ट्रंप के सामने इन 10 चुनौतियों का पहाड़ ?

ट्रंप के सामने इन 10 चुनौतियों का पहाड़, जानें जीत के बाद भी रास्ता क्यों आसान नहीं

Challenges for Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के लगातार तीसरी बार उम्मीदवार रहे डोनाल्ड ट्रंप ने बाजी मार ली है. इससे पहले के चुनाव में जो बाइडन ने उनसे सत्ता छीन ली थी. जनवरी में शपथ लेने जा रहे अमेरिका के नए राष्ट्रपति के सामने ढेरों चुनौतियां भी होंगी. आइए जान लेते हैं कि सत्ता संभालने के बाद अर्थव्यवस्था से लेकर विदेशी मुद्दों तक डोनाल्ड ट्रंप के रास्ते में कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियां होंगी?

ट्रंप के सामने इन 10 चुनौतियों का पहाड़, जानें जीत के बाद भी रास्ता क्यों आसान नहीं

ट्रंप ने चुनाव तो जीत लिया है, लेकिन उनके सामने महंगाई और बेरोजगारी समेत 10 बड़ी चुनौतियां हैं.

अमेरिका में पांच नवंबर को हुए चुनाव के बाद रिपब्लिकन पार्टी के लगातार तीसरी बार उम्मीदवार रहे डोनाल्ड ट्रंप ने बाजी मार ली है. इससे पहले के चुनाव में जो बाइडन ने उनसे सत्ता छीन ली थी. जनवरी में शपथ लेने जा रहे अमेरिका के नए राष्ट्रपति के सामने ढेरों चुनौतियां भी होंगी. आइए जान लेते हैं कि सत्ता संभालने के बाद अर्थव्यवस्था से लेकर विदेशी मुद्दों तक डोनाल्ड ट्रंप के रास्ते में कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियां होंगी?

 

1- महंगाई को काबू में करना होगा2022 में महंगाई 40 साल के अपने उच्चतम स्तर चली गई थी और अब इसमें कमी आई है पर न्यूयॉर्क के बिजनेसमैन ट्रंप ने इसे चुनाव के दौरान काफी भुनाया. साथ ही लोगों से चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने यह वादा भी किया था कि वह महंगाई को काबू में करेंगे. यह और बात है कि सीधे कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के पास सीमित शक्तियां हैं. ट्रंप ने ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने का भी दावा किया है, जिससे इसकी कीमतें नियंत्रित होंगी. इसको लेकर जानकार बहुत आशान्वित नहीं हैं. ट्रंप ने कहा थआ कि वह बिना कागजात देश में रह रहे प्रवासियों पर कार्रवाई कर और संघीय जमीन पर घर बनाने की योजना लाकर आवास की लागत में कमी लाएंगे.

2-बढ़ते कर्ज और वित्तीय घाटे पर नियंत्रणअमेरिका के नए राष्ट्रपति के सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ते राष्ट्रीय कर्ज और वित्तीय घाटे पर नियंत्रण करना होगा. अमेरिका की सरकार पहले ही 26 ट्रिलियन डॉलर पब्लिक कर्ज का सामना कर रही है. अनुमान है कि अगले एक दशक में यह बढ़कर करीब दोगुना हो जाएगा. अगर ट्रंप अपने 2017 के टैक्स घटाने की पहल को जारी रखने के वादे पर खरे उतरते हैं तो कर्ज की चिंता और भी बढ़ेगी. उन्होंने 2017 में अपने कार्यकाल के दौरान टैक्स में कटौती की थी जो अगले साल खत्म हो रही है. अब उन्होंने एक बार फिर से इसे जारी रखने की घोषणा की है. अगर ऐसा होता है तो देश के वित्तीय घाटे में भी 4.5 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी होगी.

Donald trump winning speech

3-सरकार कर्ज लेने की सीमा बनेगी मुद्दाअमेरिका में जनवरी 2025 में संघीय कर्ज की सीलिंग का फिर से निर्धारिण होगा. सरकार की कर्ज लेने की लिमिट को लेकर कांग्रेस में सरकार और विपक्ष आमने-सामने भी आ सकते हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इस मुद्दे पर राजनीतिक मतभेद के कारण नई सरकार की चिंता बढ़ सकती है. वैसे भी अमेरिकी सीनेट में भले ही रिपब्लिकन को बहुमत मिला है पर हाउस ऑफ रीप्रेजेंटेटिव्स में किसी भी दल के पास बहुमत नहीं है. ऐसे में स्थितियां और भी अनिश्चित होंगी.

