वाराणसी : IIT-BHU गैंगरेप पीड़ित से … वकील के सवाल ! हाईकोर्ट से जमानत; घर पर माला पहनाकर हुआ स्वागत
IIT-BHU गैंगरेप पीड़ित से आरोपियों के वकील के सवाल
कितनी देर वारदात हुई, कितने लोगों ने पकड़ा, भागीं कैसे; छात्रा पहले सहमी, फिर जवाब दिए
जगह : वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट रूम …
मसला : IIT BHU गैंगरेप केस में जिरह
‘पुलिस ने केस दर्ज किया। मेरे साथ घटनास्थल का मुआयना किया। मेरे बयान दर्ज किए। मेरे साथ जो कुछ हुआ, अंधेरे में हुआ। फिर भी 2 आरोपियों की पहचान कर ली। मगर अब तक मुझे केस का कोई अपडेट नहीं दिया गया। मुझे लगता है, पुलिस कार्रवाई ठीक से नहीं हुई।’
यह बयान IIT-BHU गैंगरेप पीड़ित ने वाराणसी कोर्ट रूम में उस समय दिया, जब आरोपियों के वकील उससे सवाल-जवाब कर रहे थे। ADGC (सरकारी वकील) मनोज गुप्ता की मौजूदगी में घटना की शुरुआत से गिरफ्तारी तक 25 से ज्यादा सवाल पीड़ित छात्रा से पूछे गए।
आरोपियों के वकील ने पूछा कि तुम्हारे साथ कितनी देर वारदात हुई, तुम्हें पीछे से कितने लोगों ने पकड़ा…3 लोग थे तो तुम भाग कैसे पाई? पीड़ित छात्रा कई सवालों को सुनकर असहज हुई, मगर फिर खुद को संभालकर सारे जवाब दिए।
अब सिलसिलेवार पढ़िए कोर्ट रूम के सवाल-जवाब…
सवाल: आप कोर्ट को पूरा घटनाक्रम बताइए, वारदात की रात कब हॉस्टल से बाहर आईं?
छात्रा: 2 नवंबर की रात 1.30 बजे टहलने के लिए हॉस्टल के बाहर निकली थी। गांधी स्मृति छात्र निवास चौराहे पर दोस्त मिल गया। साथ में टहलते हुए हम कर्मन बाबा मंदिर के आगे तक पहुंच गए। मंदिर के पास पीछे से एक रायल एनफील्ड बुलेट-350 पास आकर रुकी, जिस पर तीन लोग सवार थे।
इनमें एक लड़का जो मोटा-लंबा था, उसने भागकर पीछे से मेरा मुंह दबा लिया। दूसरे लड़के ने मेरे दोस्त को पकड़ लिया। उसे दूसरे छोर पर ले गया। इसके बाद मुंह दबाए युवक ने दरिंदगी शुरू कर दी। मेरा मुंह दबाते हुए मेरे प्राइवेट पार्ट को छुआ और फिर उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। उनके मांगने पर मैंने अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया। इसके बाद तीनों भाग निकले।
सवाल: घटना के बाद आप सबसे पहले कहां पहुंचीं?
छात्रा: सबसे पहले भागकर मैं एक प्रोफेसर के घर के कंपाउंड में जाकर छिप गई। दरवाजा खटखटाया और उनसे हॉस्टल तक छोड़ने के लिए मदद मांगी। IIT कैंपस में मौजूद रहने वाले सिक्योरिटी के लोग भी पहुंच गए। तब मैं हॉस्टल पहुंच सकी।
सवाल: अगर आपके सामने वो तीनों फिर आएं, तो क्या उन्हें पहचान लेगीं?
छात्रा: मैंने तीनों आरोपियों को देखा, लेकिन उनमें से 2 लड़कों को देखकर पहचान लूंगी। तीसरे लड़के को ठीक से देख नहीं पाई, क्योंकि वह मेरे दोस्त को खींचकर दूसरी ओर ले गया था। तीनों आरोपियों में से एक मोटा, दूसरा पतला और तीसरा मीडियम हाइट का था।
सवाल: क्या आपका दोस्त तीनों लड़कों को जानता है?
