आज के समय में टीनएजर्स होना आसान नहीं!

 आज के समय में टीनएजर्स होना आसान नहीं! ये बात कितनी सही है?
पेरेंट्स और टीनएजर्स दोनों मानते हैं कि आज टीनएजर होना मुश्किल है, लेकिन वे अलग-अलग कारण बताते हैं. पेरेंट्स ज्यादातर तकनीक को दोष देते हैं, जबकि टीनएजर्स दबाव और ज्यादा उम्मीद करने को दोष देते हैं.

क्या आपने कभी सोचा है कि आज के समय में टीनएजर्स होना पहले से मुश्किल है या आसान है? इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय है. ज्यादातर लोग कहते हैं कि आज टीनएजर्स होना मुश्किल है. लेकिन टीनएजर्स को पता नहीं होता है कि यह आसान है या मुश्किल.

Pew रिसर्च में 13 से 17 उम्र के टीनएजर्स के 1453 अमेरिकी पेरेंट्स से यह सवाल पूछा गया था कि 20 साल पहले की तुलना में क्या आज टीनएजर्स होना मुश्किल है, आसान है या लगभग वैसा ही है? रिसर्च रिपोर्ट में 69 फीसदी पेरेंट्स ने मुश्किल बताया. बहुत कम लोग कहते हैं कि यह अब आसान है या लगभग वैसा ही है.

आखिर क्यों टीनएजर्स का जीवन हो गया मुश्किल?
सर्वे में ज्यादातर पेरेंट्स ने टैक्नोलॉजी और सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराया है जो टीनएजर्स का जीवन मुश्किल बनाते हैं. जो पेरेंट्स कहते हैं कि आज टीनएजर्स होना मुश्किल है, उनमें से लगभग दो-तिहाई लोग किसी तरह की तकनीक का नाम लेते हैं. जैसे वीडियो गेम या टीवी. 41% लोग खास तौर से सोशल मीडिया का नाम लेते हैं. पेरेंट्स सोशल मीडिया से लगातार जुड़े रहने के नुकसान का भी जिक्र करते हैं.

अमेरिकी पेरेंट्स का मानना है कि सोशल मीडिया टीनएजर्स के लिए बहुत बुरा है. एक पिता ने सर्वे के दौरान कहा, “सोशल मीडिया समाज के लिए एक अभिशाप है, खासकर टीनएजर्स के लिए. वे सामाजिक दबाव के कारण इससे बच नहीं सकते हैं जिससे अत्यधिक तनाव पैदा होता है.” वहीं एक मां ने कहा, “बच्चों को सोशल मीडिया के आधार पर क्या सोचना और कैसा महसूस करना है, यह बताया जा रहा है.”

तकनीक और सोशल मीडिया के अलावा क्या जिम्मेदार
16% कहते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि उनपर दबाव है या ज्यादा उम्मीदें हैं. इनमें टीनएजर्स को ऐसा महसूस करना शामिल है कि उन्हें एक निश्चित तरीके से दिखना या कार्य करना होगा या एक निश्चित स्तर पर प्रदर्शन करना होगा. 

एक हिस्सा (15%) कहता है कि टीनएजर्स का जीवन कठिन है क्योंकि देश या दुनिया राजनीतिक मुद्दों या नैतिकता और मूल्यों में बदलाव के कारण स्थिति खराब हो गई है. उदाहरण के लिए, ऐसे पेरेंट्स् हिंसा, ड्रग्स, बदमाशी या तानाशाही का जिक्र करते हैं.

पेरेंट्स् का मानना है कि आज के समय में टीनएजर्स को ज्यादा दबाव का सामना करना पड़ता है और समाज में भी कई बुरी चीजें देखने को मिलती हैं. एक टीनएजर्स की मदर ने कहा, “खेल और पढ़ाई में कंप्टीशन अब पहले से ज्यादा है और मानक भी बहुत ऊंचा हो गया है. यह अब उतना सरल नहीं है.” दूसरे टीनएजर्स की मदर ने सर्वे में कहा, “अब मूल्यों, सिद्धांतों, अच्छे रीति-रिवाज और अच्छे व्यवहार को बनाए रखना ज्यादा कठिन है, क्योंकि कुछ स्कूलों और पब्लिक प्लेस पर कई बुरे लोग हैं.”

