जेल भेजे गए सौरभ, शरद-चेतन
आरटीओ का करोड़पति पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसका सबसे बड़ा राजदार शरद जायसवाल, जबलपुर के रोहित तिवारी के मार्फत एक-दूसरे के संपर्क में आए। 2014-15 में भोपाल की एक फर्म ने जबलपुर में कॉलोनी बनाई थी, इसमें शरद जायसवाल ने कई प्लॉट बिकवाए थे। यहीं से शरद, सौरभ के साले रोहित तिवारी के संपर्क में आया और उसका विश्वसनीय हो गया।
2015-16 में सौरभ ने भोपाल की प्रॉपर्टी डीलिंग फर्म से किनारा किया। बाद में रोहित तिवारी के लिए इन्वेस्टर तलाशने का काम करने लगा। इसके बाद चूना भट्टी में फगीटो रेस्टोरेंट शुरू किया। इसी दौरान रोहित ने शरद और सौरभ की मुलाकात कराई। शरद की मदद से सौरभ ने भोपाल, इंदौर में कई संपत्तियां खरीदीं।
सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह की रिमांड खत्म होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तीनों को आज कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने तीनों को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया है।

2011 में बतौर टीम लीडर जॉब करता था शरद
2011 में शरद जायसवाल भोपाल के दस नंबर मार्केट स्थित एक फर्म में जॉब करता था। यह फर्म बिल्डर्स की प्रॉपर्टी बिकवाने का काम करती थी। इसमें 50 से अधिक कर्मचारी थे। शरद 10 ब्रोकर्स की टीम का लीडर था। इस समय वह 6 नंबर स्थित एक साधारण फ्लैट में परिजन के साथ रहता था।
इसी फर्म ने 2014 में जबलपुर में एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया। फर्म का बतौर कॉलोनाइजर जबलपुर में यह पहला प्रोजेक्ट था। शरद इस फर्म के कर्ताधर्ताओं का खास था। लिहाजा उसे जबलपुर के प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग से लेकर बिक्री तक की बड़ी जिम्मेदारी मिली। यहां उसने अपने संपर्क का इस्तेमाल कर कई प्लॉट्स की बिक्री कराई।
लोकल सपोर्ट के लिए शरद के साले बिल्डर रोहित तिवारी को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था। यहीं से शरद और रोहित संपर्क में आए थे। उसने रोहित का भरोसा जीता। 2016 में भोपाल की फर्म से रिजाइन दिया और बाद में स्वयं ठेकेदारी के काम करने लगा।
रोहित ने शरद को इंटीरियर डिजाइनिंग से लेकर भवन निर्माण के कई बड़े काम दिलाए। रोहित ने ही सौरभ के अरेरा कॉलोनी स्थित बंगले के रिनोवेशन का काम शरद को सौंपा। यहीं से शरद और सौरभ के रिश्ते की शुरुआत हुई।

खुद को RTO अधिकारी बताता था सौरभ
ईडी पूछताछ में शरद ने कहा- सौरभ से मेरी मुलाकात केवल साढ़े चार साल पुरानी है। मैं पहले से ही कंस्ट्रक्शन फील्ड में था। रोहित तिवारी के नाम से सौरभ ने ई-7/78 नंबर बंगला खरीदा था। इस बंगले के मोडिफिकेशन का काम मैंने किया।
सौरभ मेरे काम की अक्सर तारीफ करता था। हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। शुरुआत में वह खुद को आरटीओ अधिकारी बताता था।
अविरल कंस्ट्रक्शन में शरद-चेतन भागीदार
शरद ने पूछताछ में कहा था- सौरभ ने ऑफर दिया था कि मैं कंस्ट्रक्शन के बड़े ठेके उठाऊं। रुपए की कमी होने पर वह मदद करेगा। इसके बाद हम दोनों ने साथ काम शुरू किया। कई जमीनों की खरीद-फरोख्त सौरभ ने मेरे कहने पर की। इसे बेचकर मैंने रकम मुनाफा सहित लौटा दी।
धीरे-धीरे उसने मुझे होटल की देखरेख का जिम्मा भी दिया। सौरभ ने ही अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया, जिसमें चेतन और मुझे बराबरी का हिस्सेदार बताया। यह एकमात्र कंपनी है, जिसमें मैं और चेतन पार्टनर हैं।
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शरद ने ही किया सौरभ को बेनकाब: जेल में तीनों अलग-अलग बैरक में
- अब ईडी करेगी पूछताछ
- जयपुरिया स्कूल में पार्टनरशिप न मिलने से नाराज था
भोपाल। परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की काली कमाई को बेनकाब करने में उसके सबसे बड़े राजदार दोस्त शरद जायसवाल का अहम रोल सामने आ रहा है। वजह ये है कि शरद ही सौरभ का पूरा कारोबार संभालता था, लेकिन शाहपुरा के निर्माणाधीन जयपुरिया स्कूल के प्रोजेक्ट में सौरभ ने शरद को पार्टनरशिप देने से इनकार कर दिया।
सौरभ ने मां उमा शर्मा को चेयरपर्सन बनाया और पत्नी दिव्या को डायरेक्टर, लेकिन शरद को कोई जगह नहीं मिली। इस बात को लेकर दोनों में अनबन शुरू हो गई थी। 19 दिसंबर 2024 को जिस दिन लोकायुक्त ने सौरभ के अरेरा कॉलोनी स्थित मकान पर छापेमारी की, उस दिन सौरभ और उसकी पत्नी दिव्या दुबई में थे।