छात्रा: मेरा दोस्त प्रॉक्टर के पास भी गया था, जहां उसने बताया कि वह तीनों लड़कों को नहीं जानता।
सवाल: क्या वो लोग आपकी तस्वीर और वीडियो बना रहे थे?
छात्रा: मेरे साथ दुष्कर्म हुआ। तीनों आरोपियों ने अपना कुकृत्य मोबाइल में कैद किया। उसे लैपटॉप समेत अन्य डिवाइस में ट्रांसफर किया होगा। अदालत इनके सभी गैजेट्स में मिले मेरे फोटो-वीडियो सुरक्षित करवाए, ताकि ये किसी को न मिलें।
सवाल: क्या आपके कैंपस में CCTV लगे हैं?
छात्रा: कैंपस में CCTV लगे हुए हैं, हॉस्टल के भी कई हिस्सों में कैमरे हैं। लेकिन, मेरे साथ जिस जगह घटना हुई, वहां पर कोई कैमरा नहीं लगा था।
सवाल: क्या आपने उन युवकों को आपस में कोई बात करते सुना?
छात्रा: दोनों आपस में ज्यादा बात नहीं कर रहे थे, इशारे कर रहे थे। फिर जोर-जोर से हंस रहे थे। आरोपियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए।
(यह सारी बातचीत 22 अगस्त, 2024 को कोर्ट में हुई। जब छात्रा को पहली बार वहां लाया गया था।)
छात्रा ने कहा- मेरे साथ सब अंधेरे में हुआ, फिर भी 2 को पहचान लिया
छात्रा ने कहा- 4 नवंबर को ACP प्रवीण कुमार सिंह ने अपने मोबाइल में संदिग्धों के फोटो दिखाए थे। मुझे बताया कि सोशल मीडिया और सर्विलांस लोकेशन के जरिए ये फोटो कलेक्ट किए हैं। मेरे साथ जो कुछ हुआ, वो रात के अंधेरे में हुआ था। मगर फिर भी मैंने दो और मेरे दोस्त ने एक आरोपी को पहचान लिया था। जब मैंने आरोपियों की पहचान स्पष्ट की, तब पुलिस उनकी तलाश में जुटी थी।
फोरेंसिक टीम ने तैयार की जांच रिपोर्ट
वारदात के दौरान आरोपियों ने छात्रा का वीडियो बनाया था। यह वीडियो जिस आरोपी के मोबाइल से शूट हुआ था, उस फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। इनके सभी गैजेट्स की जांच करने वाली फोरेंसिक टीम ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की है।
उधर, वारदात के बाद तीनों आरोपियों ने किस-किस से बात की? किस-किस के संपर्क में रहे? यह पता करने के लिए वाराणसी पुलिस ने तीनों की कॉल डिटेल निकलवाई है। तीनों आरोपी एक ही कंपनी का मोबाइल नंबर इस्तेमाल करते थे। पुलिस ने चार्जशीट में आरोपियों के मोबाइल लोकेशन और CCTV फुटेज को बतौर साक्ष्य शामिल किया है।
घटना के बाद 8वें दिन केस में गैंगरेप की धारा बढ़ाई
वारदात के बाद 5 नवंबर यानी चौथे दिन पीड़ित के साथ पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। 8वें दिन (9 नवंबर को) पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने गैंगरेप की धारा यानी 376 (डी) बढ़ाई थी।
शुरुआती FIR के मुताबिक, बुलेट से आए तीन लड़कों ने गन पॉइंट पर छात्रा के कपड़े उतरवाए और वीडियो बनाया। तब धारा 354 (बी) यानी कपड़े उतरवाना और 509 धमकी देने की धारा में केस दर्ज हुआ था।
2 नवंबर को छात्रा का बयान पुलिस ने दर्ज किया था। इसके बाद 5 नवंबर को मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता के बयान हुए। 2 बार मेडिकल कराया गया, तब केस में गैंगरेप की धारा जोड़ी गई।
आरोपियों के खिलाफ अब तक 2 चार्जशीट दाखिल