आज के समय में टीनएजर्स होना आसान नहीं! ये बात कितनी सही है?

कुछ पेरेंट्स टीनएजर्स का जीवन आसान भी मानते हैं?
सर्वे में 13 से 17 साल के टीनएजर्स के 15 फीसदी पेरेंट्स ने कहा कि आज टीनएजर्स का जीवन पहले से आसान है. हालांकि बहुत कम पेरेंट्स कहते हैं कि आज टीनएजर्स का जीवन आसान है, जो ऐसा कहते हैं वे तकनीक की ओर इशारा करते हैं. सबसे ज्यादा 47 फीसदी पेरेंट्स ने टीनएजर्स का जीवन आसान होने की वजह टेक्नोलॉजी को बताया है. क्योंकि आजकल के टीनएजर्स के पास तकनीक की कमी नहीं है. चाहे स्मार्टफोन हो, वीडियो गेम्स हों या फिर ये नया AI जो सब कुछ बना देता है. ये सब तकनीक टीनएजर्स के पास है.

अब ज्यादातर पेरेंट्स तो ये नहीं मानते कि आजकल टीनएजर्स की जिंदगी आसान हो गई है, लेकिन जो पेरेंट्स ये मानते हैं कि अब टीनएजर्स की लाइफ आसान हो गई है, उनमें से करीब 60% का कहना है कि इसकी वजह तकनीक है. कुछ तो सीधे-सीधे किसी खास तकनीक का नाम लेते हैं. जैसे 14% लोग इंटरनेट की बात करते हैं. 8% लोग कहते हैं कि स्मार्टफोन की वजह से जिंदगी आसान हुई है और 3% लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया ने टीनेजर्स की जिंदगी आसान कर दी है.

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो टेक्नोलॉजी के अलावा दूसरी चीजों की बात करते हैं. जैसे 18% पेरेंट्स मानते हैं कि आजकल टीनएजर्स की जिंदगी आसान हो गई है, वो कहते हैं कि पहले के मुकाबले अब टीनएजर्स पर कम दबाव और कम उम्मीदें हैं. हर दस में से एक पेरेंट्स का कहना है कि अब टीनएजर्स के पास ज्यादा संसाधन और जानकारी है इसलिए उनकी जिंदगी आसान हो गई है.

मतलब, सिर्फ टेक्नोलॉजी ही नहीं बल्कि कई और वजहें भी हैं जिनकी वजह से कुछ पेरेंट्स सोचते हैं कि आजकल के टीनएजर्स की लाइफ पहले से ज्यादा आसान है.

अब जानिए टीनएजर्स क्या सोचते हैं?
सर्वे से पता चला है कि 13 से 17 साल के 44 फीसदी अमेरिकी टीनएजर्स को भी लगता है कि उनकी जिंदगी पहले के टीनएजर्स से ज्यादा मुश्किल है. इसके दो बड़े कारण पता चले हैं. पहला आजकल के टीनएजर्स पर हर तरफ से दबाव है. जैसे पढ़ाई का, अच्छा दिखने का, सफल होने का. उन्हें लगता है कि उनसे बहुत उम्मीदें की जाती हैं. 

दूसरा कारण है सोशल मीडिया. आजकल लगभग सभी टीनएजर्स फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नेपचैट का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन वह ये भी मानते हैं कि इन्हीं की वजह से उनकी जिंदगी मुश्किल हो गई है.

आज के समय में टीनएजर्स होना आसान नहीं! ये बात कितनी सही है?

टीनएजर्स की मुश्किल लाइफ के लिए क्या-क्या चीजें जिम्मेदार? 
टीनएजर्स अपनी मुश्किल लाइफ के लिए सिर्फ टेक्नोलॉजी को दोष नहीं देते है. उनके लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है उन पर बढ़ता दबाव और बदलती दुनिया की चुनौतियां. अपनी लाइफ मुश्किल बताने वालों में से 25% सीधे-सीधे सोशल मीडिया का नाम लेते हैं. कुछ बच्चे तो बस आम तौर पर सोशल मीडिया की बात करते हैं. लेकिन कुछ इससे जुड़ी बुरी चीजों का जिक्र करते हैं. जैसे: सोशल मीडिया पर अच्छा दिखने का दबाव और दूसरों से बुरा बर्ताव या टकराव होना.
 
