महाशक्तियों के खूनी खेल का मोहरा बना था सीरिया ?

महाशक्तियों के खूनी खेल का मोहरा बना था सीरिया, भारत ने निभाई सच्ची दोस्ती

इस्लामी विद्रोहियों के सीरिया में सत्ता पर काबिज होने के एक दिन बाद भारत ने सोमवार को देश में स्थिरता लाने के लिए सीरिया की अगुवाई वाली समावेशी तथा शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया की वकालत की है.

अरब देशों की दुनिया में एक और सरकार विद्रोह का शिकार हो गई है. मिस्र में हुए तख्तापलट के बाद, लीबिया, अफगानिस्तान और अब सीरिया में सरकार के मुखिया की जान पर बन आई है. राजनीति के जानकार और समाजशास्त्री इन सरकारों के ढहने की घटनाओं पर अलग-अलग राय देते रहे हैं. वहीं, दूसरे देशों की राजधानियों में सीरिया में हुए घटनाक्रम पर गंभीरता से नजर रखी जा रही है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि सीरिया सरकार के खिलाफ चल रहा विद्रोह या गृहयुद्ध कोई साधारण घटना नहीं है; इसमें रूस और अमेरिका भी शामिल हैं. सीरिया, शतरंज की वो बिसात बन चुका है जिसमें दो खेमें तरह-तरह की चालें चलकर खूनी खेल खेल रहे थे.

अमेरिका जहां विद्रोही गुट को समर्थन कर रहा था, वहीं रूस, ईरान और हिज्बुल्लाह, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को मदद कर रहे थे. हालाँकि, ये तीनों इस समय अपनी-अपनी लड़ाई में उलझे हुए हैं. नतीजा यह है कि राष्ट्रपति असद तीन दशकों की सत्ता को बचा नहीं पाए. दमिश्क में इस समय विद्रोही झंडा लहरा रहा है. असद को रूस ने मानवीय आधार पर शरण दी है. विद्रोही गुट ने नई व्यवस्था के लागू होने तक मौजूदा प्रधानमंत्री को अपने पद पर बने रहने को कहा है.

लेकिन भारत के लिए मौजूदा स्थिति में क्या करना चाहिए, इसे समझने के लिए हमें भारत और सीरिया के पुराने संबंधों को भी समझने की जरूरत है.

भारत और सीरिया के संबंधों की बुनियाद
भारत की नीति जिस तरह से फीलिस्तीन के मुद्दे पर है वैसे ही सीरिया के गोलान हाइट्स को लेकर भी है. यहां पर इजरायल ने 6 दिनों के युद्ध के बाद कब्जा कर लिया था. भारतीय दूतावास की वेबसाइट में छपे एक लेख के मुताबिक आम सीरियाई लोगों में महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ ठाकुर और नेहरू को बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है.

साल 2011 का संकट और भारत की नीति
सीरिया में गृहयुद्ध की शुरुआत साल 2011 में शुरू हुई थी.भारत ने उस समय भी संघर्ष को गैर-सैन्य तरीके से राजनीतिक मानदंडों से रास्ता खोजने की सलाह दी थी. भारत ने कभी नहीं चाहा कि सीरिया युद्ध के मैदान बने. संकट के समय भी भारत ने दमिश्क में अपना दूतावास खोले रखा.

भारत ने उस समय संयुक्त राष्ट्र केविशेष दूत गियर पीडर्सन की ‘कदम दर कदम’ दृष्टिकोण का समर्थन किया था. भारत विशेष दूत की दमिश्क और अस्ताना गारंटर्स के साथ बातचीत का स्वागत किया और क्षेत्रीय साझेदारों जैसे UAE, लेबनान और जॉर्डन के साथ भी संवाद की सलाह दी थी.

4 अप्रैल 2024 को भारत ने दमिश्क में दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजरायल के हमले पर चिंता व्यक्त की थी.

दोनों देशों के नेताओं के दौरे
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने नवंबर 2003 में सीरिया का दौरा किया था. इस दौरान 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. जिसके तहत दमिश्क में जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना के लिए भारतीय तकनीकी सहायता और 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान राशि और 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कर्ज देने के वादा किया था.

