MP के रोजगार मेलों में ऑफर मिलते हैं, नौकरी नहीं ?
सवा लाख इंजीनियर, 16 हजार MBA, 7 हजार डॉक्टर बेरोजगार …
MP के रोजगार मेलों में ऑफर मिलते हैं, नौकरी नहीं; अफसर बोले-हमें कुछ नहीं पता
मध्यप्रदेश में करीब सवा लाख इंजीनियर और 16 हजार एमबीए क्वालिफाइ़ड युवा बेरोजगार हैं। सात हजार डॉक्टरों के पास भी कमाई का जरिया नहीं है। ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स को जोड़ लें तो ये संख्या 11 लाख 70 हजार के पार पहुंच जाती है। बड़ी बात ये है कि ये आंकड़े सरकारी हैं। असल में बेरोजगारों की तादाद इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
ये हाल तब है, जब प्रदेश में बीते डेढ़ साल में 733 रोजगार मेले लगाए जा चुके हैं। हाल ही में 25 सितंबर को भोपाल में आयोजित रोजगार मेले में पहुंचे मैकेनिकल इंजीनियर हिमांशु को भी मायूसी ही हाथ लगी है। हिमांशु ने कहा, ‘मैं पिछले तीन साल से जॉब फेयर में आ रहा हूं। मेरी योग्यता के हिसाब से यहां जॉब ही नहीं है। यहां जितनी कंपनियां आती हैं, वो सब सेल्स और मार्केटिंग का टारगेट बेस काम करवाती हैं। टारगेट पूरा नहीं होता तो कंपनियां बाहर का रास्ता दिखा देती हैं।’
ग्वालियर के रहने वाले देवेंद्र खंडेल का भी यही मानना है। कम्प्यूटर साइंस इंजीनियर खंडेल कहते हैं, ‘मुझे तो लगता है कि सरकार रोजगार मेले का आयोजन सिर्फ डेटा इकट्ठा करने के लिए करती है। कंपनियां मेले में ऑफर लेटर देती है, मगर सरकार ये नहीं देखती कि इनमें से कितने लोग नौकरी कर रहे हैं।
कितने युवा जॉब कर रहे, रोजगार कार्यालय के पास डेटा नहीं
नौकरी न मिलने की तकलीफ केवल हिमांशु और देवेंद्र की नहीं है, बल्कि रोजगार मेले में आने वाले ज्यादातर युवाओं की है। राज्य सरकार ने पिछले डेढ़ साल में 733 रोजगार मेलों का आयोजन किया। इनमें आने वाले 76 हजार कैंडिडेट्स को ऑफर लेटर दिया। अब इनमें से कितने युवा जॉब कर रहे हैं, ये डेटा रोजगार कार्यालय के पास नहीं है।
रोजगार कार्यालय के अधिकारी कहते हैं कि हमारा काम बेरोजगार युवा और कंपनियों के बीच ब्रिज का काम करना है। कितने युवा ऑफर लेटर मिलने के बाद नौकरी कर रहे हैं, ये हमें नहीं पता।
ऑफर लेटर देने के बाद इंटरव्यू के लिए कॉल ही नहीं किया
…..छले डेढ़ साल में आयोजित रोजगार मेले में शामिल 100 युवाओं से फोन पर बात की। इन्हें कंपनियों की तरफ से ऑफर लेटर मिला था। इनसे बात करके पता चला कि 85 फीसदी युवाओं को ऑफर लेटर मिलने के बाद कंपनियों ने इंटरव्यू के लिए कॉल ही नहीं किया। वहीं, जिन्हें कॉल किया उन्हें टारगेट बेस सैलरी ऑफर की। कुछ कंपनियों ने ये भी कहा कि पहले पैसा जमा करो, फिर जॉब देंगे।
पढ़िए किस तरह से सरकार के रोजगार मेले युवाओं को निराश कर रहे हैं और रोजगार कार्यालय केवल सरकारी आंकड़े बढ़ाने की खानापूर्ति कर रहे हैं…
पहले वो तीन केस जिसमें कंपनियों ने ऑफर लेटर दिया, मगर कॉल नहीं किया
दो महीने से कंपनी के कॉल का इंतजार कर रहा हूं: शिवकुमार शिवकुमार ने ………. 31 जुलाई 2024 को भोपाल रोजगार कार्यालय ने जॉब फेयर का आयोजन किया था। इसमें 15 से ज्यादा कंपनियों के एचआर शामिल हुए थे। मैंने अलग-अलग कंपनियों को अपना रिज्यूम दिया। भारती एयरटेल ने मेरे रिज्यूम को सिलेक्ट किया। शिवकुमार बताते हैं…
