4 अफसरों के निलंबन के बाद लखीमपुर डीएम से जवाब-तलब ?
4 अफसरों के निलंबन के बाद लखीमपुर डीएम से जवाब-तलब:जमीन की पैमाइश का मामला, पूर्व जिलाधिकारी से भी मांगा गया स्पष्टीकरण
लखीमपुर खीरी में जमीन पैमाइश मामले में 4 अफसरों के निलंबन के बाद अब डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और पूर्व जिलाधिकारी रहे महेंद्र बहादुर सिंह को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।नियुक्ति विभाग ने दोनों आईएएस अधिकारियों को नोटिस भेजा है। मामले में शासन ने एक आईएएस समेत तीन पीसीएस अफसरों को सस्पेंड किया है।
महेंद्र बहादुर सिंह अक्टूबर 2021 से जून 2024 तक जिलाधिकारी रहे हैं। दुर्गा शक्ति नागपाल 25 जून 2024 से लखीमपुर की डीएम हैं। नियुक्ति विभाग ने इन दोनों अधिकारियों से पूछा है कि छह साल से लटके पैमाइश के मामले को इन्होंने समीक्षा के दौरान क्यों नहीं देखा?
जानिए पूरा मामला
रिटायर्ड शिक्षक है RSS लीडर
नकहा ब्लाक के रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर संघ से जुड़े हुए हैं। 6 साल पहले उन्होंने भूमि की पैमाइश कराने के लिए SDM के यहां वाद दायर किया था। उनकी भूमि की मेड़बंदी तो करा दी गई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही विपक्षियों ने इसे तुड़वा दिया।
24 अक्टूबर को स्कूटी से SDM से मिलने पहुंचे थे विधायक
विश्वेश्वर ने इसकी शिकायत भाजपा विधायक योगेश वर्मा से की। इसके बाद 24 अक्टूबर को भाजपा विधायक स्कूटी से SDM अश्वनी सिंह से मिलने पहुंच गए थे। इस दौरान पता चला कि अफसरों और लेखपाल ने RSS लीडर से 5 हजार सुविधा शुल्क भी लिया, लेकिन जमीन पैमाइश नहीं की।
इसका वीडियो भी सामने आया था। इसमें RSS लीडर SDM से कह रहे हैं- कानूनगो फोन नहीं उठाते। इसलिए उन्हें वॉट्सऐप किया कि विपक्षियों को कब बुलाएंगे। इसके बाद उन्होंने ये डॉक्यूमेंट वॉट्सऐप पर भेजा।
पैमाइश के लिए घूस में 5000 रुपए लिए, वापस करिए
इसी बीच विधायक कहते हैं- 6 साल पुराना मामला है, 6 साल से पैमाइश चल रही है। विश्वेश्वर दयाल की भूमि की पैमाइश के लिए घूस में 5000 रुपये लिए गए, उसे वापस कराइए, तभी मैं यहां से जाऊंगा। इस दौरान अफसर असहज दिखाई दिए।
वीडियो सामने आने के बाद नियुक्ति विभाग से पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए। लखीमपुर खीरी डीएम से केस की पूरी रिपोर्ट मांगी। पूछा गया- 6 साल पहले यानी 2019 के बाद कौन-कौन एसडीएम, तसीलदार और नायब तहसील वहां तैनात रहा। उन्होंने पैमाइश के मामले में क्या कार्रवाई की। डीएम से मिली रिपोर्ट के आधार पर चार अफसरों को इसके लिए दोषी पाया गया।