राष्ट्रपति बशर अल-असद ने जून 2008 में भारत का दौरा किया था. उनके साथ उनकी पत्नी और कई मंत्री भी थे. इस दौरे के दौरान कृषि में सहयोग के लिए एक कार्य योजना पर समझौता हुआ था. भारत वे आईटी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने और सीरिया के फास्फेट संसाधनों के उपयोग पर रिसर्च की पेशकश को सीरिया ने स्वीकार किया था.

पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल, एक बड़े व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ, नवंबर 2010 में सीरिया का दौरा किया था. इस दौरान सीरिया को 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज दिया गया था. एक सीरियाई एनजीओ-आमाल को 2 मिलियन सीरियाई पाउंड और एलेप्पो में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी को 1 मिलियन से अधिक सीरियाई पाउंड की मदद दी गई. मीडिया के क्षेत्र में सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अगस्त 2012 में तेहरान में NAM शिखर सम्मेलन के दौरान सीरियाई प्रधानमंत्री वेल अल हल्की से मुलाकात की थी. उस समय मनमोहन सिंह ने सीरिया में जारी हिंसा पर चिंता व्यक्त की और संकट को हल करने के लिए एक सीरियाई नेतृत्व वाली राजनीतिक प्रक्रिया का समर्थन किया था.

सीरिया के उप प्रधानमंत्री, विदेश मामलों और प्रवासी मंत्री श्री वालिद अल मुअल्लेम ने 11-14 जनवरी 2016 को भारत का आधिकारिक दौरा किया और तब की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और NSA अजीत डोभाल से मिले. उन्होंने आतंकवाद से निपटने, सीरिया की स्थिति और संकट के राजनीतिक समाधान पर चर्चा की थी.

विदेश मामलों के राज्य मंत्री रहे  एमजे अकबर ने अगस्त 2016 में सीरिया का दौरा किया था. इस दौरे के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख व्यक्तियों से मुलाकात की. वार्ता का ध्यान भारत-सीरिया द्विपक्षीय संबंधों, विकासात्मक सहायता और आतंकवाद, ISIS जैसे सामान्य हितों पर केंद्रित था.

सीरियाई विदेश मामलों और प्रवासी मंत्री डॉ. फयसल मेकदाद ने 17-21 नवंबर 2022 तक भारत का आधिकारिक दौरा किया. इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की. दोनों पक्षों के बीच मानवतावादी एवं विकासात्मक समर्थन बढ़ाने, सीरियाई युवाओं की क्षमता निर्माण और उर्वरक, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई. डॉ. मेकदाद ने उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की, भारतीय व्यापार समुदाय के साथ बातचीत की और मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान में एक सभा को संबोधित किया. सीरियाई प्रतिनिधिमंडल ने गुड़गांव में NASSCOM के  केंद्र का भी दौरा किया.

विदेश मामलों और संसदीय मामलों के माननीय राज्य मंत्री श्री वी. मुरलीधरन ने 12-13 जुलाई 2023 को सीरिया का आधिकारिक दौरा किया, जो अगस्त 2016 के बाद से भारत से सीरिया का पहला मंत्री स्तरीय दौरा था. इस दौरान राज्य मंत्री ने राष्ट्रपति डॉ. बशर अल असद और प्रधानमंत्री इंजीनियर हुसैन अर्नूस से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की, जिसमें विकास साझेदारी सहायता, शिक्षा और क्षमता निर्माण शामिल थे. उन्होंने विदेश मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री से भी मुलाकात की थी.