सिलेक्शन के बाद कंपनी ने कहा कि अगले एक-दो दिन में आपके पास इंटरव्यू के लिए कॉल आ जाएगा। करीब दो महीने हो चुके हैं, मेरे पास कोई कॉल नहीं आया। मैंने रोजगार कार्यालय में कॉल किया तो बताया कि हमारा काम कंपनी से मिलवाना था। नौकरी देने का काम कंपनियों का है।
भास्कर ने इसी तरह रोजगार मेले की लिस्ट में दर्ज 15 लोगों से बात की जिन्हें भारती एयरटेल ने ऑफर लेटर दिया था। इनमें से किसी ने नहीं कहा कि उन्हें कंपनी ने कॉल किया था। इसे लेकर जब भारती एयरटेल कंपनी के एचआर आनंद कुमावत से पूछा कि आपने कितने कैंडिडेट्स का सिलेक्शन किया और कितनों को नौकरी दी? उन्होंने थोड़ी देर में कॉल करने का कहकर बात टाल दी। कुछ देर बाद उन्हें फिर संपर्क किया तो कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।
एक शख्स का कॉल आया, उसने कहा पैसा दोगे तो नौकरी मिलेगी: कृष्णकांत भोपाल के रहने वाले कृष्णकांत को एनआईआईटी ने ऑफर लेटर दिया था। भास्कर ने जब कृष्णकांत से पूछा कि इंटरव्यू के लिए कॉल आया तो उसने कहा कि कंपनी की तरफ से तो कोई कॉल नहीं आया, लेकिन एक अज्ञात व्यक्ति ने कॉल किया था। उसने कहा कि पहले कुछ पैसा इन्वेस्ट करेंगे तो नौकरी मिलेगा। मैंने उस शख्स से पूछा कि मेरा नंबर कहां से मिला तो उसने कोई जवाब नहीं दिया।
कृष्णकांत को आशंका है कि उसका नंबर रोजगार कार्यालय से लीक हुआ है। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद नौकरी न मिलने पर कृष्णकांत ने कहा कि इतनी महंगी पढ़ाई करने के बाद भी डिग्री किसी काम की नहीं है।
2 दिन में कॉल आने का बोला था, दो महीने हो गए: यशपाल सागर जिले के बीना के रहने वाले यशपाल ने भोपाल में रहकर पढ़ाई की है। अब वह रोजगार की तलाश में है। यशपाल ने 31 जुलाई को भोपाल में हुए रोजगार मेले में हिस्सा लिया था। 15 से ज्यादा कंपनियों को आवेदन देने के बाद एक्सिस बैंक ने उन्हें ऑफर लेटर दिया। यशपाल के मुताबिक कंपनी ने कहा कि अगले दो दिन में कॉल आएगा। मगर, दो महीने हो चुके हैं किसी का कॉल या मैसेज नहीं आया।
वो कैंडिडेट्स जिनके पास कॉल आया, मगर टारगेट बेस सैलरी ऑफर की
कंपनी बोली- 5 हजार दो फिर इंटरव्यू होगा: कपिल कपिल नामदेव ने बताया कि इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक की तरफ से ऑफर लेटर मिला था। कंपनी ने कहा कि इंटरव्यू का कॉल आएगा। इक्विटास कंपनी ने तो कॉल नहीं किया, लेकिन एचडीएफसी बैंक की तरफ से एक कॉल आया। जिसमें उन्होंने कहा कि टारगेट बेस सैलरी मिलेगी।
ये भी कहा कि ट्रेनिंग के लिए पहले 5 हजार रुपए जमा करने होंगे। अगर पैसा नहीं है तो फाइनेंस भी करवा सकते हैं। नौकरी के दौरान सैलरी में से ये पैसा काट लिया जाएगा। कपिल ने कंपनी से पूछा कि सैलरी कितनी होगी तो कहा गया जितना काम करोगे उस हिसाब से सैलरी मिलेगी।
ढाई लाख रुपए एडवांस मांगे : शिवराज शिवराज सिंह को टेक्नो टास्क कंपनी ने ऑफर लेटर दिया था। शिवराज बताता है कि आज तक इस कंपनी का कॉल नहीं आया। इस बीच एक्सिस बैंक से कॉल आया तो बैंक के कर्मचारियों ने ऑनलाइन मीटिंग के लिए वॉट्सऐप पर एक लिंक भेजी।
मीटिंग में कंपनी के कर्मचारी ने मुझसे कहा कि ट्रेनिंग के लिए ढाई लाख रुपए देना पड़ेंगे। दो महीने में जॉब छोड़ दोगे तो पेमेंट वापस नहीं होगा। शिवराज ने इसके बाद आगे कोई प्रोसेस नहीं की।