सौरभ ने दूसरे मकान में खड़ी कार में सोना और नकद रखवाकर उसे वहां से निकलवा दिया। लोकायुक्त को भले ही उसकी भनक नहीं लगी, लेकिन इनकम टैक्स अधिकारियों को उस कार की परफेक्ट लोकेशन मिल गई।
जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सौरभ के किसी बड़े राजदार ने ही वो लोकेशन बताई थी। ये कार मेंडोरी के एक फॉर्म हाउस के बाहर मिली थी। इनकम टैक्स अधिकारियों ने इस कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद बरामद किए थे। ये कार सौरभ के दोस्त चेतन सिंह गौर के नाम रजिस्टर्ड है।
जेल में भी अलग-अलग बैरक में रखा गया है
भोपाल जेल में भी सौरभ, शरद और चेतन को अलग-अलग बैरकों में रखा गया है। वजह ये है कि तीनों के बीच अब पहले जैसे रिश्ते नहीं रहे। लोकायुक्त की पूछताछ में शरद और चेतन ने साफ कह दिया है कि वे तो सिर्फ कर्मचारी हैं। जेल अधीक्षक राकेश बांगरे का कहना है कि ये हाईप्रोफाइल केस है। तीनों ही आरोपियों को अलग-अलग सेल में रखा गया है।
इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि जब वे सेल से बाहर निकलेंगे, तब भी उन पर सीसीटीवी कैमरे से पूरी निगरानी रहे। तीनों आरोपी किन लोगों से मिल रहे हैं, कौन उनसे मुलाकात के लिए आ रहा है, इस पर भी नजर रखी जाएगी।
बांगरे ने बताया कि जेल में दाखिल करने से पहले तीनों का मेडिकल चेकअप कराया गया था। तीनों फिट हैं इसलिए जेल अस्पताल में भेजने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
कठघरे में मां के कान में फुसफुसाता रहा सौरभ
4 फरवरी को जब तीनों आरोपियों को लोकायुक्त ने कोर्ट में पेश किया तो कोर्ट रूम के कठघरे में सौरभ अपनी मां उमा शर्मा से फुसफुसाकर बातचीत करता दिखा। शरद भी अपने रिश्तेदारों से धीरे-धीरे बात करता नजर आया। आरोपियों की आपस में कोई बातचीत नजर नहीं आई।
ऐसे ही उमा शर्मा और शरद की भांजी व बहन के बीच भी कोई बातचीत नजर नहीं आई। यहां तक की तीनों के वकील भी अलग-अलग हैं। छापे से पहले तीनों एक थे, लेकिन अब उनके एडवोकेट भी अलग होने से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि अब उनके रिश्ते मुश्किल दौर में हैं।
न 52 किलो सोने का सच सामने आया, न अविरल कंस्ट्रक्शन की प्रॉपर्टी
लोकायुक्त ने 29 जनवरी को सौरभ को भोपाल से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसी दिन चेतन और शरद को भी हिरासत में ले लिया। 4 फरवरी तक लोकायुक्त पुलिस ने उनसे पूछताछ की। लेकिन कोई बड़ा खुलासा नहीं हुआ। लोकायुक्त पुलिस पूरे समय तीनों आरोपियों के सुरक्षा प्रोटोकॉल पर ज्यादा फोकस करती रही। हर दिन मेडिकल जांच कराई गई, लेकिन टीम सौरभ से ये नहीं उगलवा पाई कि आखिर इतना पैसा कहां से आया?
लोकायुक्त अधिकारियों ने ये भी कहा कि उनकी जांच का फोकस सिर्फ सौरभ की 7 साल की नौकरी में हासिल की गई प्रॉपर्टी है। इस दौरान कमाई गई काली कमाई का उसने कहां-कहां निवेश किया? अविरल कंस्ट्रक्शन नाम की जिस कंपनी के नाम पर सौरभ ने कई शहरों में प्रॉपर्टी खरीदी है, उसके लिए पैसा कहां से आया, ये भी बहुत स्पष्ट नहीं हो सका है।
अब ईडी करेगी जेल में पूछताछ
ईडी ने कोर्ट में आवेदन देकर तीनों आरोपियों से जेल में पूछताछ की अनुमति ले ली है। ईडी फिलहाल जेल में पूछताछ करेगी। यदि जरूरत हुई तो तीनों आरोपियों को रिमांड पर लेगी।
17 फरवरी तक जेल में रहेंगे सौरभ, चेतन और शरद
आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा, उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे लोकायुक्त कोर्ट में पेश किया गया। यहां करीब एक घंटे चली सुनवाई के बाद जज आरपी मिश्रा ने तीनों आरोपियों को 17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। श्वष्ठ के आवेदन पर कोर्ट ने जरूरत अनुसार जेल में पूछताछ की अनुमति दी है।
सौरभ की कंपनियों के सोर्स-कर्मचारियों की जानकारी जुटा रही लोकायुक्त
भोपाल के लोकायुक्त कार्यालय में रविवार को आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा से करीब सात घंटे पूछताछ की गई। सौरभ से उसकी कंपनियों- अविरल इंटरप्राइजेज, अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी, अविरल फिशरीज और अविरल पेट्रोल पंप की आय के तमाम स्रोतों के बारे में जानकारी ली गई।