चिंताजनक: 18 साल में 72% बढ़ा प्रदूषण ?

चिंताजनक: 18 साल में 72% बढ़ा प्रदूषण, विकट हालात में सेहत को नुकसान; सात साल कम जीते हैं इस क्षेत्र के लोग

शोधकर्ताओं के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के बाहर लगे मॉनिटरिंग स्टेशनों से गंगा के मैदानी इलाकों से जो आंकड़े मिले हैं, वे सर्दी में होने वाले प्रदूषण के अलग पैटर्न को दर्शाते हैं। सर्दियों में गंगा के मैदानी इलाकों में प्रदूषण का स्तर अन्य इलाकों से ज्यादा है, लेकिन एनसीआर के मुकाबले अधिक नहीं है।

प्रदूषण के चलते सांसों पर संकट बनी जहरीली हवा सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों के लोगों की उम्र कम कर रही है। सर्दियों में तापमान कम होने और हवा की धीमी गति जैसी प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों से प्रदूषण जानलेवा हो जाता है। जिसके चलते यहां के लोग बाकी देश के मुकाबले सात साल कम जीते हैं। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बिहार और पश्चिम बंगाल इसी इलाके में आते हैं। यह खुलासा हुआ है यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ईपीआईसी) के अध्ययन में।

शोधकर्ताओं के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के बाहर लगे मॉनिटरिंग स्टेशनों से गंगा के मैदानी इलाकों से जो आंकड़े मिले हैं, वे सर्दी में होने वाले प्रदूषण के अलग पैटर्न को दर्शाते हैं। सर्दियों में गंगा के मैदानी इलाकों में प्रदूषण का स्तर अन्य इलाकों से ज्यादा है, लेकिन एनसीआर के मुकाबले अधिक नहीं है। मैदानी इलाकों में चिंताजनक रूप से प्रदूषण का स्तर अधिक है और लंबी दूरी होने के बावजूद प्रदूषण में समानता दिखी। अध्ययन के अनुसार, सर्दियों के दो महीनों के दौरान यह विकट स्थिति यहां के निवासियों की सेहत के लिए लिए ठीक नहीं है।

72 फीसदी बढ़ा प्रदूषण 18 साल के भीतर
अध्ययन के अनुसार, 1998 से 2016 तक इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण 72 फीसदी बढ़ा है। दक्षिण एशिया में इंडो गंगा के मैदानों को पारा समेत प्रदूषकों का हॉटस्पॉट माना जाता है। इसकी वजह उनकी बड़ी आबादी, तेज आर्थिक विकास और औद्योगीकरण भी है।

चिंता यह…फेफड़े में प्रवेश कर जाते हैं पीएम 2.5 के कण...सर्दी आने के साथ ही यहां वायु गुणवत्ता जहरीली होती जाती है और पीएम10 में पीएम2.5 की मात्रा बढ़ जाती है। पीएम10 में पीएम2.5 की हिस्सेदारी हवा में विषाक्तता का पैमाना होती है। पीएम2.5 की मात्रा बढ़ने से इसके कण हवा के माध्यम से फेफड़े में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य का जोखिम बढ़ जाता है।

पराली जलने से 40 फीसदी प्रदूषण
पंजाब व हरियाणा में जलने वाली धान की पराली को कुल प्रदूषण के 40  फीसदी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इस साल हरियाणा के 80 लाख टन की तुलना में पंजाब में 1.952 करोड़ टन धान की डंठल निकलने का अनुमान लगाया है। 2023 में पराली जलाने की घटनाओं में 59 फीसदी की गिरावट हुई। हरियाणा में भी 40 फीसदी की गिरावट रही, लेकिन यूपी में 30 फीसदी की वृद्धि देखी गई।

दुनिया की नौ फीसदी आबादी इसी इलाके में
सिंधु-गंगा के मैदानों में भारत के उत्तर व पूर्वी भाग का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग और करीब-करीब पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र में दुनिया की कुल आबादी का 9 फीसदी हिस्सा रहता है। इसके भारतीय क्षेत्र में कुल आबादी की 40 फीसदी जनसंख्या निवास करती है। सिंधु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र और उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है।

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