एक पोलिंग स्टेशन पर वोटरों की संख्या बढ़ाकर 1500 करने का विरोध क्यों?

एक पोलिंग स्टेशन पर वोटरों की संख्या बढ़ाकर 1500 करने का विरोध क्यों? सुप्रीम कोर्ट में दी गईं ये दलीलें
Supreme Court: चुनाव आयोग की तरफ से हर मतदान केंद्र पर वोटरों की अधिकतम संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है. निर्वाचन आयोग की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जानिए, क्यों दी गई चुनौती और निर्वाचन आयोग के फैसले के विरोध में कोर्ट में क्या-क्या दलीलें दी गई हैं?
एक पोलिंग स्टेशन पर वोटरों की संख्या बढ़ाकर 1500 करने का विरोध क्यों? सुप्रीम कोर्ट में दी गईं ये दलीलें

चुनाव आयोग चाहता है मतदान केंद्र पर वोटरों की अधिकतम संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 हो, इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है.

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) की ओर से हर मतदान केंद्र पर वोटरों की अधिकतम संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है. इस संबंध में निर्वाचन आयोग की ओर से जारी की गई अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसके विरोध में एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि पोलिंग स्टेशन पर वोटरों की संख्या बढ़ने से मतदाताओं के लिए कई चुनौतियां सामने आएंगी. आइए जान लेते हैं कि निर्वाचन आयोग के फैसले के विरोध में कोर्ट में क्या-क्या दलीलें दी गई हैं?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध जनहित याचिका में कहा गया है कि हर पोलिंग स्टेशन पर वोटरों की अधिकतम संख्या 1500 करने का मतलब है कि मतदाताओं को मतदान के काम से वंचित रखा जा रहा है.

याचिकाकर्ता सोशल एक्टिविस्ट की ओर से कोर्ट के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि ऐसे विवादित फैसले से कुछ वंचित समूह चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे, क्योंकि वे मतदान के लिए समय ही नहीं निकाल पाएंगे.

आयोग को याचिका की प्रति देने का निर्देश

कोर्ट ने इस पर किसी पक्ष को कोई नोटिस दिए बिना ही निर्देश जारी किया है कि कि याचिका की अग्रिम प्रति निर्वाचन आयोग के नामित/स्थायी अधिवक्ता को दी जाए. इसके जरिए वे तथ्यात्मक स्थिति पर निर्देश प्राप्त कर सकेंगे और अगली सुनवाई की तारीख पर कोर्ट में मौजूद रह सकेंगे. यह मामला 02 दिसंबर 2024 से शुरू होने वाले हफ्ते में सूचीबद्ध किया गया है.

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अभिषेक मनु सिंघवी ने दी दलील

सात अगस्त 2024 को चुनाव आयोग की ओर से जारी चुनाव आयोग के कम्युनिकेशन के खंड 7.4 (iii) को सिंघवी ने कोर्ट में पढ़ा. उन्होंने दलील दी कि यदि किसी मतदान केंद्र पर 1500 तक वोटर हैं तो युक्ति संगत बात नहीं होगी. अगर संख्या 1500 से अधिक होगी तो एक नया मतदान केंद्र बनाना पड़ेगा. उन्होंने कुछ अखबारों की रिपोर्ट का भी हवाला दिया. इन रिपोर्ट में बताया गया है कि लंबी लाइनों/प्रतीक्षा अवधि और खराब मौसम के कारण वोटर हतोत्साहित हो जाते हैं.

न्यायमूर्ति ने की टिप्पणी

सिंघवी की दलीलें सुनकर जस्टिस खन्ना ने टिप्पणी की कि निर्वाचन आयोग भी नहीं चाहेगा कि वोटर हतोत्साहित हों. उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि अधिक से अधिक वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करें. साथ ही वोटिंग में लगने वाले समय को यथासंभव कम किया जाए. साथ ही पीठ ने याचिका के इस स्तर पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया. सिंघवी से कहा कि याचिका की अग्रिम प्रति वह आयोग को सौंप दें.

कोरोना काल में घटी थी वोटरों की संख्या

कोरोना काल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान एक बूथ पर 1200 मतदाताओं के वोट डालने की व्यवस्था की गई थी. इसे समाप्त कर निर्वाचन आयोग ने एक बार फिर से पुरानी व्यवस्था लागू करने का निर्देश जिला प्रशासन को दिया है. इससे पहले की तरह एक बार फिर से एक बूथ पर 1500 मतदाता वोट सकेंगे. इस निर्णय से बूथों की संख्या भी घटेगी.

संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत याचिका

इसी फैसले के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह मुद्दा पूरे देश से संबंधित है. महाराष्ट्र, बिहार और दिल्ली से भी संबंधित है, जहां जल्द चुनाव होने वाले हैं. याचिकाकर्ता का तर्क है कि हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के फैसले का किसी भी आंकड़े ने समर्थन नहीं किया है. वरिष्ठ वकील सिंघवी ने जब पीठ के सामने जोर दिया कि तुरंत राहत की जरूरत है तो जस्टिस खन्ना ने कहा कि पहले भी निर्वाचन आयोग वोट डालने में लगने वाले समय पर अपना रुख स्पष्ट कर चुका है. याचिकाकर्ता को इसकी भी जांच करनी चाहिए.

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