कंपनियों के प्रतिनिधि बोले- आज तक एक को भी रोजगार नहीं दिया 25 सितंबर को भोपाल में आयोजित रोजगार मेले में जितनी कंपनियों ने हिस्सा लिया उनके प्रतिनिधियों से भास्कर ने सवाल किया कि ऑफर लेटर देने के बाद कितने लोगों को नौकरी पर रखा? प्रतिनिधियों ने कहा कि वे बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है। कंपनी के पीआरओ ही इसका जवाब दे सकते हैं।
हालांकि, ज्यादातर ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा कि हम तो केवल बायोडाटा लेकर जाते हैं, इंटरव्यू के लिए किसी को कॉल नहीं करते। किसी भी प्रतिनिधि ने ये नहीं कहा कि रोजगार मेले में आने वाले किसी युवा को उन्होंने रोजगार दिया है। यहां पहुंची एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि ने जरूर कहा कि हमने 4 साल पहले एक युवा को रोजगार मेले से सिलेक्ट किया था।
अधिकारी बोले- कम सैलरी की वजह से युवा जॉइन नहीं करते रोजगार संचालनालय के सहायक संचालक एबी खान कहते हैं कि हम कंपनी और युवाओं को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराते हैं। जो कंपनियां रोजगार मेले में हिस्सा लेती हैं, वह योग्यता के आधार पर कैंडिडेट्स सिलेक्ट करती हैं।
उनसे पूछा कि ज्यादातर कंपनियां ऑफर लेटर देने के बाद कैंडिडेट्स को कॉल नहीं करती तो उन्होंने कहा कि भोपाल और आसपास के क्षेत्र में बहुत ज्यादा बेरोजगारी नहीं है। कंपनियां कैंडिडेट्स को कॉल करती हैं, लेकिन वे कम सैलरी होने की वजह से नौकरी करने से मना कर देते हैं।
कौशल एवं विकास बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष बोले- एमपी में स्थानीय कंपनियां नहीं आती मध्यप्रदेश राज्य कौशल एवं विकास निगम बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष नरेंद्र बिरथरे कहते हैं जिन कैंडिडेट्स का रोजगार मेले के जरिए सिलेक्शन होता है, वे दो तीन महीने में नौकरी छोड़ देते हैं। इसके पीछे वजह या तो वर्कलोड है या उन्हें उतनी सैलरी नहीं मिलती।
वे बताते हैं कि रोजगार मेले में आने वाली ज्यादातर कंपनियां प्रदेश के बाहर की होती हैं। कम सैलरी में बाहर जाकर जॉब करना खर्चीला होता है। यदि कोई अपने घर के आसपास नौकरी करता है तो कम सैलरी में भी वह काम कर सकता है।
बिरथरे कहते हैं कि जब मैं बोर्ड मेंबर था तब मैंने सरकार को इसके बारे में बताया था। हमने कोशिश भी की थी कि स्थानीय स्तर पर युवाओं को नौकरी मिल सके। इस दिशा में हम काम करने वाले थे, लेकिन तब तक निगम बोर्ड भंग हो गया। उम्मीद करता हूं कि सरकार इस पर ध्यान देगी।
रीवा के रोजगार मेले में 16 में से 10 बाहरी कंपनियां 16 अगस्त 2024 को रीवा में रोजगार मेले का आयोजन किया गया, जिसमें 16 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। इनमें से 10 कंपनियां मुंबई, हरियाणा और एमपी के अलग-अलग जिलों से थीं। कंपनियों ने अलग-अलग जॉब के हिसाब से 10 हजार रुपए से 20 हजार रुपए तक की सैलरी ऑफर की थी।
इसी मेले में आयुष सिंह भी पहुंचे थे। आयुष ने बताया कि मुंबई बेस्ड कंपनी ने 10 हजार रुपए सैलरी ऑफर की थी। अब मुंबई में 10 हजार रुपए में कैसे गुजारा होगा, आप ही बताइए।