क्या भारत बनेगा बायोटेक महाशक्ति?

क्या भारत बनेगा बायोटेक महाशक्ति? सरकार का विजन कितना कारगर

सरकार देशभर में 24 नए बायोटेक हब बनाने जा रही है. इससे बायोटेक रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा और नए-नए प्रोडक्ट्स बनेंगे.

भारत पूरी दुनिया में बायोटेक्नोलॉजी के लिए 12 सबसे बढ़िया देशों में से एक है. बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री ने कोविड-19 महामारी से लड़ने में सबसे आगे रहकर बहुत मदद की है. उन्होंने वैक्सीन, एंटीवायरल, डायग्नोस्टिक टेस्ट और कई दूसरे टूल्स बनाकर और इस्तेमाल करके दिखाया है. इस महामारी ने देश को मेडिकल डिवाइस और वैक्सीन बनाने,लाने और एक्सपोर्ट करने के लिए सही माहौल बनाने में मदद की है.

2021 में पूरे देश में बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर में नए स्टार्टअप्स की बाढ़ आ गई. लगभग 1128 नए स्टार्टअप्स ने बाजार में कदम रखा. इस उछाल ने 2023 तक बायोटेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स की कुल संख्या को लगभग 8500 तक पहुंचाने में योगदान दिया है.

भारत की बायो-इकोनॉमी कितनी
IBEF की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बायो-इकोनॉमी इंडस्ट्री 2015 में 10 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 अरब डॉलर हो गई है. 2021 तक बायो-इकोनॉमी भारत की GDP में 2.6% का योगदान करती है और साल 2030 तक 300 अरब डॉलर तक पहुंचने के लिए तैयार है.

भारत की बायो-इकोनॉमी को कोविड टीकाकरण और टेस्टिंग अभियान से भी बड़ी मदद मिली. कोविड टीकों की कीमत 8.7 अरब डॉलर थी, जबकि टेस्टिंग की लागत 5.9 अरब डॉलर थी. 2021 में 1.45 अरब कोविड डोज दी गईं और हर दिन 1.3 मिलियन कोविड टेस्ट किए गए.

भारतीय बायो-इकोनॉमी का सबसे बड़ा हिस्सा बायोफार्मा है. बायोफार्मा का बायो-इकोनॉमी में 49% हिस्सा था और इसका कुल आर्थिक योगदान 39.4 अरब डॉलर अनुमानित था. 2025 तक भारत में वैक्सीन बाजार कुल 252 अरब रुपये (3.04 अरब डॉलर) होने का अनुमान है. 

क्या भारत बनेगा बायोटेक महाशक्ति? सरकार का विजन कितना कारगर

भारत की बायोटेक इंडस्ट्री: डबल से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रही
साल 2015 से 2020 तक भारत की बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ी. पांच सालों में ये 30.2 अरब डॉलर से बढ़कर 70.2 अरब डॉलर हो गई, यानी डबल से भी ज्यादा. उम्मीद है कि 2025 तक भारत की बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री 150 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी. 2030 तक 270-300 अरब डॉलर तक भी पहुंच सकती है. 

2025 तक ग्लोबल बायोटेक्नोलॉजी मार्केट में भारत का योगदान 19% तक बढ़ने की उम्मीद है. भारतीय बायोलॉजिक्स मार्केट 2025 तक 12 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जिसका एनवल ग्रोथ रेट (CAGR) 22% होगा.

भारत में कितने बायोटेक स्टार्टअप्स
इंडिया बायोइकोनॉमी रिपोर्ट (IBER) 2024 के अनुसार, भारत में बायोटेक स्टार्टअप की संख्या काफी बढ़ गई है. 2014 में जहां सिर्फ 50 बायोटेक स्टार्टअप थे, वहीं 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 8531 हो गई है. 

लोकसभा में सरकार ने बताया, बायोटेक स्टार्टअप्स की मदद के लिए सरकार बहुत कुछ कर रही है. बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT) ने 2012 में BIRAC नाम की एक संस्था बनाई थी, जो बायोटेक सेक्टर में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देती है. ये संस्था सरकार की नीतियों के हिसाब से काम करती है.

