चिटफंड कंपनी:13 साल से नहीं मिले पैसे, फिर आए 11 हजार आवेदन

चिटफंड कंपनी:2 एक्ट के बाद भी 13 साल से नहीं मिले पैसे, फिर आए 11 हजार आवेदन

पैसा जल्द डबल करने की लालच डेढ़ लाख निवेशकों को ले डूबी। वर्तमान में इन्हें पैसा वापस दिलाने के लिए दो एक्ट चलन में हैं पर सिस्टम की पेचीदगी पैसा दिलाने में मदद करने की स्थिति में नहीं हैं। इसी झंझट में 13 साल गुजर गए हैं। निराश हो चुके निवेशकों ने केंद्र सरकार के वर्ष 2019 में बने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम के तहत पैसा वापस मिलने की उम्मीद में फिर से आवेदन जमा किए। इनकी संख्या 10 हजार 600 से अधिक है। दूसरी बार जमा हुए इन आवेदनों की कलेक्ट्रेट में छंटनी चल रही है। इसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।

दूसरी बार जमा हुए आवेदनों में एक व्यक्ति ऐसा भी है जिसने उत्कल मल्टी क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में 80 बार निवेश किया। जल्द पैसा डबल करने वाली इसी कंपनी में मानिक चौधरी ने 8 साल पहले 8 लाख रुपए और दो भाई अजय तथा अभय ने 20 लाख निवेश किए। इन्हें एजेंट आज भी भरोसा दे रहा है कि पैसा वापस मिलेगा। मानिक ने कहा कि कुछ दिन पहले कलेक्ट्रेट में पैसा वापसी का आवेदन कर दिया है। वहीं इस कंपनी के एजेंट भरत प्रजापति ने कहा कि वे ग्राहकों के पैसों की वापसी के लिए मंत्रियों से पत्र लिखवाकर कलेक्टर से मिल चुके हैं। उन्हें उम्मीद है कि अभी पैसा वापस मिलेगा।

कार्रवाई के लिए ये दो एक्ट पर अफसर गंभीर ही नहीं

  • मप्र निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत कलेक्टर को चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई का अधिकार है। इसके तहत 1 लाख 47 हजार से अधिक आवेदन जमा हो चुके हैं। पैसा वापसी सिर्फ 4 हजार​ निवेशकों को सिर्फ 12 करोड़ मिले हैं, फिलहाल कार्रवाई बंद है।
  • केंद्र सरकार का अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम (वड्स) 2019 में बना। इस पर कार्रवाई 2024 में प्रारंभ हुई। प्रशासन ने 17 मार्च से 16 मई के बीच शासन को कई पत्र लिखे। इसके बाद संभाग आयुक्त को इस मामले में कार्रवाई के लिए अधिकृत किया गया पर कार्रवाई चालू नहीं हो सकी है। इसके तहत 10 हजार 600 से ज्यादा आवेदन जमा हो चुके हैं।

55 से ज्यादा कंपनियों की संपत्ति की रजिस्ट्री पर रोक

कलेक्ट्रेट में रखे 130 कंपनियों से जुड़े निवेशकों के आवेदन ।

कंपनी पहले 33 थीं अब संख्या बढकर 160 पहुंची

वर्ष 2011 में चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई चालू हुई थी। तब जिले में इनकी संख्या 33 थी। सर्वाधिक निवेशक परिवार डेयरी के निकले। आवेदन जमा होने पर चिटफंड कंपनियों की संख्या 160 तक पहुंच गई। वर्तमान में जो आवेदन जमा हुए हैं वह 136 कंपनियों से जुड़े हैं। छंटनी की प्रक्रिया पूरी होने पर अभी इनकी संख्या और बढ़ सकती है।

पहले बाबा, अब नाती ने किया आवेदन, उम्मीदें टूटी

आठ साल पहले 20 हजार रुपए का निवेश कर चुके बुजुर्ग रामेश्वर जाटव को अब न तो कंपनी याद है न तारीख। उनके परिजन ने कहा कि घर में सिर्फ एफडी रखी हैं। ऐसे ही कमल किशोर के नाती ने कहा कि नाना ने कई साल पहले लगभग 1 लाख जमा किए थे, किस कंपनी में और कब यह याद नहीं है। एडीएम दफ्तर में आवेदन को दुबारा जमा करवा दिया है।

प्रशासन अब तक 55 से ज्यादा चिटफंड कंपनियों की संपत्ति की रजिस्ट्री पर रोक लगा चुका है। इसके बाद भी कलेक्टर तक आए दिन रोक के बाद भी ​चिटफंड कंपनी की संपत्तियों की रजिस्ट्री होने की शिकायतें पहुंच रही हैं।

नए बड्स एक्ट में चल रही है आवेदन की छटनी

“नए बड्स एक्ट के तहत हाल में जो आवेदन जमा हुए हैं उनकी छंटनी चल रही है। कई चिटफंड कंपनी ऐसी हैं जिनके आवेदन पहले भी जमा हो चुके हैं। इन्हें अलग किया जा रहा है। कुछ ऐसे आवेदन भी जमा हुए हैं जो बाहरी कंपनियों के हैं।। लगभग 15 कंपनियों की संपत्ति कुर्क के प्रकरण कोर्ट में लंबित हैं।”

– टीएन सिंह, एडीएम

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