‘सोशल डिस्टेंस बढ़ाओ, इमोशनल डिस्टेंस घटाओ’, 10 प्वाइंट में जानें पीएम मोदी ने मन की बात में क्या-क्या कहा
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से निपटने और लॉकडाउन से उपजे हालातों के बीच पीएम मोदी ने आज यानी रविवार को सुबह 11 बजे मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया। 63वें मन की बात संस्करण में पीएम मोदी ने सबसे पहले लॉकडाउन की वजह से लोगों को हो रही परेशानियों के लिए माफी मांगी और कहा कि यह देश और देशवासियों को बचाने के लिए जरूरी था। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई है और हमें इस जंग तो जीतना ही होगा। उन्होंने कहा कि अभी जो हालात हैं, उसमें आप सभी को सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाने और इमोशनल डिस्टेंसिंग घटाने की जरूरत है। उन्होंने कोरोना के खिलाफ जंग में योगदान देने वाले फ्रंट लाइन सोल्जर्स का भी धन्यवाद दिया। तो चलिए जानते हैं पीएम मोदी के मन की बात की अहम बातें….
1. मन की बात कार्यक्रम के शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा मांगता हूं और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरूर माफ करेंगे, क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं, जिसकी वजह से आपको कई तरह की कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं। खास करके मेरे गरीब भाई-बहनों को देखता हूं तो जरूर लगता है कि उनको लगता होगा कि ऐसा कैसा प्रधानमंत्री है, हमें इस मुसीबत में डाल दिया। उनसे भी मैं विशेष रूप से माफी मांगता हूं।
2. पीएम मोदी ने कहा कि बहुत से लोग मुझसे नाराज भी होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है। मैं आपकी दिक्कतें समझता हूं, आपकी परेशानी भी समझता हू्ं, लेकिन भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश को कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए ये कदम उठाइ बिना कोई रास्ता नहीं था।
3. उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई है और इस लड़ाई में हमें जीतना है और इसलिए ये कठोर कदम उठाने की बहुत आवश्यक थे। किसी का मन नहीं करता है ऐसे कदमों के लिए लेकिन दुनिया के हालात देखने के बाद लगता है कि यही एक रास्ता बचा है। आपको आपके परिवार को सुरक्षित रखना है।
4. पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे यहां कहा गया है, ‘एवं एवं विकार: अपी तरुन्हा साध्यते सुखं’। यानी बीमारी और उसके प्रको से शुरुआत में ही निपटना चाहिए। बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है और आज पूरा हिन्दुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है।
5. पीएम मोदी ने कहा कि भाइयों, बहनों, माताओं और बुजुर्गों कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है। ये ज्ञान, विज्ञान, गरीब, संपन्न, कमजोर, ताकतवर हर किसी को चुनौती दे रहा है। ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं से बंधा है और न ही ये कोई क्षेत्र देखता है और न ही कोई मौसम। ये वायरस इंसान को मारने पर, उसे समाप्त करने की जिद उठाकर बैठा है और इसलिए सभी लोगों को, पूरी मानवजाति को इस वायरस के खत्म करने के लिए एकजुट होनकर संकल्प लेना ही होगा।
6. प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से साहस एवं संकल्प प्रदर्शित करने को कहा, कई और दिनों के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करने की अपील। पीएम मोदी ने कहा कि हमें ये समझना होगा कि मौजूदा हालात में अभी एक दूसरे से सिर्फ सोशल डिस्टेंस बना कर रखना है, न कि इमोशनल या ह्यूमन डिस्टेंस।
7. पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि वो लॉकाडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसा करके वो मानों जैसे दूसरों की मदद कर रहे हैं। ये भ्रम पालना सही नहीं है। ये लॉकडाउऩ आपके खुद के बचने के लिए है। आपको आपने से बचाना है, अपने परिवार को बचाना है। अभी आपको आने वाले कई दिनों तक इसी तरह धैर्य दिखाना है, लक्ष्मण रेखा पालन करना ही है।
8. पीएम मोदी ने कहा कि मैं यह भी जानता हूं कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, नियम नहीं तोड़ा चाहता, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अब भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। ऐसे लोगों को यही कहूंगा कि लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगो तो कोरोना वायरस से बचना मुश्किल हो जाएगा। दुनियाभर में बहुत से लोगों को कुछ इसी तरह की खुशफहमी थी। आज ये सब पछता रहे हैं।
9. पीएम मोदी ने कहा कि इस लड़ाई के अनेखों योद्धा ऐसे हैं जो घरों में नहीं, घरों के बाहर रहकर कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे हैं। जो हमारे फ्रंट लाइन सोल्जर्स हैं। खासकर के हमारी नर्सेज बहनें हैं, नर्सेज का काम करने वाले भाई हैं, डॉक्टर हैं, पारा मेडिकल स्टाफ हैं। ऐसे साथी हैं, जो कोरोना को पराजित कर चुके हैं। आज हमें उनसे प्रेरणा लेनी है।
10. आज जब मैं डॉक्टरों का त्याग, तपस्या, समर्पण देख रहा हूं तो मुझे आचार्य चरक की कही हुई बात याद आती है। आचार्य चरक ने डॉक्टरों के लिए बहुत सटीक बात कॉही है और आज वो हम अपने डॉक्टरों के जीवन में हम देख रहे हैं। आचार्य चरक ने कहा है, न आत्मार्थ्मनअपी कामानर्थम्अतभूत दयां प्रति। वर्तते यत्चिकित्सायां स सवर्म इति वर्रतते।। यानी धन और किसी खास कामना को लेकर नहीं, बल्कि मरीज की सेवा के लिए , दया भाव रखकर कार्य करता है, वो सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है।