1000वें दिन तक आई रूस और यूक्रेन की लड़ाई !

Russia-Ukraine War: 1000वें दिन तक आई रूस और यूक्रेन की लड़ाई; जानें 21वीं सदी के सबसे घातक संघर्ष की कहानी

Russia-Ukraine War: युद्ध के चलते यूक्रेन की जन्म दर ढाई साल पहले की तुलना में अब एक तिहाई रह गई है। करीब 40 लाख लोग यूक्रेन के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। जबकि 60 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक विदेश में शरण ले चुके हैं। युद्ध के कारण यूक्रेन की जनसंख्या में करीब एक करोड़ से अधिक लोगों की कमी आई है।

आज रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक हजार दिन पूरे हो गए हैं। यह युद्ध यूरोप का सबसे घातक संघर्ष बन चुका है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे बड़ा संकट है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्ध में अब तक एक दस लाख से अधिक लोग या तो मारे जा चुके हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। साल 2022 में शुरू हुए 21वीं सदी के इस घातक संघर्ष में यूक्रेन के शहर, कस्बे और गांव पूरी तरह तबाह हो गए हैं। जान-माल का नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है और युद्ध ग्रस्त देश से दिल दहला देने वाली खबरें सामने आई रही हैं। युद्ध के शुरू होने के बाद से यूक्रेन अब कहीं ज्यादा कमजोर हो गया है। 

वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघर्ष से परिचित लोगों ने बताया कि युद्ध में 80 हजार यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और चार लाख से अधिक घायल हुए हैं। वहीं पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, रूस के सैनिकों की मौत के आंकड़े अलग-अलग हैं। कुछ रिपोर्ट्स में मारे गए सैनिकों की संख्या करीब दो लाख तक और घायलों की संख्या चार लाख के आसपास बताई गई है। दोनों देशों की जनसंख्या पहले से ही घट रही थी और युद्ध से पहले से ही वह इस संकट का सामना कर रहे थे। युद्ध के कारण हुई भारी मौतों का दोनों देशों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों पर असर देखने को मिल रहा है। 
युद्ध में मारे जा चुके 10 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार मिशन के मुताबिक, अगस्त 2024 तक यूक्रेन में कम से कम 11,743 नागरिक मारे गए हैं और 24,614 घायल हुए हैं। यह आंकड़े असल में और अधिक हो सकते हैं, खासकर उन इलाकों में जहां रूस का कब्जा है, जैसे मारियोपोल। इसके अलावा, यूक्रेन में अब तक 589 बच्चे भी मारे जा चुके हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अग्रिम मोर्चों पर भीषण संघर्ष में हजारों लोग मारे गए हैं, जहां निरंतर तोपों की बौछार के बीच टैंक, आर्म्ड वाहन और थल सैनिक हमले कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्ष युद्ध में मारे गए अपने सैनिकों के आंकड़े को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गोपनीय रखते हैं और पश्चिमी देशों की खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर दिए गए अनुमानों में बहुत अंतर है। अनुमान हैं कि रूस को भी सैन्य हताहतों के मामले में भारी नुकसान हुआ है। भीषण युद्ध के दौरान रूस के एक दिन में ही एक हजार से अधिक सैनिक मारे गए हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने फरवरी 2024 में कहा था कि 31 हजार से अधिक यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं, जिसे विश्लेषक सही अनुमान मानते हैं।   
खत्म हो गई यूक्रेन की 25 फीसदी आबादी