इस केस में आरोपी सक्षम, अभिषेक चौहान और कुणाल पांडे के खिलाफ पुलिस ने अब तक 2 चार्जशीट दाखिल की हैं। इसमें पहली चार्जशीट 17 जनवरी को कोर्ट में पेश की गई, जिसमें आरोपियों के खिलाफ 376 (डी) समेत अन्य धाराएं शामिल की गईं। केस में कार्रवाई के बीच पुलिस ने तीनों आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया, जिसमें भी अगले सप्ताह ही चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
पुलिस ने आनंद चौहान उर्फ अभिषेक को गैंग लीडर बताया है। वहीं, कुणाल और सक्षम उसके गिरोह के सदस्य बताए गए हैं। इसमें पुलिस ने आनंद उर्फ अभिषेक और उसके परिजन के खिलाफ 29 जून, 2022 को भेलूपुर थाने में छेड़खानी के मुकदमे का जिक्र किया है।
पकड़ने में लगे थे 60 दिन, मध्यप्रदेश में छिपे थे आरोपी
वारदात को अंजाम देकर तीनों आरोपी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कैंपेनिंग के लिए चले गए थे। 55 दिन तक वहीं छिपे रहे। पुलिस पड़ताल में लगी थी। तीनों के वाराणसी आते ही पुलिस एक्टिव हुई और 60 दिन बाद उन्हें पकड़ सकी।
सूत्रों का कहना है कि आरोपियों के सत्तादल में पदाधिकारी होना भी गिरफ्तारी में लेट-लतीफी का कारण था। पुलिस ने कैंपस और कैंपस के बाहर कुल 225 CCTV फुटेज की जांच की थी। स्पेशल टास्क फोर्स (STF), क्राइम ब्रांच और सर्विलांस सहित कुल 6 टीमों को तलाश में लगाया गया था।
पुलिस ने कोर्ट में तीनों को बताया था पेशेवर अपराधी
तीनों आरोपी आनंद, कुणाल और सक्षम को घटना के 60 दिन बाद 30 दिसंबर, 2023 को गिरफ्तार किया गया था। 31 दिसंबर, 2023 से तीनों आरोपी जिला जेल में बंद थे। उन्हें जघन्य वारदात में शामिल आरोपियों की बैरक में रखा गया था।
पुलिस चार्जशीट में तीनों आरोपियों के रूट चार्ट, CCTV फुटेज, मोबाइल लोकेशन को आधार बनाया था। इसके साथ ही पीड़ित छात्रा, उसके दोस्त और एक गार्ड के बयान को भी आधार बनाया। वॉट्सऐप चैट को भी कोर्ट में पेश कर जब्त बुलेट का भी जिक्र किया गया। कोर्ट में पुलिस ने बताया कि तीनों पेशेवर अपराधी हैं, जनता के बीच तीनों को जाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
आरोपी 8 महीने में जेल के बाहर
30 दिसंबर 2023 को अरेस्ट हुए 3 में से 2 आरोपी 24 और 29 अगस्त को जेल से बाहर आ गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और 4 जुलाई को कुणाल पांडेय को जमानत दी। वाराणसी जिला जेल से कुणाल की 24 और आनंद की 29 अगस्त को रिहाई हुई। जमानत की शर्तें पूरा करने में आरोपियों को करीब 2 महीने का समय लग गया।
तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत अर्जी पर 16 सितंबर को सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है। जहां तीनों आरोपियों की जमानत अर्जी 2 बार खारिज हो चुकी है।
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IIT-BHU गैंगरेप के आरोपियों को कैसे मिली जमानत
पीड़ित लड़की को धमकाएंगे, सबूत मिटाने की कोशिश करेंगे…कोर्ट में साबित नहीं कर पाए
IIT-BHU गैंगरेप के आरोपी जेल से बाहर आकर पीड़ित लड़की को धमकाएंगे या सबूत मिटाने की कोशिश करेंगे…पीड़ित पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट में ये साबित नहीं कर पाया। कमजोर पैरवी की वजह से 2 आरोपियों को जमानत मिल गई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और 4 जुलाई को कुणाल पांडेय को जमानत दी। वाराणसी जिला जेल से कुणाल की 24 और आनंद की 29 अगस्त को रिहाई हुई। जमानत की शर्तें पूरा करने में आरोपियों को करीब 2 महीने का समय लग गया।
तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत अर्जी पर 16 सितंबर को सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है। जहां तीनों आरोपियों की जमानत अर्जी 2 बार खारिज हो चुकी है। अब सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर दो आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत कैसे मिली।
आपको बताते हैं वो 5 फैक्ट, जिनका फायदा आरोपियों को मिला…
1. सबूतों से छेड़खानी नहीं करेंगे : अभिषेक और कुणाल पांडे के वकीलों ने जिरह करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल सीधे-साधे लोग हैं। वह केस से संबंधित सबूतों से छेड़खानी नहीं करेंगे।
क्या कमी रह गई – पुलिस की तरफ से पैरवी कर रहे सरकारी वकील को साबित करना था कि आरोपियों के जेल से बाहर आने से सबूत प्रभावित होंगे। यह बातें रूटीन स्टेटमेंट की तरह कही गईं, मगर ठोस लॉजिक नहीं दे सके।
2. गवाह पर असर डालेंगे : वारदात की रात छात्रा की मदद करने वाला 1 छात्र इस केस का अहम गवाह है। उसने बयान में कहा था कि लड़की को आरोपी गन पॉइंट पर लिए हुए थे। वहीं, कैंपस में ही रहने वाले एक प्रोफेसर भी इस मामले में लड़की की तरफ से गवाह हैं। 1 गार्ड भी है, जिसने बुलेट पर इन लड़कों को कैंपस में आते हुए देखा था।
क्या कमी रह गई – जेल से बाहर आने के बाद वह इन गवाहों से संपर्क कर सकते हैं, उन्हें प्रभावित कर सकते हैं। उन्हें तोड़ने की कोशिश करेंगे। इन बातों को तथ्यों के आधार पर मजबूती से नहीं रखा जा सका।
3. आरोपी कोई दूसरा क्राइम नहीं करेंगे : छात्रा के बयानों के मुताबिक आरोपियों ने उसके सामने बुलेट लाकर लगाई और आक्रामक होते हुए दबोच लिया था। ऐसे में इस गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह आरोपी फिर कोई ऐसी वारदात नहीं कर सकते हैं।
क्या कमी रह गई – कोर्ट में सरकारी वकील को आरोपियों की प्रवृत्ति के क्रिमिनल पहलू को साबित करना था। मगर ऐसे फैक्ट कोर्ट के सामने नहीं रखे जा सके।
4. कोर्ट के न्याय से भाग रहे हैं आरोपी : 31 दिसंबर, 2023 को गिरफ्तारी के बाद आरोपी जेल के अंदर रहे। यहां उन्हें क्रिमिनल के साथ ही रखा गया। वह केस की तारीखों पर कोर्ट में आते थे। आरोपियों के वकीलों की तरफ से लिखकर दिया गया है कि जमानत पर बाहर आने के बाद भी आरोपी पहले की तरह तारीखों पर कोर्ट में पेश होते रहेंगे। ऐसा नहीं होने पर जमानत निरस्त की जा सकती है।
क्या कमी रह गई – जमानत पर बाहर आने के बाद आरोपी कोर्ट प्रोसिडिंग से बचने की कोशिश करेंगे। कोर्ट के बाहर रसूख का इस्तेमाल करके केस प्रभावित कर सकते हैं, इसके तथ्य नहीं रखे जा सके।
5. लड़की को डरा-धमका सकते हैं : छात्रा अभी भी काशी में रह रही है। जाहिर है कि सबसे ज्यादा उसको ही डर है। जेल में रहने के दौरान आरोपी लड़की तक नहीं पहुंच सकते थे। मगर जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद वह लड़की को सीधे या परोक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