बहुत कम लोग इंटरनेट या स्मार्टफोन को इसकी वजह बताते हैं. सिर्फ 6% लोग इंटरनेट और 3% स्मार्टफोन का नाम लेते हैं. करीब 11% लोग आम तौर पर टेक्नोलॉजी की बात करते हैं या फिर किसी और तरह की टेक्नोलॉजी का जिक्र करते हैं. लेकिन ज्यादातर टीनेजर्स ऐसी वजहें बताते हैं जिनका टेक्नोलॉजी से कोई सीधा लेना-देना नहीं है.

फिर 15% लोग कहते हैं कि दुनिया पहले से खराब हो गई है. वो राजनीतिक मुद्दों की बात करते हैं या कहते हैं कि लोग बदल गए हैं या फिर देश किसी तरह से पतन की ओर जा रहा है.

कुछ टीनएजर्स क्यों मानते हैं उनका जीवान आसान है?
कुछ टीनएजर्स को लगता है कि आजकल की जिंदगी पहले से आसान है. 60% कहते हैं कि टेक्नोलॉजी की वजह से जिंदगी आसान हो गई है. 14% इंटरनेट की तारीफ करते हैं. 12% फोन को जिंदगी आसान करने वाला मानते हैं. सिर्फ 3% सोशल मीडिया का नाम लेते हैं. बाकी 46% या तो आम तौर पर टेक्नोलॉजी की बात करते हैं या फिर किसी खास तकनीक का नाम लेते हैं. 14% टीनएजर्स कहते हैं कि अब उन पर पहले जैसा दबाव नहीं है, न ही उनसे ज्यादा उम्मीदें की जाती हैं.

लेकिन ध्यान रहे, ज्यादातर टीनएजर्स को नहीं लगता कि उनकी जिंदगी पहले से आसान हुई है. ऐसे सिर्फ 12 फीसदी ही हैं. तो मतलब ये हुआ कि जो थोड़े से बच्चे मानते हैं कि जिंदगी आसान हुई है, उनमें से ज्यादातर इसका श्रेय टेक्नोलॉजी को देते हैं. वो कहते हैं कि टेक्नोलॉजी ने उनकी जिंदगी के कई पहलुओं को बेहतर बना दिया है.

पेरेंट्स और टीनएजर्स की सोच में कितनी समानता?
यह सर्वे बताता है कि पेरेंट्स और टीनएजर्स की सोच काफी अलग है. दोनों को लगता है कि आजकल टीनएजर्स की जिंदगी पहले से ज्यादा मुश्किल है, लेकिन वजहें बताने में फर्क है. टेक्नोलॉजी के लिए 65% पेरेंट्स कहते हैं कि तकनीक की वजह से जिंदगी मुश्किल हुई है. लेकिन सिर्फ 39% टीनएजर्स इससे सहमत हैं. ऐसे ही सोशल मीडिया के मामले में तो और बड़ा फर्क है. 41% पेरेंट्स इसे जिम्मेदार मानते हैं, जबकि सिर्फ 25% टीनएजर्स.

वहीं 31% टीनएजर्स कहते हैं कि उन पर बहुत दबाव है और उनसे बहुत उम्मीदें की जाती हैं. लेकिन सिर्फ 16% मां-बाप इसे बड़ी समस्या मानते हैं. हालांकि 15% मां-बाप और टीनएजर्स दोनों मानते हैं कि दुनिया पहले से खराब हो गई है. 8% दोनों में से हिंसा और नशे को बड़ी समस्या मानते हैं.

तो मतलब ये कि पेरेंट्स टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया को बड़ी समस्या मानते हैं, जबकि टीनएजर्स को लगता है कि उन पर बहुत ज्यादा दबाव है. लेकिन दोनों इस बात पर सहमत हैं कि दुनिया पहले जैसी नहीं रही और जो लोग सोचते हैं कि जिंदगी आसान हुई है, वो दोनों तरफ से टेक्नोलॉजी को इसका श्रेय देते हैं.

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