अब शिक्षकों के लिए हर सेमेस्टर में कम से कम 15 हफ्ते पढ़ाना अनिवार्य ?
अब शिक्षकों के लिए हर सेमेस्टर में कम से कम 15 हफ्ते पढ़ाना अनिवार्य, आचार संहिता भी बनाई नई
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शिक्षकों के काम के घंटों में इजाफा किया है। अब शिक्षकों को हर सेमेस्टर में 15 हफ्ते पढ़ाना अनिवार्य होगा। एक सेमेस्टर में कुल 24 हफ्ते होते हैं। यूजीसी ने इस दौरान शिक्षकों को शोध और इनोवेशन जैसी गतिविधियों में शामिल होने की सलाह दी। आयोग ने शिक्षकों की भर्ती के नए नियमों का मसौदा भी जारी किया है।
- नए भर्ती नियमों के साथ यूजीसी ने शिक्षकों की नई सेवा शर्तों का मसौदा किया जारी।
- छुट्टी में कटौती के बदले अर्न लीव में से एक तिहाई छुट्टियों को क्रेडिट कराने की सुविधा।
नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों सहित देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के भर्ती के लिए नए नियम का मसौदा जारी करने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने उनके पढ़ाने के घंटों भी बढ़ोत्तरी कर दी है। जिसमें शिक्षकों को अब प्रत्येक सेमेस्टर में कम से कम 15 हफ्ते पढ़ाना अनिवार्य होगा। अभी प्रत्येक सेमेस्टर में उन्हें अधिकतम तेरह हफ्ते ही पढ़ाना होता है।
शोध और इनोवेशन से जोड़ने की सलाह
यूजीसी ने शिक्षकों से पढ़ाई के इन बढ़ाए गए दिनों में खुद को शोध और इनोवेशन जैसे गतिविधियों से जोड़ने की सलाह दी है। जिसका फायदा संस्थान के साथ छात्रों को भी मिलेगा। जो नए माहौल में अपने सपनों को उड़ान दे सकेंगे।
शिक्षकों के काम-काज से जुड़े नए नियमों के मसौदे में यूजीसी ने जो नई व्यवस्थाएं की है, उनमें पढ़ाई के बढ़े घटों से शिक्षकों की छुट्टी के दिनों में होने वाले दो हफ्ते के नुकसान की भरपाई भी की गई है। जिसमें उन्हें एक साल में मिलने वाले अर्जित अवकाश (अर्न लीव) में से एक तिहाई अवकाश को क्रेडिट कराने का सुविधा दी है।
10 हफ्ते तक छुट्टी पर रह सकते हैं
कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को एक और विकल्प दिया है, जिसमें एक शैक्षणिक सत्र के दौरान वह कुल 10 हफ्ते तक की छुट्टी पर रह सकते है। हालांकि इसके अलावा उन्हें और कोई छुट्टी नहीं मिलेगी। हालांकि इस अवधि में उन्हें कुछ जरूरी कार्य के चलते छुट्टी मिल पाए तो वह विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की तरह अपने अर्जित अवकाश में से एक तिहाई अवकाश को क्रेडिट करा सकते है।
एक सेमेस्टर में होते हैं 24 हफ्ते
मौजूदा समय में एक सेमेस्टर छह महीने का होता है और एक महीने में करीब चार हफ्ते होते है। ऐसे में एक सेमेस्टर में कुल 24 हफ्ते होते है। इनमें से शिक्षकों को कम से कम 15 हफ्ते अनिवार्य रूप से पढ़ाने होंगे। गौरतलब है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का छात्रों के पढ़ाने के साथ ही एक बड़ा समय शोध, प्रशिक्षण, सेमिनार आदि गतिविधियों में जाता है।
इसके साथ ही संस्थान उन्हें खुद पढ़ने के लिए भी पर्याप्त समय मुहैया कराता है। हाल ही में यूजीसी ने शिक्षकों की भर्ती के नए नियमों को लेकर भी मसौदा जारी किया है। जिसे लेकर पांच फरवरी तक सभी से सुझाव देने को कहा है।
शिक्षकों के लिए आचार संहिता भी बनाई नई
शिक्षकों से कहा है उन्हें छात्रों को विचार रखने का अधिकार देना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए। धर्म, जाति, राजनीति, आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक बनावटों पर ध्यान दिए बगैर उनके साथ न्यायपूर्ण व निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए। छात्रों के साथ सम्मान से पेश आना चाहिए और किसी भी कारण से उनमें से किसी के प्रति प्रतिशोधात्मक व्यवहार न करें।
अपने कक्षा के घंटों के अतिरिक्त भी छात्रों के लिए उपलब्ध रहें। और बिना किसी पारिश्रमिक या पुरस्कार के छात्रों की मदद और मार्गदर्शन करें। लोकतंत्र, देशभक्ति, शांति के आदर्शों, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण की आदि भावना को छात्रों के अंदर विकसित करें।
छात्रों को अन्य छात्रों, सहकर्मियों या प्रशासन के विरुद्ध भड़काने से बचें। शिक्षकों से कहा है कि मौजूदा नियमों के अनुसार अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। निजी ट्यूशन या कोचिंग कक्षाओं सहित किसी भी अन्य रोजगार और प्रतिबद्धता को लेने से बचें, जो उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों में हस्तक्षेप पैदा करें।