जीवन में कॅरिअर की लंबाई कितनी होगी, ये आपके निर्णयों और उद्देश्यों पर निर्भर करता है

आपके कामकाजी जीवन का उद्देश्य क्या है? आजीविका के लिए रिटायरमेंट तक नौकरी करना? तब तो ये ठीक नहीं। वास्तव में पैसा कमाना तो सिर्फ काम करने का परिणाम है। पर समर्पण मैंने तीन व्यक्तियों से सीखा है, इनमें से एक 44 वर्षों की सेवा के बाद दो दिन पहले रिटायर हुई हैं। लेकिन वे जब तक चाहें, उसी संस्थान में सलाहकार रह सकती हैं। दूसरे व्यक्ति की मृत्यु तीन दिन पहले 93 की आयु में हुई, लेकिन वे 91 की उम्र तक काम करते रहे। तीसरी महिला कल-रविवार को- 95 की उम्र में कामकाज की 70वीं वर्षगांठ मनाएंगी!

फोर्ट मुम्बई पर कैथेड्रल एंड जॉन कैनन स्कूल के प्रिंसिपल का नाम क्या है? ये सवाल मुंबई में इंटरव्यू देने वाले अधिकतर पत्रकारों से पूछा जाता था। इसलिए नहीं कि मुंबई के सबसे रईस बच्चे वहां पढ़ते थे, बल्कि इसलिए कि उसकी प्रिंसिपल मीरा इसाक्स पहली प्राचार्य थीं, जिन्होंने नियम बनाया था कि हर बच्चा स्कूल-बस में ही यात्रा करेगा।

अपने ‘लाडले’ को एसी-एसयूवी से स्कूल लाने की अमीर पैरेंट्स की इच्छा को उन्होंने नजरअंदाज किया। उनकी बात वाजिब थी। उन्होंने कहा, जब सैकड़ों हाई-पॉवर्ड गाड़ियां स्कूल के सामने घरघराती हैं तो स्कूल गैस-चेम्बर बन जाता है और इससे फेफड़ों पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे ही उन्होंने लंचटाइम डिलीवरीज़ पर भी रोक लगाई।

उन्होंने सुनिश्चित किया कि या तो बच्चे टिफिन लाएं या उन्हें स्कूल में ही गर्म भोजन दिया जाए। उन्होंने स्कूल में महंगी घड़ियां पहनने, आलीशान बर्थडे पार्टियों पर भी रोक लगाई। उनका स्लोगन था कि स्कूल में सभी समान हैं। वह सच कहने से कभी नहीं कतराईं, भले ही पैरेंट्स कितने भी रसूखदार क्यों ना हों। 2002 के दंगों से पूर्व जब स्कूल के 150 बच्चे अहमदाबाद में पिकनिक मनाने गए थे तो उन्हें वहां से लाने के लिए वे चार्टर्ड प्लेन किराए पर लेने से एक पल को भी नहीं हिचकीं। कोई आश्चर्य नहीं कि उन्होंने इस हफ्ते तक 44 वर्ष सेवाएं दीं।

‘आपने बहुत अच्छा किया है, लेकिन आप इससे भी बेहतर कर सकते हैं। कम-ऑन, रीशूट करते हैं…’ रमेश देव को इसी तरह महेश मांजरेकर, आशुतोष गोवारीकर और उन जैसे दूसरे कद्दावरों द्वारा याद रखा जाएगा, जो मराठी चित्रपट-रंगमंच के जरिए फिल्मों में आए।

1971 में आई राजेश खन्ना की फिल्म ‘आनंद’ में हमेशा मुस्कराते रहने वाले डॉ. कुलकर्णी की भूमिका उन्होंने ही निभाई थी। निर्माता-निर्देशक होने के बावजूद उन्होंने हमेशा युवाओं को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित किया और फिल्म-उद्योग को कई बेहतरीन प्रतिभाएं दीं। शायद यही कारण था कि वे 90 की उम्र पार करने के बावजूद काम करते रहे थे।

रविवार को क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय 70 वर्षों तक शासन करने वाली पहली ब्रिटिश सम्राज्ञी बन जाएंगी। उन्होंने अपना कॅरिअर 25 वर्ष की आयु में शुरू किया था और विकसित देशों के अत्यंत ताकझांक करने वाले मीडिया के बावजूद अपनी वजह से शाही परिवार को कमोबेश किसी बड़े स्कैंडल से दूर ही रखा।

आज जब विज्ञान व दवाओं ने हमारी उम्र लंबी कर दी है, ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि हम निरंतर काम करते रहकर अपना दिमाग व शरीर चुस्त-दुरुस्त रखें। और ये तभी हो सकता है जब कार्यक्षेत्र पर हमारा एक लक्ष्य हो, जो कर रहे हैं उसके लिए जुनून हो और पद पर रहते हुए मनुष्यता के हित में सर्वश्रेष्ठ देने की भावना से भरे हों।

फंडा यह है कि यकीन करें, जब तक ऊपर वाला हमें दूसरे मिशन के लिए नहीं बुला लेता, हम तब तक काम कर सकते हैं, जैसा हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम सर के साथ हुआ था। पर ये तभी हो सकता है, जब हमें पता हो कि हमारे कामकाजी जीवन का मकसद क्या है।

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