्रशासकीय अधिकारी, अतिक्रमण प्रभारी, राजस्व प्रभारी, रेवेन्यू इंस्पेक्टर, तहसीलदार जैसे पद हैं, जो खाली हैं।

…तो आय से अधिक संपत्ति की धारा जुड़ेगी

एसपी लोकायुक्त मनु व्यास ने बताया कि दास की प्रॉपर्टी की सर्च के दौरान बहुत सी संपत्तियों की जानकारी मिली है। मंगलवार को इन संपत्तियों की इन्वेंट्री बनाई जाएगी। इसके बाद बाबू को अब तक मिली तनख्वाह की जानकारी लेंगे। इन दोनों आंकड़ों की तुलना की जाएगी। यदि बाबू को मिली तनख्वाह, उसके खर्च से कम मिली तो इस मामले में आय से अधिक संपत्ति की धारा भी बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल ये मामला रिश्वत लेते ट्रैप होने का है।

पुलिस का सवाल: 6 महीने में कितने प्रकरण हल हुए

लीज रिन्यू के नाम पर 40 हजार की रिश्वत लेते तीन दिन पहले ट्रैप हुए तारकचंद दास की बेनामी संपत्तियों का भी लोकायुक्त पुलिस ब्योरा जुटा रही है। जांच अधिकारी नीलम पटवा का कहना है कि दास को बीते 6 महीने में राजस्व शाखा से जुड़े कितने प्रकरण सौंपे गए और उनमें क्या निराकरण हुआ? इस संबंध में सीईओ बीडीए से जानकारी मांगी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि बीडीए में चल रहे बाबूराज में राजस्व से जुड़े 400 से ज्यादा प्रकरण ऐसे हैं, जिनका 6 महीने से निराकरण नहीं हुआ।

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