क्या कमी रह गई – छात्रा अभी भी डरी हुई है, आरोपियों के बाहर आने से उसको खतरा है, उसने अपने बयान में भी खतरे का अंदेशा जताया था। मगर कोर्ट में ऐसा कोई आधार पेश नहीं किया गया, जिससे साबित हो कि वाकई उसकी जान को खतरा है।
(ये बातें जमानत के दस्तावेज का एनालिसिस कर सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया)
हाईकोर्ट में अभिषेक और कुणाल के वकीलों ने क्या-कुछ कहा…
इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरोपियों के वकीलों ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा- मेरे मुवक्किल को झूठे केस में फंसाया गया। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 9 के प्रावधान के अनुसार पहचान परेड नहीं कराई गई। पुलिस ने सिर्फ अच्छा काम दिखाने के लिए बलि का बकरा बनाया है। अभिषेक और कुणाल 30 दिसंबर, 2023 से जेल में बंद हैं। अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेंगे।
आरोपियों के वकील ने ‘दोष सिद्ध होने तक निर्दोषता की धारणा’ को आधार बनाते हुए कहा- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में गारंटी दी गई है कि किसी व्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इसलिए नहीं छीना जा सकता है, क्योंकि उस पर कोई अपराध करने का आरोप है, जब तक कि अपराध साबित न हो जाए।
सरकारी वकील का पक्ष समझिए
फास्ट ट्रैक में 2 बार जमानत अर्जी निरस्त कराई, HC से जमानत मिली
ADGC मनोज गुप्ता ने कहा- गैंगरेप के तीनों आरोपियों की सुनवाई वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट (पाक्सो) में चल रही है। जुलाई में तीनों आरोपियों ने कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। अभियोजन के विरोध पर तीनों आरोपियों कुणाल, आनंद उर्फ अभिषेक और सक्षम की जमानत अर्जी दो बार खारिज की जा चुकी है।
आरोपियों के खिलाफ केस और पुलिस की चार्जशीट मजबूत है, लेकिन अभी गवाही और साक्ष्य पेश नहीं हो सके। कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सभी ने हाईकोर्ट की शरण ली, जहां से दो को जमानत मिल गई। वाराणसी में अभियोजन गैंगरेप के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए मजबूत पैरवी कर रहा है, केस ट्रायल पर है कम तारीखों में जजमेंट का प्रयास किया जाएगा।
आरोपियों को कोर्ट में पेश किए गए सबूतों का फायदा मिला…
1. शिनाख्त : पीड़ित छात्रा ने आरोपियों को पहचाना
पीड़ित छात्रा ने फुटेज देखकर आरोपियों की पहचान की थी। इसके अलावा, न्यूड वीडियो बनाने की बात कही थी। पीड़ित छात्रा से कन्फर्म होने के बाद ही पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ जांच करके एक-एक सबूत जुटाए। उसके बाद 31 दिसंबर को उन्हें गिरफ्तार किया गया। लेकिन कोर्ट में बचाव पक्ष ने ये तर्क दिया कि पुलिस कोई ऐसा साक्ष्य नहीं जुटा पाई है, जिससे पता चल सके कि आरोपी घटना के वक्त मौके पर थे।
2. गवाह : छात्रा का दोस्त और सिक्योरिटी गार्ड