भारत ने कब-कब की सीरिया की मदद

  1. 6 फरवरी 2023 को सीरिया में आए भयानक भूकंप के बाद, भारत सरकार ने 30 टन राहत सामग्री के साथ दो विशेष उड़ानें भेजी थीं.
  2. ब्रुसेल्स में सीरिया पर हुए सम्मेलनों में, भारत ने 2013 में 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर, 2014 में 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 2015 में 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता का वादा दिया. यह धनराशि संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों के माध्यम से सीरिया को भेजी गई.
  3. 016 में, भारत ने खाद्य सामग्री और दवाओं के रूप में 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर की द्विपक्षीय सहायता देने का निर्णय लिया.
  4. सीरियाई सरकार की आपातकालीन मानवीय सहायता के अनुरोध पर, भारत सरकार ने फरवरी-मार्च 2021 में सीरिया को 2000 मीट्रिक टन चावल भेंट किया.
  5. COVID महामारी के दौरान 2 जुलाई 2020 को, भारत ने सीरिया को 10 मीट्रिक टन दवाओं का एक कंसाइनमेंट भेजा. यह महामारी के समय किसी भी देश से सीरिया को दी गई सबसे बड़ी चिकित्सा सहायता थी. जून 2020 में सीरियाई सरकार पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाने के बाद की पहली मानवीय सहायता भी थी. इससे पहले, मार्च 2018 में, भारत ने दवाओं और खाद्य सामग्री (चाय, चीनी, ताड़ का तेल) के रूप में 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान की थी.
  6. “इंडिया फॉर ह्यूमैनिटी” पहल के तहत, जो गांधी150 समारोह का हिस्सा था, दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 तक दमिश्क में एक कृत्रिम अंग फिटमेंट कैंप का आयोजन किया गया.. इस 38 दिन के कैंप में, सीरिया के विभिन्न हिस्सों से 483 लाभार्थियों को कुल 515 अंग फिट किए गए.
  7. सूचना प्रौद्योगिकी का  केंद्र दिसंबर 2010 में C-DAC की मदद से दमिश्क में स्थापित किया गया था. अक्टूबर 2019 में भारत सरकार और सीरिया सरकार के बीच इसे अगले पीढ़ी के केंद्र में अपग्रेड करने के लिए एक समझौता किया गया था, जिसकी अनुमानित लागत 4 करोड़ रुपये थी. यह परियोजना पूरी हो गई और इसे 20 अक्टूबर 2021 को सीरिया सरकार को सौंप दिया गया.
  8. भूकंप के बाद, भारत सरकार ने दो विशेष उड़ानें भेजीं जिनमें एंटी-कैंसर दवाएं शामिल थीं. ये दवाएं 9 मार्च 2023 को सीरिया के स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी गईं. इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने सीरिया की सरकार और लोगों के लिए लगभग 1400 किलोग्राम एंटी-कैंसर दवाओं का एक और कंसाइनमेंट भेजा, जिसे भारतीय राजदूत डॉ. इरशाद अहमद ने 26 अगस्त 2024 को स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपा.
  9. भारत के राज्य केरल ने सीरिया के भूकंप पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 20 मिलियन भारतीय रुपये (लगभग 240,000 अमेरिकी डॉलर) का योगदान दिया.
  10. “स्टडी इन इंडिया” कार्यक्रम के तहत, चार चरणों में कुल 1500 सीटें सीरियाई छात्रों को UG, मास्टर और पीएचडी कार्यक्रमों के लिए दी गई हैं.
  11.  ITEC (भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम) के तहत हर साल सीरिया को कुल 90 प्रशिक्षण स्लॉट दिए जाते हैं.
  12. दोनों देशों की विदेश सेवा संस्थानों ने जनवरी 2018 में सहयोग का एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. तब से तीन बैचों में सीरियाई राजनयिकों ने भारत में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है – (26) 2018, (40) 2019 और (19) 2020; कुल मिलाकर FSI द्वारा प्रशिक्षित सीरियाई राजनयिकों की संख्या 85 है.
  13. मई 2009 में सीरिया को US$240 मिलियन की ऋण सुविधा दी गई थी ताकि Tishreen थर्मल पावर प्लांट एक्सटेंशन परियोजना को फंडिंग हो. इस परियोजना का ठेका BHEL को दिया गया था और अब तक US$100 मिलियन का वितरण किया गया है. जब संकट शुरू हुआ तो BHEL द्वारा परियोजना रोक दी गई थी.
  14. भारत ने Hama आयरन एंड स्टील प्लांट के विकास और आधुनिकीकरण में भी मदद की है. भारतीय कंपनी Apollo International Limited ने GECOSTEEL के साथ मिलकर मई 2017 में यह परियोजना पूरी की थी.

सीरिया को निर्यात की प्रमुख वस्तुएं: चावल, दवा उत्पाद, मानव निर्मित रेशे, कपास की कत्था और वस्त्र, जैविक रसायन.सीरिया से आयात की प्रमुख वस्तुएं: बादाम, ऊन, चमड़ा, जीरा, काला तिल, खनिज (फास्फेट), जैतून का तेल, तंबाकू, सूखे मेवे.सीरिया में भारत
भारत का सीरियाई संस्कृति पर ऐतिहासिक प्रभाव रहा है, खासकर सिल्क रूट के माध्यम से और विशेष रूप से पंचतंत्र के अरबी रूप ‘कलिला व डिमना’ के रूपांतरण के जरिए. हाल के समय में, रवींद्रनाथ ठाकुर और सीरिया के प्रसिद्ध कवि और भारत में राजदूत ओमार अबू रिसेह (1954-59) का भी योगदान रहा है. 1975 से चल रहे सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम ने द्विपक्षीय सहयोग का ढांचा तैयार किया है. इस कार्यक्रम के तहत भारत से कई सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल सीरिया गए हैं और ऐसे ही कई कार्यक्रम भारत में भी हुए हैं.

