राजस्थान के जंगल से 1 लाख पेड़ काटने की तैयारी

राजस्थान के जंगल से 1 लाख पेड़ काटने की तैयारी ….
इसकी जगह पावर प्लांट लगेगा, MP के कूनो नेशनल पार्क से सटा; संगठन बोले-चिपको आंदोलन करेंगे
शाहाबाद के जंगल मध्यप्रदेश और राजस्थान बॉर्डर के पास हैं…

राजस्थान में बारां जिले के सबसे घने जंगल शाहाबाद में पावर प्लांट के लिए एक लाख 19 हजार 759 पेड़ काटे जाएंगे। केंद्र सरकार ने ग्रीनको एनर्जी कंपनी को प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी दे दी है, लेकिन स्थानीय संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि पेड़ काटे गए तो आंदोलन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक यह जंगल प्रस्तावित चीता प्रोजेक्ट में भी शामिल है, क्योंकि इसके बिल्कुल नजदीक मध्यप्रदेश में कूनो पालपुर नेशनल पार्क है। यहीं पर अफ्रिका से लाए गए चीते छोड़े गए हैं।

दरअसल, शाहपुर में ग्रीनको एनर्जी को 1800 मेगावाट के पावर प्लांट के लिए जंगल की 407.82 हेक्टेयर जमीन को डायवर्जन करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। इस वनभूमि के बदले जैसलमेर में जमीन उपलब्ध कराई गई है। कंपनी इसके बदले जैसलमेर में 431 हेक्टेयर गैर वन भूमि और 184.84 हेक्टेयर वनभूमि में पौधारोपण करवाएगी। इसके लिए कंपनी को करीब साढ़े 27 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे।

जो जंगल काटा जाएगा, उसकी मार्केट वैल्यू करीब 42 करोड़ 47 लाख रुपए है। इसके साथ ही कंपनी को यहां हाेने वाले मिट्‌टी के कटाव के लिए भी 65 लाख 30 हजार रुपए जमा कराने होंगे। वहीं, इस जंगल के कटने के कारण जो वन्यजीव प्रभावित होंगे, उनके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन प्लान तैयार कर काम किया जाएगा। इसकी मंजूरी प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के स्तर पर होना है।

हाड़ौती के सबसे सघन वन क्षेत्र में शुमार है शाहाबाद का जंगल।
हाड़ौती के सबसे सघन वन क्षेत्र में शुमार है शाहाबाद का जंगल।

ऐसा सघन जंगल दुबारा बनने में लग जाएंगे कई साल

विभागीय सूत्रों के अनुसार जंगल की जिस जमीन के बदले पावर प्लांट प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली है, वह शाहाबाद कंजर्वेशन रिजर्व लेपर्ड संरक्षित क्षेत्र में शामिल है। यहां भालू, लेपर्ड सहित विभिन्न वन्यजीव और पक्षी मौजूद हैं। शाहाबाद के जंगल में 800 से ज्यादा प्रजातियों के पेड़ हैं। यहां तक कि 150 से 200 साल पुराने पेड़ भी हैं। इतना सघन वन विकसित करने में कई साल लग जाएंगे।

चिपको आंदोलन की चेतावनी

शाहाबाद जंगल में बिजली प्लांट लगाने को लेकर करीब सवा लाख पेड़ काटने के विरोध में पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक संगठन विरोध में आ गए हैं। पेड़ों और जंगल को बचाने के लिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को उप वन संरक्षक से मुलाकात कर वन-भूमि से पेड़ काटने को लेकर विरोध जताया है। किसान महापंचायत के प्रदेश संयोजक सत्य नारायण सिंह ने पेड़ काटने का विरोध करते हुए चिपको आंदोलन की चेतावनी दी है।

उन्होंने कहा कि शाहबाद में एक भी पेड़ नहीं काटने दिया जाएगा। पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन किया जाएगा। शाहबाद व नाहरगढ़ की असिंचित कृषि भूमि के लिए सिंचाई परियोजनाएं नवेली, राडी, बरणी, कई ग्रामीण सड़कें वन विभाग के रोड़े से वर्षों से अटकी पड़ी है, जबकि एक निजी कंपनी के लिए सघन जंगल उजाड़ा जा रहा है।

डीएफओ बोले- विकास भी जरूरी

इधर, बारां डीएफओ अनिल यादव ने बताया कि शाहाबाद के शाहपुरा में ग्रीनको एनर्जी के 1800 मेगावाट के प्रोजेक्ट को 407.82 हेक्टेयर जमीन के डायवर्जन की केंद्र सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। इसमें 1 लाख 19 हजार 759 पेड़ काटे जाएंगे।

1800 मेगावाट की परियोजना को मिली मंजूरी

दरअसल, राजस्थान के बारां जिले में पंप स्टोरेज प्लांट को लगाने के लिए संरक्षित वन क्षेत्र में हरे पेड़ काटने के लिए केंद्र सरकार की वन सलाहकार समिति (एफएसी) ने मार्च 2025 तक पेड़ो को काटने की हरी झंडी दी है। इसके लिए केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री ने अनुमोदन किया है। निजी कंपनी ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से यह प्लांट शाहाबाद के हनुमंतखेड़ा, मुंगावली में लगाया जा रहा है। जिसमें 1800 मेगावाट की बिजली उत्पादन करने की क्षमता वाले परियोजना का निर्माण किया जाएगा।

बताया जा रहा है इस परियोजना पर लगभग 10000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। ग्रीनको एनर्जीज़ प्राइवेट लिमिटेड, ग्रीनको मॉरीशस लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है और एक अग्रणी अक्षय ऊर्जा कंपनी है जो ऊर्जा भंडारण और परिसंपत्ति प्रबंधन समाधान प्रदान करती है।
जिले के करीब 1 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे

इस परियोजना के लिए जिले के करीब 1 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे। जिसकी वजह से वन क्षेत्र की जैव विविधता को काफी नुकसान होने की संभावना है। जबकि, राज्य सरकार ने 2 साल पहले ही इस क्षेत्र को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था। इस परियोजना के लिए करीब 700 हेक्टेयर भूमि की जरूरत पड़ेगी। जिसमें 400 हेक्टेयर भूमि केवल वन क्षेत्र की है।

हालांकि केन्द्र सरकार की वन सलाहकार समिति ने भी हरी झंडी दे दी है। जिसके बाद केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्री ने भी अनुमोदन कर दिया है। यह क्षेत्र जड़ी बूटियों और वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। जिसमें इसके पेड़ो के कट जाने की वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान होगा।
कुनो नदी का पानी उपयोग में लिया जाएगा

यहां की अनुकूल भौगोलिक स्थिति को देखते हुए बिजली बनाने के लिए चयन किया गया है। यह पहाड़ी क्षेत्र है और पास ही कूनो नदी भी है। ऐसे में निचले और ऊंचाई वाले क्षेत्र में दो तालाब बनाए जाएंगे। पानी को पहले ऊपर वाले तालाब में भरा जाएगा। जब भी बिजली उत्पादन करना होगा, तब वहां से पानी को नीचे लाएंगे और टरबाइन के जरिए बिजली बनेगी।

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