1 नवंबर की रात 1.30 बजे पीड़ित दोस्त के साथ कैंपस में थी। बुलेट से आए तीनों आरोपियों ने पहले गन पॉइंट पर छात्रा के दोस्त को वहां से धमकाकर भगा दिया। इस केस में वह अहम गवाह है। दूसरा गवाह सिक्योरिटी गार्ड है, जिसने रात में बुलेट में इन तीनों आरोपियों को देखा था। चार्जशीट में इनके बयान भी शामिल किए गए हैं। इन गवाहों में सिर्फ छात्रा का दोस्त चश्मदीद था। मगर लड़की की तरफ से केस की पैरवी करते वक्त उसके बयानों को उतनी मजबूती से नहीं रखा जा सका।
3. सबूत : CCTV, मोबाइल लोकेशन-फोरेंसिक रिपोर्ट, मेडिकल रिपोर्ट
वारदात वाले दिन CCTV में तीनों आरोपी कैद हुए थे। आरोपियों के मोबाइल की टाइम टू टाइम लोकेशन भी पुलिस ने ट्रेस की है। साथ ही, जिस मोबाइल से छात्रा का न्यूड वीडियो शूट हुआ था। उसकी फोरेंसिक जांच करवाई है। रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखी गई। मोबाइल CDR, वॉट्सऐप चैटिंग भी अहम रिकॉर्ड है। सरकारी वकील ने पुलिस द्वारा पेश इन सबूतों को आधार तो बनाया, मगर कोर्ट में इन सबूतों के आधार पर आरोपियों को घेर नहीं सके।
लड़की के वकील की शिकायत…
2 नवंबर, 2023 की रात करीब 1.30 बजे लड़की अपने दोस्त के साथ अपने छात्रावास के पास घूमने गई थी, जहां 3 लड़कों ने उसका शील भंग किया और उसके कपड़े उतार दिए। उसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया।
वारदात वाली रात क्या हुआ था? FIR से जानिए…
पीड़ित ने 2 नवंबर को पुलिस को दी शिकायत में कहा था, ‘मैं 1 नवंबर की रात 1:30 बजे अपने होस्टल से किसी जरूरी काम के लिए बाहर निकली। कैंपस के गांधी स्मृति चौराहे के पास मुझे मेरा दोस्त मिला। हम दोनों साथ में जा रहे थे कि रास्ते में कर्मन बाबा मंदिर से करीब 300 मीटर दूर पीछे से एक बुलेट आई। उस पर 3 लड़के सवार थे। उन लोगों ने बाइक खड़ी करके मुझे और मेरे दोस्त को रोक लिया।
इसके बाद उन लोगों ने हमें अलग कर दिया। मेरा मुंह दबाकर मुझे एक कोने में ले गए। वहां पहले मुझे किस किया, उसके बाद कपड़े उतरवाए। मेरा वीडियो बनाया और फोटो खींची। मैं जब बचाव के लिए चिल्लाई तो मुझे मारने की धमकी दी। करीब 10-15 मिनट तक मुझे अपने कब्जे में रखा और फिर छोड़ दिया।
मैं अपने होस्टल की ओर भागी तो पीछे से बाइक की आवाज आने लगी। डर के मारे मैं एक प्रोफेसर के आवास में घुस गई। वहां पर 20 मिनट तक रुकी और प्रोफेसर को आवाज दी। प्रोफेसर ने मुझे गेट तक छोड़ा। उसके बाद पार्लियामेंट सिक्योरिटी कमेटी के राहुल राठौर मुझे IIT-BHU पेट्रोलिंग गार्ड के पास लेकर पहुंचे। जहां से मैं अपने होस्टल तक सुरक्षित आ पाई। तीनों आरोपियों में से एक मोटा, दूसरा पतला और तीसरा मीडियम हाइट का था।
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IIT-BHU छात्रा से गैंगरेप के 2 आरोपी रिहा:हाईकोर्ट से जमानत; घर पर माला पहनाकर हुआ स्वागत; पुलिस ने कहा था-तीनों पेशेवर अपराधी
वाराणसी के IIT-BHU में बीटेक छात्रा से गैंगरेप के 2 आरोपी 7 महीने बाद रिहा हो गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी कुणाल पांडेय और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान को सशर्त जमानत दी। तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत कोर्ट ने स्वीकार नहीं की। 16 सितंबर को उसकी जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी।