4-विदेशी सामानों पर भारी-भरकम टैरिफट्रंप जब इससे पहले राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने अमेरिका में मुक्त व्यापार को बढ़ावा दिया था, पर चीन से होने वाले सामान के आयात पर लगाए गए टैक्स को जो बाइडन ने भी जारी रखा था. इस बार उन्होंने ज्यादातर विदेशी सामानों के आयात पर 10 से 20 फीसदी नया टैरिफ लगाने का प्रस्ताव किया है, जबकि चीन से आयात के मामले में यह 60 फीसद तक पहुंच जाएगा. इसका उद्देश्य स्वदेशी वस्तुओं और निर्माताओंं-उत्पादकों को बढ़ावा देना और आउटसोर्सिंग पर लगाम कसना है . हालांकि, आर्थिक जानकारों का मानना है कि उनके इस कदम से उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना होगा.

5-नए कानून बनाना आसान नहींडोनाल्ड ट्रंप के सामने एक और बड़ी चुनौती यह होगी कि अमेरिकी कांग्रेस में बंटवारे के कारण उनके लिए महत्वपूर्ण नए कानून पास करा पाना आसान नहीं होगा. सीनेट में रिपब्लिकन के बहुमत के बावजूद पूरी कांग्रेस पर किसी पार्टी का नियंत्रण नहीं है. ऐसे में ध्रुवीकरण के कारण उनके सामने चुनौतियां होंगी, क्योंकि अलग-अलग मुद्दों पर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद के कारण सरकारी फंडिंग भी प्रभावित होगी.

5-अबॉर्शन का मुद्दासाल 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन का संवैधानिक अधिकार खारिज कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रपति पद के लिए यह पहला चुनाव था. यह लैंडमार्क फैसला देने वालों में वे तीन जज भी थे, जिन्हें अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने नियुक्त किया था. इस मुद्दे को डेमोक्रेटिक पार्टी ने चुनाव में भी भुनाने की कोशिश की थी, क्योंकि कई राज्यों में अबॉर्शन पर रोक लगानी पड़ी थी. ट्रंप भी लगातार मानते रहे हैं कि राज्यों के पास अबॉर्शन पर अपने कानून होने चाहिए. फ्लोरिडा में छह हफ्ते के बैन के मुद्दे पर ट्रंप ने कहा था कि वह अबॉर्शन के अधिकार के मुद्दे पर वह मतदान का विरोध करेंगे. चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह राष्ट्रीय स्तर पर अबॉर्शन पर बैन के कानून पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे.

Donald Trump

7- इमिग्रेशन का मामला सुलझाना होगाविदेश से संबंधों की बात आती है तो अमेरिका में इमिग्रेशन का मुद्दा सबसे पहले उठता है. यह ट्रंप की प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर रहता है. साल 2016 में उन्होंने कहा था कि इस पर वह दीवार खड़ी कर देंगे और बाकायदा इसे नारा बना लिया था. 2023 के आखिर में अमेरिकी सीमाएं पार करने वालों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई थी. हालांकि, इस साल इसमें कमी आई है. ट्रंप ने अपनी सीमाओं को दीवार पूरी तरह खड़ी कर और सीमा सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाकर पूरी तरह से सील करने का वादा किया है. उन्होंने अमेरिका के इतिहास में बिना कागजात रहने वाले सबसे ज्यादा लोगों को देश से निर्वासित करने का वादा भी किया है. देखना होगा कि इसका सामना कैसे करते हैं.

8-यूक्रेन-रूस युद्ध को 24 घंटे में कैसे रोकेंगेरिपब्लिकन पार्टी की विदेश नीति में खुद को दुनिया के दूसरे देशों के बीच मतभेदों से दूर रखना शामिल है. ट्रंप ने यह भी प्रतिज्ञा की है कि वह यूक्रेन-रूस युद्ध को रूस के साथ बातचीत कर 24 घंटे में समाप्त करवा देंगे. उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए प्रचार के दौरान कहा था कि मैं जेलेंस्की और पुतिन को बहुत अच्छे से जानता हूं. मैं मानता हूं कि युद्ध खत्म होना अमेरिका के हित में होगा. हालांकि, यह बात और है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला ही इसलिए किया था कि वह नाटो के करीब जा रहा था. ऐसे में ट्रंप ने यह नहीं बताया है कि वह पद संभालने के बाद 24 घंटे में युद्ध कैसे रोकेंगे.

9-इजराइल और हमास के मुद्दे पर क्या रहेगा रुखट्रंप ने अपनी छवि इजराइल के समर्थक के रूप में बना रखी है और अमेरिका के कॉलेजों में उनकी छवि फिलिस्तीन विरोधी के रूप में है. इसके बावजूद वह कई बार गाजा में इजराइल के हमले के तरीके की निंदा करते रहे हैं. वह तो यहां तक कह चुके हैं कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो इजराइल-गाजा युद्ध ही नहीं होता. इस मुद्दे पर भी उन्होंने स्पष्ट नहीं किया है कि यह युद्ध कैसे रोकेंगे

10-फिलिस्तीन को किया था नाराजराष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने अमेरिकी दूतावास येरुशलम स्थानांतरित कर फिलिस्तीन को नाराज किया था और वेस्ट बैंक में इजराइली सेटलमैंट पर भी उन्हीं के प्रशासन ने रोक लगाई थी.

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