30 मौतें और मेला प्रशासन की 3 थ्योरी… ?
30 मौतें और मेला प्रशासन की 3 थ्योरी… सुबह से शाम तक कैसे बदलते गए महाकुंभ के ‘महा बयान’?
महकुंभ में भगदड़ और इसमें हुई 30 लोगों की मौत को आखिरकार कुंभ नगरी पुलिस ने स्वीकार कर लिया है. पहले ना नुकुर करने और फिर 19 घंटे बाद डीआईजी वैभव कृष्ण ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि इस हादसे में 60 लोग घायल भी हुए हैं.
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महाकुंभ में मंगलवार-बुधवार की रात मची भगदड़ और इसमें 30 लोगों की मौत के मामले में पुलिस और प्रशासन ने खूब लीपापोती करने की कोशिश की. पहले तो इस घटना से ही इंकार किया गया, इसको लेकर पुलिस प्रशासन और सरकार की खूब किरकिरी भी हुई. ऐसी परिस्थित में करीब 19 घंटे बाद प्रेस कांफ्रेंस कर ना केवल इस घटना को स्वीकार किया, बल्कि 30 लोगों के मौत की भी पुष्टि की. बताया कि 60 लोग घायल भी हुए हैं. इनमें 24 लोगों को उनके परिजन प्राथमिक उपचार के बाद ले गए. वहीं अभी भी 36 लोगों का इलाज कुंभ क्षेत्र के सेक्टर-2 में बने अस्पताल में कराया जा रहा है.
इस घटना के बाद से कुंभ नगरी पुलिस दुविधा में थी. पुलिस यह समझ ही नहीं पा रही थी कि इस हादसे में क्या बोलना है और कितना बोलना है. इस दुविधा की वजह से मेला प्रशासन 19 घंटे तक उलूल जुलूल बयान देता रहा. आखिर में बुधवार की शाम को पुलिस और प्रशासन इस घटना पर दिए जाने वाले बयान को लेकर एकराय हो पाया. इसके बाद डीआईजी वैभव कृष्ण ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि भारी भीड़ के दबाव की वजह से बैरिकेड्स टूट गए. इसके बाद लोग एक दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ने लगे और यह हादसा हो गया.
ऐसे बदली पुलिस की थ्योरीपहलीथ्योरी: यह हादसा रात में करीब 2 बजे के आसपास हुआ. इस हादसे के बाद पुलिस ने पहला बयान दिया. इसमें पुलिस ने भगदड़ को मामूली धक्का मुक्की बताया. कहा कि इस धक्का मुक्की में कुछ लोगों को चोटें आई हैं. दावा किया कि अब स्थिति नियंत्रण में हैं.
दूसरी थ्योरी: हादसे के करीब 9 घंटे बाद एसएसपी कुंभनगरी राजेश द्विवेदी ने मीडिया से बात की. इसमें उन्होंने भगदड़ मचने की बात को पूरी तरह नकार दिया. कहा कि भीड़ की वजह से धक्का मुक्की हुई ओर कुछ लोग घायल हो गए.
तीसरी थ्योरी: हादसे के करीब 16 घंटे बाद डीआईजी कुंभनगरी वैभव कृष्ण सामने आए. उन्होंने भगदड़ को भी माना और इसमें होने वाली 30 से अधिक मौतों को भी स्वीकार किया. बताया कि इस हादसे में 60 लोग घायल हुए हैं.
हादसे की ये रही वजहमहाकुंभ हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीधी नजर थी. ऐसे में प्रशासन को तत्काल एक्शन में आना पड़ा. आनन फानन में मामले की जांच कराई गई. इसमें पता चला कि मेला क्षेत्र और अखाड़ों के कुछ बैरीकेट्स टूटने की वजह से यह हादसा हुआ है. दरअसल बैरिकेट्स टूटते ही अनियंत्रित भीड़ स्नान घाटों की ओर बढ़ने लगी. इस दौरान जो भी कोई नीचे गिरा, लोग उसे कुचलते हुए जाने लगे. जांच में यह भी साफ हो गया है कि हादसे के वक्त कोई वीआईपी मूवमेंट नहीं था.
क्यों फेल हुआ प्रशासनमौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान के लिए प्रशासन ने पुख्ता प्लान का दावा किया था. बावजूद इसके हादसा होने के बाद प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है. दरअसल संगम नोज तक जाने के लिए मुख्य रास्ता संगम मार्ग है. जबकि वापसी के लिए तीन मार्ग महावीर मार्ग, अक्षय वट मार्ग और जगदीश रैंप मार्ग हैं. आपात स्थिति के लिए ग्रीन कोरिडोर अलग बनाया गया है. इस तरह से काली मार्ग से होकर संगम आने और वापसी के लिए पांच प्रमुख मार्ग हैं. बगल में अखाड़ों के स्नान के लिए घाट है जहां सिर्फ अखाड़े ही स्नान कर सकते हैं. प्रशासन का कहना है कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी. लोग पहले से ही घाटों पर पहुंच कर मुहूर्त का इंतजार कर रहे थे. ऐसे में जब भीड़ का रेला आया तो इसे संभालना मुश्किल हो गया.