क्या भारत बनेगा बायोटेक महाशक्ति? सरकार का विजन कितना कारगर

BIRAC ने 95 बायो-इंक्यूबेटर्स बनाए हैं, जहां स्टार्टअप्स को जगह और सुविधाएं मिलती हैं. BIRAC कई तरह से पैसे की मदद भी करता है. अगर किसी के पास नया आइडिया है, तो उसे 50 लाख रुपये तक की मदद मिलती है, ताकि वो अपने आइडिया को जमीनी स्तर पर लागू कर सके. लगभग 1000 स्टार्टअप्स को इससे मदद मिली है. 

BIRAC अपनी स्कीम और प्रोग्राम्स को समय-समय पर अपडेट करता रहता है, ताकि स्टार्टअप्स को सही मदद मिलती रहे. जरूरत पड़ने पर नए प्रोग्राम भी लॉन्च किए जाते हैं. BIRAC कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम करता है, ताकि बायोटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम को लगातार सपोर्ट मिलता रहे.

देशभर में बायो-AI हब: सरकार का नया प्लान!
सरकार ने बायोटेक को बढ़ावा देने के लिए एक नई पॉलिसी शुरू की है, जिसका नाम है BioE3. कैबिनेट की मंजूरी के बाद बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT) ने इसे लॉन्च किया है. इसका मकसद है बायो-बेस्ड प्रोडक्ट्स बनाना, इसके लिए देशभर में बायो-इनेबलर्स बनाए जाएंगे.

इन बायो-इनेबलर्स में शामिल हैं:

  • बायो-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Bio-AI) हब: यहां AI और बायोटेक को मिलाकर नए-नए रिसर्च और डेवलपमेंट किए जाएंगे
  • बायोफाउंड्रीज: यहां बायोलॉजिकल सिस्टम्स का इस्तेमाल करके प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे
  • बायोमैन्युफैक्चरिंग हब: यहां बड़े पैमाने पर बायो-बेस्ड प्रोडक्ट्स का उत्पादन किया जाएगा

सरकार का मानना है कि बायो-बेस्ड प्रोडक्ट्स भविष्य में बहुत जरूरी होंगे. इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा और नए रोजगार भी मिलेंगे. इसलिए, सरकार इन बायो-इनेबलर्स को बनाकर इस क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहती है.

बायोटेक हब का क्या है प्लान?
सरकार देशभर में 24 नए बायोटेक हब बनाने जा रही है. इससे बायोटेक रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा और नए-नए प्रोडक्ट्स बनेंगे. बायो-AI हब और बायोमैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज बनाने का काम भी चल रहा है, इससे ये सेक्टर और भी तेजी से बढ़ेगा.

लोकसभा में सरकार ने बताया, बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT) और BIRAC ने मिलकर बायोटेक हब बनाने के लिए प्रपोजल मांगे थे. ये हब कॉलेज और इंडस्ट्री दोनों जगहों पर बनाए जाएंगे. 

253 से ज्यादा प्रपोजल आए, इनमें से 24 प्रोजेक्ट्स को चुना गया है. ये प्रोजेक्ट्स बायोफाउंड्रीज और बायोमैन्युफैक्चरिंग हब्स बनाने के लिए हैं. इन्हें पूरे देश में बनाया जाएगा और दो साल में ये बनकर तैयार हो जाएंगे. इसके अलवा, बायो-AI हब और बायोमैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है.

क्या भारत बनेगा बायोटेक महाशक्ति? सरकार का विजन कितना कारगर

क्या भारत बनेगा बायोटेक महाशक्ति?
हां, भारत के पास बायोटेक महाशक्ति बनने का दम है. सरकार बायोटेक कंपनियों को पैसे और सुविधाएं दे रही है. साइंटिस्ट लगातार नई-नई खोजें कर रहे हैं. लोग बायोटेक प्रोडक्ट्स और सेवाओं का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. इससे कंपनियों को मुनाफा हो रहा है. कोरोना महामारी के दौरान भारत ने दिखाया कि वो वैक्सीन बनाने में कितना सक्षम है. इसने दुनिया को दिखा दिया कि भारत बायोटेक में कितना आगे है.

लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं. बायोटेक प्रोडक्ट्स को मंजूरी देने के नियम थोड़े सख्त हैं, जिन्हें आसान बनाने की जरूरत है. बायोटेक रिसर्च में काफी पैसा लग जाता है, इसलिए सरकार को और ज्यादा निवेश करना होगा. भारत के पास बायोटेक महाशक्ति बनने का पूरा मौका है. अगर सरकार अपनी नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करती है और प्राइवेट सेक्टर को अधिक सहयोग मिलता है, तो भारत अगले दशक में ग्लोबल बायोटेक हब बन सकता है.

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