युद्ध के चलते यूक्रेन की जन्म दर ढाई साल पहले की तुलना में अब एक तिहाई रह गई है। करीब 40 लाख लोग यूक्रेन के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। जबकि 60 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक विदेश में शरण ले चुके हैं। युद्ध के कारण यूक्रेन की जनसंख्या में करीब एक करोड़ से अधिक लोगों की कमी आई है, जो इसकी जनसंख्या का लगभग एक चौथाई है। इसका मतलब है कि यूक्रेन की 25 फीसदी जनसंख्या खत्म हो गई। यूक्रेन की सरकार के अनुमान के मुताबिक युद्ध का दैनिक खर्च 140 मिलियन डॉलर से भी अधिक है। यूक्रेन ने 2025 के प्रस्तावित बजट में करीब 26 फीसदी यानी 53.3 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य रखा है।   
युद्ध से यूक्रेनी अर्थव्यवस्था को हुआ भारी नुकसान
युद्ध के कारण यूक्रेन की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। 2022 में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में 33 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि 2023 में यह स्थिति थोड़ा बेहतर हुई और नुकसान 22 फीसदी तक सीमित रहा। रॉयटर्स ने विश्व बैंक, यूरोपीय आयोग, संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन सरकार के ताजा आकलन का हवाला देते हुए बताया कि अब तक, यूक्रेन की ओर से 152 अरब डॉलर का सीधा नुकसान रिपोर्ट किया गया है और पुनर्निर्माण की कुल लागत 486 अरब डॉलर के करीब होने का अनुमान है। युद्ध से सबसे ज्यादा आवास, परिवहन, वाणिज्य और उद्योग, उर्जा और कृषि क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। 
रूसी हमलों से यूक्रेन का उर्जा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित
यूक्रेन का उर्जा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, क्योंकि रूस लगातार यूक्रेन के दूरदराज के बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है। इसके अलावा, यूक्रेन दुनिया के प्रमुख अनाज उत्पादक देशों में से एक है और युद्ध की शुरुआत में उसके निर्यात में रुकावट ने वैश्विक खाद्य संकट को और अधिक बढ़ा दिया था। हालांकि, अब यूक्रेन ने इस स्थिति से उबरने के उपाय खोजे हैं और निर्यात अब काफी हद तक फिर से बहाल हो गया है। उसने रूस की नाकेबंदी को दरकिनार करने के रास्ते निकाल लिए हैं। 
यूक्रेन के करीब 1/5 हिस्से पर कब्जा कर चुका रूस
रॉयटर्स के मुताबिक, रूस अब यूक्रेन के लगभग एक पांचवें हिस्से पर कब्जा कर चुका है और उसे अपने नियंत्रण में ले चुका है, जो ग्रीस के आकार के बराबर है। रूस की सेना ने 2022 की शुरुआत में यूक्रेन के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण हिस्सों में धावा बोला था और उत्तर में कीव के बाहरी इलाकों तक पहुंच बनाई और दक्षिण में निप्रो नदी को पार किया। रूस ने यूक्रेन के पूर्वी डोनबास क्षेत्र का लगभग पूरा हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया है और दक्षिण में अजोव सागर के पूरे तट को अपने नियंत्रण में ले लिया है। 
यूक्रेनी पहचान को नकारते रहे हैं पुतिन
यूक्रेन एक समय रूसी साम्राज्य का हिस्सा था और बाद में सोवियत संघ का भी हिस्सा रहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई मौकों पर कहा है कि उनका मकसद यूक्रेन को फिर से रूस का हिस्सा बनाना है। पुतिन यूक्रेनी राज्य और पहचान को नकारते हुए दावा कर चुके हैं कि यूक्रेनी लोग असल में रूसी हैं। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने न सिर्फ लाखों लोगों की जान ली, बल्कि इसने दोनों देशों की जनसंख्या, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को गहराई से प्रभावित किया है। इस युद्ध ने एक नया वैश्विक संकट पैदा किया। 
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रूस-यूक्रेन War के 1000 दिन पूरे !
120 मिसाइलों से हमला; तापमान 0 डिग्री और अंधेरे में 30 लाख लोगों की INSIDE STORY

