सड़क पर गड्ढे से आस्था को चोट ?

Gwalior: सड़क पर गड्ढे से आस्था को चोट, स्थापना के लिए जा रही सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा गिरी, लोगों का हंगामा
मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में सड़क पर गड्ढे होने से आस्था को चोट पहुंची है। दरअसल, शहर में बनी सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए जा रही थी। ऐसे में गड्ढे होने से सड़क पर ही गिर गई। वहीं, लोगों ने जमकर हंगामा किया।
Gwalior Faith hurt by potholes on road biggest Ganesha idol going for installation fell down people ruckus
सड़क पर गिरी गणेश प्रतिमा – ग्वालियर जिले की सबसे ऊंची 25 फीट की गणेश प्रतिमा सड़क पर गड्ढे की वजह से गिरकर खंडित हो गई। यह प्रतिमा शहर के शिंदे की छावनी खल्लासीपुरा में स्थापित होना थी। शनिवार रात 12 बजे भक्त मंडल के सदस्य जीवाजीगंज से गणेश प्रतिमा को लेकर निकले थे। 20 घंटे में बिजली के तार और सड़क के गड्ढे बचाते हुए प्रतिमा को सिर्फ दो किलोमीटर तक ही ला पाए थे, रविवार रात आठ बजे नवाब साहब के कुएं के पास हादसा हो गया।

मूर्ति के नीचे दबकर कुछ लोग घायल हुए हैं, लेकिन कोई सामने नहीं आया। घटना के बाद हंगामा हो गया। गणेश प्रतिमा स्थापित करने वाले जाम लगाकर गड्ढे के लिए जिम्मेदारों पर एफआईआर करने अड़ गए। दो घंटे तक हंगामा चला। इसके बाद पुलिस पहुंची और खंडित मूर्ति को विसर्जित कराने का इंतजाम कर उनकी सभी मांगों पर एक्शन लेने का आश्वासन दिया।

शहर के शिंदे की छावनी स्थित खल्लासीपुरा में बीजासेन माता कमेटी के सदस्यों ने शहर की सबसे ऊंची और भव्य गजानन प्रतिमा की स्थापना करने की ठानी थी। जीवाजीगंज में उन्होंने भगवान गणेश की 25 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार कराई थी। शनिवार को गणेश चतुर्थी के दिन रात 12 बजे पूजा कर भक्त गजानन की प्रतिमा को खल्लासीपुरा स्थापना स्थल तक ले जाने के लिए निकले थे। 20 घंटे लगातार चलने के बाद यह प्रतिमा को रविवार रात आठ बजे तक शिंदे की छावनी में नवाब साहब का कुआं तक लाई गई थी। यहां सड़क बहुत जर्जर हालत में है। इस वजह से सभी भक्त मंडल के सदस्य प्रतिमा को सावधानी से निकाल रहे थे, लेकिन तभी एक गहरे गड्ढे में गाड़ी का पहिया पड़ते ही मूर्ति एक तरफ को झुकने लगी। कुछ लोगों ने बचाने का प्रयास किया, लेकिन वजन इतना ज्यादा था कि प्रतिमा गिरकर खंडित हो गई।

शहर की सबसे बड़ी और ऊंची गजानन प्रतिमा का निर्माण शहर के जीवाजीगंज इलाके में मूर्तिकार पिंकी कुमार ने किया है। उनको इसके निर्माण में करीब एक महीने से ज्यादा समय लगा है। इसमें डेढ़ लाख रुपये की लागत आई है। इतनी बड़ी मूर्ति को उठाने और पंडाल तक पहुंचाने के लिए क्रेन की मदद लेनी पड़ती है।

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