सीरियाई लोग भारतीय संस्कृति को पसंद करते हैं. बॉलीवुड फिल्में उनके बीच बहुत लोकप्रिय हैं. भारत को सीरिया में सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन में सबसे सक्रिय देश माना जाता है, यहां तक कि संकट के दौरान भी. अप्रैल 2017 में दमिश्क और लताकिया में भारतीय सांस्कृतिक सप्ताह मनाया गया, जिसमें दोनों शहरों में बॉलीवुड फिल्मों का प्रदर्शन किया गया.जनवरी 2018 में, एक राजस्थानी लोक मंडली ने विभिन्न शहरों में चार कार्यक्रम किए हैं. इसी तरह ओडिसी नृत्य से जुड़ी एक मंडली कार्यक्रम कर चुकी है.हाल ही में, “भोला पंची” नामक 15 सदस्यीय भांगड़ा समूह ने 30 जनवरी से 3 फरवरी 2022 तक सीरिया का दौरा किया, जिसे ICCR द्वारा प्रायोजित किया गया था.

योग भी सीरिया में बहुत लोकप्रिय है. सीरिया अरब दुनिया में योग का नेता है. योग को आधिकारिक रूप से सीरिया की खेल महासंघ के तहत एक खेल के रूप में शामिल किया गया है. जून 2024 में, सीरिया के कई शहरों जैसे दमिश्क, जबलेह और होम्स में 10वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया गया. कबड्डी भी सीरिया में कई लोग खेलते हैं.

सीरियाई लेखकों संघ और साहित्य अकादमी के बीच साहित्यिक आदान-प्रदान 2003 में हस्ताक्षरित समझौते के माध्यम से हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप सीरियाई और भारतीय लेखकों की कृतियों का अरबी और भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है और साहित्य अकादमी और अरब लेखकों संघ के बीच नियमित प्रतिनिधिमंडलों का आदान-प्रदान होता रहा है.

2016 से, सीरिया हर साल फरीदाबाद में आयोजित सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में नियमित रूप से भाग लेता रहा है. 2019 में, सीरियाई कलाकार इस्कंदर इस्ट्रेफान अलहलाबी ने मोज़ेक शिल्प के लिए कला रत्न पुरस्कार जीता था.

भारत से सीरिया दौरे पर गए नेता

क्रम संख्या पद तिथि / अवधि
1 प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 1957 और 1960
2 विदेश मंत्री श्री ए.बी. वाजपेयी 1979
3 प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी 1988
4 विदेश मामलों के राज्य मंत्री 1992
5 विदेश मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी 1995
6 विदेश मंत्री श्री जसवंत सिंह जनवरी/फरवरी 2001
7 विदेश मंत्री श्री यशवंत सिन्हा अगस्त 2003
8 प्रधानमंत्री श्री ए.बी. वाजपेयी नवंबर 2003
9 विदेश मामलों के राज्य मंत्री श्री ई. अहमद सितंबर 2005
10 विदेश मामलों के राज्य मंत्री श्री ई. अहमद मार्च 2008
11 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री आनंद शर्मा जून 2010
12 राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल नवंबर 2010
13 विदेश मामलों के राज्य मंत्री श्री एम.जे. अकबर अगस्त 2016
14 सचिव (ER) श्री अमर सिन्हा 2-4 जून, 2017
15 सचिव (ER) श्री टी.एस. तिरुमूर्ति 19-21 मई, 2019
16 सचिव (CPV & OIA) डॉ. औसाफ सईद 2 अक्टूबर, 2022
17 संयुक्त सचिव (DPA-I) श्री एम. श्रीधरन 12-13 अप्रैल, 2023
18 विदेश मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री श्री वी. मुरलीधरन 12-13 जुलाई, 2023

सीरिया में भारतीय समुदाय
सीरिया में भारतीय समुदाय का आकार नागरिक युद्ध के कारण काफी कम हो गया है. वर्तमान में, सीरिया में लगभग 92 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 14 विभिन्न UN संगठनों और NGOs में काम कर रहे हैं. अधिकांश भारतीय निजी कंपनियों में कुशल श्रमिक हैं या स्व-नियोजित हैं.