Russia Ukraine War करीब तीन साल साल से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। इससे दुनिया भर के कई देश प्रभावित हैं। यूरोपीय देशों पर भी इसका असर पड़ा है। ऐसे में भारत समेत तमाम देश इस युद्ध को रोकने का समर्थन कर रहे हैं। वहीं अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने युद्ध विराम की योजना बना ली है।

  1. ट्रंप कई बार कर चुके हैं रूस-यूक्रेन युद्ध पर विराम लगाने की बात।
  2. रविवार को रूस में यूक्रेन के पावर ग्रिड पर सबसे बड़ा हमला किया है।
  3. युद्ध की वजह से दोनों देशों के दसियों हजार सैनिक मारे जा चुके हैं।
नई दिल्ली। Russia Ukraine War।  रूस-यूक्रेन युद्ध को 1000 दिन से ज्यादा होने वाले हैं। 24 फरवरी 2022 को रूसी सेना ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। रूस को उम्मीद थी कि यूक्रेन ज्यादा दिनों तक युद्ध में टिक नहीं पाएगा, लेकिन करीब तीन साल से यूक्रेन की सेना रूस के हर हमले का करारा जवाब दे रही है। इतना ही नहीं,यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क पर कब्जा भी कर लिया है।
पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन को मिल रही मदद ने पुतिन सरकार (Putin) की नींद उड़ा रखी है। हालांकि, रूस को उम्मीद है कि ट्रंप शासन में अमेरिका से यूक्रेन को मिल रही मदद पर विराम लग सकता है। बता दें कि चुनाव कैंपेन के दौरान ट्रंप कई बार ये बात बोल चुके हैं कि वो चाहें तो एक दिन में ही रूस-यूक्रेन का युद्ध रुकवा सकते हैं।
कुछ दिनों पहले ट्रंप ने कहा था कि लगभग तीन वर्ष से जारी इस युद्ध में अभी तक लाखों लोग मारे जा चुके हैं। ये लोग सैनिक भी हैं और आमजन भी। इसलिए हमें युद्ध रुकवाने के लिए कार्य करना होगा।
ट्रंप ने कहा था कि उनकी सरकार की प्राथमिकता युद्ध रुकवाने की होगी, क्योंकि यह अमेरिकी संसाधनों को बहाने जैसा मामला है। अमेरिकी संसाधनों से ट्रंप का मतलब यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता से है।
बाइडन सरकार ने की यूक्रेन की मदद
वहीं, जाते-जाते जो बाइडन यूक्रेन को युद्ध में अगले वर्ष दिक्कत न हो इसका इंतजाम करने जा रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन यूक्रेन की मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसलिए वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यूक्रेन अगले साल रूस के आक्रमण से लड़ सके। इसके लिए यथासंभव सहायता भेज रहे हैं, जिससे यूक्रेन रूसी सेनाओं को दूर रखने में सक्षम हो सके और संभावित हमले में मजबूत पकड़ बना सके।
सर्दियों में यूक्रेन वासियों का जीना हुआ मुहाल
सर्दियों के समय युद्ध लड़ना यूक्रेन के लिए एक बड़ी चुनौती है। वहीं,  रविवार को रूस में यूक्रेन के पावर ग्रिड पर सबसे बड़ा हमला किया है। रूस का मकसद है कि यूक्रेन  के ऊर्जा ग्रिड को निशाना बनाया जाए। कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि रूस ने यूक्रेन की बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर का आधा हिस्सा नष्ट कर दिया है। 


कीव ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से अपने ऊर्जा ग्रिड के पुनर्निर्माण में मदद की गुहार लगाई है। यूक्रेन में कठोर सर्दी तेजी से आ रही है और देश पहले से ऊर्जा की बड़ी कमी से जूझ रहा है। इस समय सैकड़ों यूक्रेन वासियों ने मेट्रो स्टेशनों में बने बंकरों में शरण ले ली है। 

 

हजारों लोग गंवा चुके हैं जान

युद्ध शुरू होने के बाद से दोनों देशों के दसियों हजार सैनिक मारे गए हैं और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कम से कम 11,700 यूक्रेनी नागरिक मारे गए हैं।
रुस युद्ध रोक देगा अगर…
रूस चाहता है कि यूक्रेन NATO में शामिल न हो। रूस चाहता है कि यूक्रेन तटस्थ रहे। रूस यह भी चाहता है कि यूक्रेन अपने कुछ इलाकों को रूसी क्षेत्र मान ले।  रूस का कहना है कि अगर यूक्रेन इन शर्तों को मान लेता है तो वह बातचीत के लिए तैयार है।  रूस ने यह भी कहा है कि वह यूक्रेनी सैनिकों की सुरक्षित वापसी की गारंटी देगा। 

रूस ने बातचीत के लिए रखी हैं ये शर्त  

  • पहली शर्त: यूक्रेन हमेशा एक तटस्थ, गुटनिरपेक्ष और परमाणु हथियारों से मुक्त देश रहे।
  • दूसरी शर्त: यूक्रेन, रूस की सीमा से अपनी सेना हटा ले।
  • तीसरी शर्त: यूक्रेन लुहान्स्क, दोनेत्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया को रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता दे।
  • चौथी शर्त: क्रीमिया और सेवस्तोपोल की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय संधियों में मान्यता दी जाए।
  • पांचवीं: रूस पर लगे सभी पश्चिमी प्रतिबंध हटा लिए जाएं।

दोनों देशों से भारत ने क्या की है अपील? 

इस युद्ध को लेकर भारत लगातार अपनी प्रतिक्रिया दुनिया से साझा करता आया है। युद्ध के बीच रूस और यूक्रेन का दौरा करने वाले पीएम मोदी लगातार इस बात पर जोर देते आए हैं कि बातचीत के जरिए हर समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।
 

पीएम मोदी ने कहा है कि भारत शांति और स्थिरता की शीघ्र वापसी का पूर्ण समर्थन करता है। भारत मानवता को प्राथमिकता देता। भारत आने वाले समय में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

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