बाहरी दिल्ली। समन पर तामिली की तारीख दर्ज न करने पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है।रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने तीन जिलाें के पुलिस उपायुक्त व पांच एसएचओ को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है और पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही अमल में लाई जाए।
सभी को 18 जनवरी को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश भी जारी किए हैं। इसके अलावा न्यायालय ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की चूक पर संयुक्त पुलिस आयुक्त उत्तरी रेंज से भी जवाब मांगा है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत ने जहांगीरपुरी थाना क्षेत्र के मामले की सुनवाई करते हुए 14 अक्टूबर 2024 को आदेश जारी किए गए थे कि प्रत्येक समन रिपोर्ट पर समन की तामील की तारीख का उल्लेख किया जाए।
इन थानों के SHO को मिला मिला निर्देश
न्यायालय ने यह निर्देश अपने न्यायालय-क्षेत्र के अंतर्गत प्रशांत विहार, केएन काटजू, जहांगीरपुरी, महेंद्रा पार्क व नरेला थानों के एसएचओ को दिए थे। साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो इसे एसएचओ और सर्वर प्रक्रिया की ओर से गंभीर चूक माना जाएगा।
न्यायालय ने रोहिणी, बाहरी-उत्तरी और उत्तर-पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को उक्त आदेश पर अमल सुनिश्चित कराने के आदेश दिए थे। कल मंगलवार को प्रशांत विहार थाना अंतर्गत एक मामले की सुनवाई के दौरान समन पर तामिली की तारीख दर्ज न होने का मामला अतिरिक्त सत्र न्यायालय के सामने आया।
पीड़ित को आज के लिए उपस्थित होने से मिली छूट
मामले के एक पक्ष के वकील ने दलील रखी कि पीड़ित अनुपस्थित है। पीड़ित से टेलीफोन के माध्यम से संपर्क किया और उसने सूचित किया कि वह आज उपस्थित नहीं हो सकता, क्योंकि उसे कल ही समन प्राप्त हुआ था और वह भी रात 10:45 बजे मिला, पीड़ित को आज के लिए उपस्थित होने से छूट दी गई है।
रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चला कि जांच अधिकारी को समन आठ जनवरी को मिला है, इसके बाद कॉन्स्टेबल के माध्यम से समन पीड़ित तक पहुंचाया गया। जाहिर है कि इस प्रक्रिया में भी समय लगा है। इस आधार पर न्यायालय को देरी से समन मिलने की पीड़ित की बात में दम नजर आ रहा है।
यदि कल (13 जनवरी) ही देर रात लगभग 10:45 बजे पीड़ित को समन दिया गया था तो यह प्रक्रिया सर्वर और साथ ही एसएचओ व जिला पुलिस उपायुक्त की ओर से गंभीर कदाचार है, जिनके माध्यम से समन दिया जाता है।
न्यायालय ने इस बात पर जताई नाराजगी
न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी जताई कि 24 अक्टूबर के आदेश के बावजूद प्रोसेस सर्वर की रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ है और समन पर प्रोसेस सर्वर की रिपोर्ट लगातार बिना किसी तारीख के प्राप्त हो रही है। अपनी चूक को छिपाने के लिए जानबूझकर तारीखों का उल्लेख नहीं किया जाता है।
प्रोसेस सर्वर के इस कदाचार के कारण पीड़ितों के साथ-साथ अन्य गवाहों को भी परेशान होना पड़ता है।अंतिम समय में न्यायालय में उपस्थित होने में विफल रहने के कारण मुकदमे को लंबा खींचता है।यह न्यायालय के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। उक्त निर्देशों का अनुपालन सभी एसएचओ और सभी जिला पुलिस उपायुक्त को करना था, लेकिन वे अनुपालन करने में बुरी तरह विफल रहे हैं।अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने एसएचओ प्रशांत विहार, जहांगीरपुरी, महेंद्रा पार्क, केएन काटजू मार्ग और एसएचओ पीएस नरेला को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि 14 अक्टूबर के आदेश का पालन नहीं करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
इसी तरह तीनों जिलों के पुलिस उपायुक्त को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।न्यायालय ने यह भी कहा है कि चूंकि जिला पुलिस उपायुक्त उक्त निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने में संयुक्त रूप से विफल रहे हैं, इसलिए संयुक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी रेंज) को भी तीनों वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से हुई चूक के बारे में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।