 

सीरिया से भारत आए नेताओं की लिस्ट

क्रम संख्या पद तिथि / अवधि
1 राष्ट्रपति शुक्रि अल-कुवातली 1957
2 राष्ट्रपति हाफ़िज़ अल-असद 1978 और 1983
3 विदेश मंत्री श्री फारूक अल-शारा 1988
4 उप राष्ट्रपति श्री जुहीर मशरका 1991
5 उप प्रधानमंत्री डॉ. खालिद Raad जुलाई 2000
6 उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री श्री फारूक अल-शारा अगस्त 2002
7 उप विदेश मंत्री डॉ. फारुख ताहा अप्रैल 2006
8 विदेश मंत्री श्री वालिद अल-मुअल्लेम अगस्त 2007
9 उप प्रधानमंत्री डॉ. अब्दुल्ला दारदारी जनवरी 2008
10 राष्ट्रपति डॉ. बशर अल-असद जून 2008
11 उप विदेश मंत्री डॉ. फयसल मेकदाद जुलाई/अगस्त 2011
12 राष्ट्रपति के राजनीतिक सलाहकार डॉ. बुथैना शआबान मार्च 2013
13 उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री श्री वालिद अल-मुअल्लेम जनवरी 2016
14 उच्च शिक्षा मंत्री श्री आर्टिफ नद्दाफ अप्रैल 2018
15 विदेश मंत्री श्री फयसल मेकदाद नवंबर 2022
16 सीरियाई राज्य योजना आयोग के प्रमुख, डॉ. फादी साल्ती अल-खलील (मंत्री स्तर) ने भारत का आधिकारिक दौरा किया, भारत-अरब साझेदारी सम्मेलन में भाग लेने के लिए जुलाई, 2023
17 श्रीमती रानिया अहमद, अर्थव्यवस्था और विदेशी व्यापार की उप मंत्री ने CII-भारत भूमध्यसागरीय व्यापार सम्मेलन के उद्घाटन संस्करण में भाग लिया, जिसे CII ने भारत के विदेश मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया था

भारत-सीरिया आर्थिक संबंध
भारत ने सीरिया को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता दे चुका है. इसके साथ ही 2009 में तिश्रीन थर्मल पावर प्लांट परियोजना के लिए $240 मिलियन की क्रेडिट लाइन स्थापित की गई. हमा आयरन एंड स्टील प्लांट के आधुनिकीकरण के लिए अतिरिक्त $25 मिलियन का क्रेडिट भी दिया गया. भारतीय कंपनियां 2004 से सीरिया के तेल क्षेत्र में शामिल हैं. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL) ने लगभग $350 मिलियन का महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसमें चीन नेशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के साथ अल फुरात पेट्रोलियम कंपनी में संयुक्त हिस्सेदारी शामिल है. 2022 में, भारत ने सीरिया को लगभग $109 मिलियन मूल्य का सामान निर्यात किया, जिसमें कच्ची चीनी, चावल और औषधियाँ शामिल हैं. इसके विपरीत, सीरिया ने भारत को लगभग $9.92 मिलियन का निर्यात किया, जिसमें ऊन और टैन किए गए चमड़े शामिल हैं.

भारत के लिए सीरिया में अब क्या
सीरिया में असद सरकार के तख्तापलट के बाद वहां की आम जनता को भी जश्न मनाते देखा जा सकता है. विद्रोही गुट हयात ताहिर अल-शम के सबसे बड़े नेता अबू मोहम्मद अल-जोलानी का कहना है कि उनको किसी कट्टरपंथी धार्मिक नेता के तौर पर न देखा जाए. उनका कहना है कि सीरिया में अब सबका विकास होगा. सीरिया पर नजर रखने वाले कई विशेषज्ञ भी इसे किसी तरह के जेहाद से न जोड़कर राजनीतिक जेहाद की संज्ञा दे रहे हैं. फिलहाल, चाहे भारत हो या विश्व, उसको अभी इंतजार करना होगा, जैसा कि अफगानिस्तान में तालिबान को लेकर भी किया जा रहा है

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