कुणाल की 24 अगस्त जबकि आनंद की 29 अगस्त को रिहाई हुई। पड़ोसियों के मुताबिक, 29 अगस्त को आनंद नगवा कॉलोनी स्थित घर पहुंचा तो उसका स्वागत किया गया। कुणाल और आनंद दोनों के घर अगल-बगल हैं। गैंगरेप के तीनों आरोपी भाजपा IT सेल से जुड़े थे। सरकार के मंत्री-विधायक समेत बड़े नेताओं के संपर्क में थे।
इस हाई प्रोफाइल केस में वाराणसी पुलिस ने 17 जनवरी को गैंगरेप की चार्जशीट दाखिल की थी। पुलिस ने तीनों आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट में केस किया था। गैंगस्टर केस दर्ज होने के बाद लगातार उनकी जमानत याचिका खारिज हो रही थी।
पुलिस ने कोर्ट में तीनों को बताया था पेशेवर अपराधी
तीनों आरोपी आनंद, कुणाल और सक्षम को घटना के 60 दिन बाद 30 दिसंबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था। 31 दिसंबर 2023 से तीनों आरोपी जिला जेल में बंद थे। उन्हें जघन्य वारदातों में शामिल आरोपियों की बैरक में रखा गया था।
पुलिस चार्जशीट में तीनों आरोपियों के रूट चार्ट, CCTV फुटेज, मोबाइल लोकेशन को आधार बनाया था। इसके साथ ही पीड़ित छात्रा, उसके दोस्त और एक गार्ड के बयान को भी आरोपियों के खिलाफ आधार बनाया है। वॉट्सऐप चैट को भी कोर्ट में पेश कर जब्त बुलेट का भी जिक्र किया गया।
कोर्ट में पुलिस ने बताया कि तीनों पेशेवर अपराधी हैं, जनता के बीच तीनों को जाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
आरोपी आनंद ने 11 नवंबर 2023 को जमानत याचिका दायर की थी, जिस पर कई बार सुनवाई हुई और तारीख बढ़ती रही। आनंद ने परिजन की बीमारी समेत कई कारण बताए, तो कोर्ट ने 2 जुलाई को जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन कई शर्तें लगा दीं। एक-एक लाख के 2 जमानतदारों के वैरिफिकेशन में कई दिन लग गया। इस वजह से आनंद की रिहाई 29 अगस्त को हो सकी।
दूसरे आरोपी कुणाल ने भी 2 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 4 जुलाई को कोर्ट ने उसकी भी जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन जमानतदारों के वैरिफिकेशन के चलते उसकी भी रिहाई 24 अगस्त को हो सकी।
वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दी थी तीनों की याचिका
ADGC मनोज गुप्ता ने बताया कि IIT-BHU गैंगरेप के तीनों आरोपियों की सुनवाई वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट (पाक्सो) में चल रही है। जुलाई में तीनों आरोपियों ने कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। अभियोजन के विरोध पर तीनों आरोपियों कुणाल, आनंद उर्फ अभिषेक और सक्षम की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
यह पहली बार नहीं था बल्कि इससे पहले दो बार कोर्ट उनकी याचिका खारिज कर चुका था। आरोपियों के खिलाफ केस और पुलिस की चार्जशीट ही मजबूत थी। याचिका खारिज होने के बाद सभी ने हाईकोर्ट की शरण ली, जहां से दो को जमानत मिल गई।
22 अगस्त को रेप पीड़िता ने कोर्ट में दर्ज कराया बयान
अभियोजन के वकील ने बताया कि कोर्ट ने IIT-BHU गैंगरेप की सुनवाई तेज कर दी है। केस में सबसे पहले दुष्कर्म पीड़ित छात्रा को कोर्ट ने 22 अगस्त को तलब किया था, जिसके बाद पुलिस सुरक्षा में पीड़ित को कोर्ट में पेश किया गया था।
