देशभर में बढ़ रहे साइबर फ्रॉड, DPDP एक्ट पर अमल में देरी पड़ रही भारी ?

दुनिया भर में साइबर अपराधी बेखौफ हैं। वे बेधड़क होकर वारदातों को अंजाम देने में जुटे हैं। दुनिया के कई देशों ने साइबर फ्रॉड के खिलाफ नए कानून बनाने भी शुरू कर दिए हैं। भारत सरकार ने भी डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट लाई। मगर अभी तक अमल में नहीं आया। इसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ा रहा है। इस कानून के लागू होने से डाटा सुरक्षा बढ़ेगी।

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दुनिया में तेजी से बढ़ रहा साइबर फ्रॉड। …
  1. साइबर अपराधियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर भी सहयोग की तैयारी।
  2. कई देश बना रहे साइबर फ्रॉड के खिलाफ कानून, ऑस्ट्रेलिया में मिली मंजूरी।
  3. भारत में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट के अमल में देरी।
 नई दिल्ली। भारत ही नहीं पूरी दुनिया साइबर फ्रॉड की चपेट में है। वैश्विक रूप से साइबर अटैक में वर्ष 2024 की पहली तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 76 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। कंबोडिया, म्यांमार, लाओस, चीन, रूस और ईरान साइबर फ्रॉड के पनाहगाह बनते जा रहे हैं। विश्व आर्थिक मंच (व‌र्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साइबर फ्रॉड को पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता है
नए कानून बनाने में जुटे देश
साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग की जरूरत महसूस की जा रही है। तभी भारत यूरोपीय यूनियन के साथ साइबर सहयोग पर संवाद कर रहा है। हालांकि अलग-अलग देश साइबर फ्रॉड व अपराध को रोकने के लिए खास कानून बना रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में चंद रोज पहले ही साइबर सुरक्षा के नए कानून को मंजूरी दी गई है तो अमेरिका भी अलग से साइबर सुरक्षा के लिए जल्द ही कानून लाने जा रहा है। 


अमेरिका को 12.5 अरब डॉलर का नुकसान

पिछले साल साइबर फ्रॉड से अमेरिका को 12.5 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय पिछले साल डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट लेकर तो आ गया लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया जा सका है। विशेषज्ञों का मानना है कि डीपीडीपी एक्ट के लागू होने पर साइबर फ्रॉड खासकर व्यक्तिगत रूप से होने वाले फ्रॉड को रोकने में मदद मिलेगी।
मनमानी से डाटा नहीं बेच सकेंगी कंपनियां
डीपीडीपी एक्ट में किसी भी व्यक्ति के डिजिटल डाटा को बेचना या किसी और को देना आसान नहीं रह जाएगा। व्यक्ति की रजामंदी से ही किसी के डिजिटल डाटा को कहीं और पर इस्तेमाल के लिए दिया जा सकेगा। व्यक्ति को यह जानने का हक होगा कि उसका डाटा किसी संस्था को कहां से प्राप्त हुआ। इससे फायदा यह होगा कि पहले से अगर आपका डाटा किसी कंपनी के पास है तो वह उसके इस्तेमाल या किसी और देने से पहले आपसे पूछेगा। कानून तोड़ने वालों पर करोड़ों में जुर्माना लगाया जाएगा।
 

डाटा से आसान हो जाता साइबर फ्रॉड

जानकारों का कहना है कि साइबर फ्रॉड के लिए डाटा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। बैंक कर्मचारियों की तरफ से खाताधारकों के डाटा को जालसाज के हाथ बेचने के कई मामले सामने आ चुके हैं। डाटा मिलने से जालसाज को उस व्यक्ति की महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है और उसके साथ धोखा करना आसान हो जाता है। अभी ई-कामर्स कंपनी या इंटरमीडिएरिज के पास बड़े पैमाने पर लोगों का डाटा होता है और उस डाटा का कैसे इस्तेमाल हो रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं होती है। 

डाटा का इस्तेमाल हो जाएगा सीमित

डीपीडीपी के अमल में आने पर डाटा इस्तेमाल सीमित हो जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय इन दिनों साइबर सुरक्षा को लेकर फ्रेमवर्क तैयार करने में जुटा हुआ है। नेटवर्क एंड सिस्टम सिक्युरिटी, डिजिटल फोरेनसिक, इनक्रिप्शन एंड क्रिप्टोग्राफी, ऑटोमेशन इन साइबर सिक्युरिटी, साइबर सिक्योरिटी ऑडिट्स एंड इनसिडेंट रिस्पांस जैसे सेक्टर में अनुसंधान करने व प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्रस्ताव मंगाए गए हैं ताकि साइबर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

साइबर सुरक्षा वर्कफोर्स तैयार करने की योजना
साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का समूह इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देगा। सरकार की तरफ से साइबर सुरक्षित भारत ट्रेनिंग प्रोग्राम, सरकारी कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा की जानकारी जैसे कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। सभी कंपनियों में साइबर सुरक्षा अधिकारी बहाल करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। अगले पांच साल में लाखों की संख्या साइबर सुरक्षा वर्कफोर्स तैयार करने की भी योजना है।
और उपाय भी है जरूरी
साइबर सुरक्षा अनुसंधान से जुड़ी कंपनी इनेफु लैब के संस्थापक तरुण विग ने बताया कि डाटा लीक, फिशिंग और मालवेयर के जरिए भी बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत डाटा और गोपनीय सूचना को चुराने का काम हो रहा है। लोगों के बीच साइबर योद्धा दिवस जैसे कार्यक्रम के साथ जागरूकता फैलाने व साइबर पुलिसिंग का इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। वृहद स्तर के डाटा एनालिटिक्स की मदद से साइबर फ्रॉड में शामिल लोगों की सूची तैयार करनी होगी और उन खातों को भी सामने लाना होगा जिसमें फ्रॉड से प्राप्त राशि जमा होती है।

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