भारत की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं डंपर ?
भारत की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं डंपर, न ट्रैफिक नियमों की फिक्र और न कोई जवाबदेह
2023 में हर 100 दुर्घटनाओं में औसतन 36 लोगों की मौत हुई, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 36.5 था. यानी, मौतों की संख्या में थोड़ी सी कमी आई है.
वहीं पिछले 20 दिनों के भीतर भी कई ऐसे कई मामले आए हैं जिसमें डंपर से हुई दुर्घटना में निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई है. इन सड़क हादसों में न सिर्फ ट्रैफिक नियमों की अनदेखी उजागर हुई है, बल्कि प्रशासन की लापरवाही भी सामने आई है.
ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि आखिर भारत में डंपर से हो रही इतनी दुर्घटनाओं का कारण क्या है और इसका समाधान क्या है?
सबसे पहले समझिए क्या होता है डंपर
डंपर एक तरह का भारी वाहन होता है जिसका मुख्य उपयोग सामानों को ढोने और उसे एक जगह से दूसरी जगह तरफ ले जान के लिए किया जाता है. यह वाहन विशेष रूप से निर्माण कार्यों, खनन, और अन्य भारी सामान ढोने के लिए डिजाइन किया जाता है. डंपर में एक खुली ट्रेलर होती है, जिसमें बड़े पैमाने पर बालू, रेत, पत्थर, कोयला, या अन्य निर्माण सामग्री लादी जाती है.
डंपर की सबसे खास बात यह होती है कि इसमें लदी सामग्री को आसानी से पीछे की ओर झुका कर गिराया जा सकता है, जिसे “डंप” करना कहते हैं. इस वजह से इसे डंप ट्रक भी कहा जाता है.
हालिया घटनाओं की झलक
- महाराष्ट्र, वाघोली: एक डंपर ने तेज गति से बाइक को टक्कर मार दी, जिससे बुजुर्ग दंपति की मौके पर मौत हो गई. यह घटना खराब सड़क और ओवरलोड वाहनों के खतरों को दर्शाती है.
- मुंबई, गोरेगांव: बिना लाइसेंस वाले 22 वर्षीय सहायक चालक ने डंपर चलाते हुए एक व्यक्ति को कुचल दिया. वाहन मालिक की लापरवाही के चलते यह हादसा हुआ, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया.
- उत्तर प्रदेश और बिहार: इन राज्यों में कई हादसों में पैदल चलने वालों और दोपहिया वाहन चालकों की मौतें दर्ज हुई हैं. इन घटनाओं में अक्सर तेज गति, ड्राइवर की लापरवाही, और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन सामने आया.
दुर्घटनाओं के कारण
डंपर दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में ओवरलोडिंग (ज्यादा वजन का सामान लादना), खराब सड़कें, अनुभवहीन ड्राइवर, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और प्रशासनिक लापरवाही शामिल हैं. अक्सर बिना लाइसेंस और अपर्याप्त प्रशिक्षण वाले ड्राइवर डंपर चलाते हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं.
इसके अलावा, ओवरस्पीडिंग और नशे में वाहन चलाने जैसी समस्याएं भी आम हैं. इन हादसों के बाद प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की उम्मीद होती है, लेकिन अक्सर कार्रवाई नहीं होती.
भारत में हर साल डंपर और भारी वाहनों से जुड़े हादसों में हजारों लोगों की जान जाती है. पिछले महीने उत्तर भारत में डंपर से जुड़े 50 से अधिक हादसे हुए. इस समस्या को सुलझाने के लिए सख्त कानूनों का पालन करना जरूरी है. ड्राइवरों को नियमित प्रशिक्षण देना और वाहनों की नियमित जांच अनिवार्य करनी चाहिए. ओवरलोडिंग पर भी सख्ती से रोक लगानी चाहिए और हादसों के लिए वाहन मालिकों को भी जिम्मेदार ठहराना चाहिए. सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि आने वाले समय में इन दुर्घटनाओं को रोका जा सके.
2023 में 4.2% बढ़ा सड़क हादसा
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार (30 नवंबर) को कहा कि पिछले साल देश में 4.80 लाख से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.72 लाख से लोगों ने अपनी जान गवाई है. इस आंकड़े की तुलना साल 2022 के सड़क दुर्घटनाओं से करें तो, एक साल के भीतर हुए सड़क हादसों में 4.2% का इजाफा हुआ है और मरने वालों की संख्या में 2.6% का इजाफा हुआ है. गडकरी के अनुसार साल 2022 में 4.61 लाख सड़क दुर्घटनाएं और 1.68 लाख से अधिक मौतें हुई थी.
हालांकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अभी तक 2023 में हुए सड़क दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी नहीं की है. लखनऊ में सड़क सुरक्षा पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने बताया कि दुर्घटनाओं में मरने वालों में लगभग 10,000 मृतक बच्चे हैं.
गडकरी ने कार्यक्रम के दौरान बताया कि, “पिछले एक साल में स्कूलों और कॉलेजों के आसपास के क्षेत्रों में 35,000 दुर्घटनाएं और 10,000 मौतें हुई हैं. इसमें कुल 35,000 मौतें पैदल चलने वालों की हैं. 54,000 मौतें हेलमेट न पहनने की वजह से हुईं, जबकि 16,000 मौतें सीट बेल्ट न पहनने के कारण हुईं. इतना ही नहीं लगभग 12,000 मौतें ज्यादा वजन वाली गाड़ियों की वजह से हुईं. इसी तरह, बिना वैध लाइसेंस के गाड़ी चलाने के कारण लगभग 34,000 दुर्घटनाएं हुईं. शेष मौतें पुरानी गाड़ियों, पुराने तकनीकी कारणों जैसे ब्रेक काम न करने के कारण हुईं.”

यूपी में हो रही है सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं
गडकरी ने इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बताया कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं और उससे मरने वाले लोगों की संख्या भारत में है और इनमे से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं.
यूपी में एक साल 44,000 सड़क दुर्घटनाएं
उत्तर प्रदेश में 44,000 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें से 23,650 मौतें हुईं. इनमें से 1,800 मौतें 18 साल से कम उम्र के बच्चों की हैं, 10,000 मौतें पैदल चलने वालों और दोपहिया वाहनों के कारण हुईं. वहीं 8,726 मौतें ओवरस्पीडिंग के कारण हुईं. “
लोगों में कानून के प्रति सम्मान की कमी
गडकरी ने कहा कि ये दुर्घटनाएं इस वजह से हो रही हैं क्योंकि लोगों में कानून के प्रति सम्मान और डर की कमी है. उन्होंने कहा कि भारत में बढ़ रहे सड़क हादसों के कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण मानव व्यवहार है. यह भी सच है कि कई स्थानों पर सड़कें गड्ढों से भरी हुई हैं, अंडरपास और फुट ओवर ब्रिज की कमी है.
उन्होंने आगे बताया कि हमने इन सड़क इंजीनियरिंग समस्याओं की भी पहचान की है और राष्ट्रीय राजमार्गों पर इस तरह की समस्याओं को सुधारने के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
गडकरी आगे कहते हैं कि देश की सभी सड़कें केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के तहत नहीं आती है, मैं केवल राष्ट्रीय राजमार्गों का ही मंत्री हूं. भारत के कई राज्य मार्ग और जिला सड़कें भी हैं. यह राज्य सरकार के अंतर्गत आती है. राज्य सरकार इन दुर्घटना के कारणों की पहचान की कर इसे ठीक करने पर काम कर सकते हैं.
सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए क्या कर रही है सरकार
गडकरी ने कहा कि कंपनियों को वाहन इंजीनियरिंग सुधारने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही एक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य सरकार सड़क सुरक्षा नियमों को पाठ्यक्रम में शामिल करे.
उन्होंने आगे कहा कि हम 2024 तक दुर्घटनाओं को 50 प्रतिशत तक कम करने की बात कर रहे थे, लेकिन वे कम नहीं हुईं. इसका मतलब है कि हमें और काम करने की जरूरत है.
सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता के बारे में एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में हर 100 दुर्घटनाओं में औसतन 36 लोगों की मौत हुई, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 36.5 था. यानी, मौतों की संख्या में थोड़ी सी कमी आई है.
ओवरस्पीडिंग (तेज गति से गाड़ी चलाने) दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है. 2023 में 68.1% लोग ओवरस्पीडिंग के कारण मारे गए. इसके अलावा, दोपहिया वाहन सवारों (जैसे बाइक सवार) का योगदान दुर्घटनाओं में 44.8% था, और पैदल चलने वालों की मौतें लगभग 20% थीं.
2023 में औसतन, हर दिन भारत में 1,317 सड़क दुर्घटनाएं हुईं और 474 लोगों की मौत हुई. इसका मतलब है कि हर घंटे औसतन 55 दुर्घटनाएँ और 20 मौतें हुईं.