BHU की वारदात को पीड़ित ने कोर्ट के सामने रखा। उसने बताया कि तीनों आरोपियों ने दरिंदगी की, धमकाया और फिर फरार हो गए। पीड़िता ने बताया कि घटना के बाद से कई तरह से दबाव भी महसूस कर रही है। बाहर आते-जाते डर लगता है इसलिए अधिकांश समय होस्टल में रहती हूं।
आरोपियों के खिलाफ अब तक 2 चार्जशीट दाखिल
आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने अब तक दो चार्जशीट दाखिल की है। इसमें पहली चार्जशीट 17 जनवरी को कोर्ट में पेश की गई, जिसमें आरोपियों के खिलाफ 376 (डी) समेत अन्य धाराएं शामिल की गई। केस में कार्रवाई के बीच पुलिस ने तीनों आरोपियों पर गैंगस्टर लगाया, जिसमें भी अगले सप्ताह ही चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
पुलिस ने आनंद चौहान उर्फ अभिषेक को गैंग लीडर बताया है। वहीं, कुणाल और सक्षम उसके गिरोह के सदस्य बताए गए हैं। इसमें पुलिस ने आनंद उर्फ अभिषेक और उसके परिजन के खिलाफ 29 जून 2022 को भेलूपुर थाने में छेड़खानी सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया था।
पकड़ने में लगे थे 60 दिन, मप्र में आरोपियों ने ली थी शरण
वारदात को अंजाम देकर तीनों आरोपी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कैंपेनिंग के लिए चले गए थे और लगभग 55 दिन वहीं शरण पाए रहे। पुलिस जांच पड़ताल में लगी थी। तीनों के वाराणसी आते ही पुलिस एक्टिव हुई और 60 दिन बाद पकड़ सकी।
सूत्रों का कहना है कि आरोपियों के सत्तादल में पदाधिकारी होना भी गिरफ्तारी में लेटलतीफी का कारण था, शासन से क्लीयरेंस मिलने के बाद तीनों की गिरफ्तारी की गई। गिरफ्तारी के 10 दिन पहले ही इस मामले की जांच कर रहे ACP भेलूपुर प्रवीण सिंह का भी ट्रांसफर कर दिया गया था।
वाराणसी पुलिस ने कैंपस और कैंपस के बाहर कुल 225 CCTV फुटेज की जांच की थी। स्पेशल टास्क फोर्स (STF), क्राइम ब्रांच और सर्विलांस सहित कुल 6 टीमों को तलाश में लगाया गया था।
वारदात वाली रात क्या हुआ था? FIR से जानिए…
पीड़ित ने 2 नवंबर को पुलिस को दी शिकायत में कहा था, ‘मैं 1 नवंबर की रात 1:30 बजे अपने होस्टल से किसी जरूरी काम के लिए बाहर निकली। कैंपस के गांधी स्मृति चौराहे के पास मुझे मेरा दोस्त मिला। हम दोनों साथ में जा रहे थे कि रास्ते में कर्मन बाबा मंदिर से करीब 300 मीटर दूर पीछे से एक बुलेट आई। उस पर 3 लड़के सवार थे। उन लोगों ने बाइक खड़ी करके मुझे और मेरे दोस्त को रोक लिया।
इसके बाद उन लोगों ने हमें अलग कर दिया। मेरा मुंह दबाकर मुझे एक कोने में ले गए। वहां पहले मुझे किस किया, उसके बाद कपड़े उतरवाए। मेरा वीडियो बनाया और फोटो खींची। मैं जब बचाव के लिए चिल्लाई तो मुझे मारने की धमकी दी। करीब 10-15 मिनट तक मुझे अपने कब्जे में रखा और फिर छोड़ दिया।
मैं अपने होस्टल की ओर भागी तो पीछे से बाइक की आवाज आने लगी। डर के मारे मैं एक प्रोफेसर के आवास में घुस गई। वहां पर 20 मिनट तक रुकी और प्रोफेसर को आवाज दी। प्रोफेसर ने मुझे गेट तक छोड़ा। उसके बाद पार्लियामेंट सिक्योरिटी कमेटी के राहुल राठौर मुझे IIT-BHU पेट्रोलिंग गार्ड के पास लेकर पहुंचे। जहां से मैं अपने होस्टल तक सुरक्षित आ पाई। तीनों आरोपियों में से एक मोटा, दूसरा पतला और तीसरा मीडियम हाइट का था।