मसालों का बादशाह, फिर भी ग्लोबल मार्केट में क्यों पिछड़ा भारत?
मसालों का बादशाह, फिर भी ग्लोबल मार्केट में क्यों पिछड़ा भारत?
भारत ज्यादातर कच्चे मसाले ही निर्यात करता है, इस वजह से हमें कम मुनाफा होता है. दुनिया के स्पाइस मार्केट में अपनी हिस्सेदारी सिर्फ 0.7% है, सिर्फ 48% मसाले ही प्रोसेस करके बेचे जाते हैं.
भारत को मसालों का देश कहा जाता है. यहां हल्दी, मिर्च, जीरा, धनिया, इलायची और अन्य मसाले बड़ी मात्रा में उगाए जाते हैं. लेकिन, वर्ल्ड स्पाइस ऑर्गेनाइजेशन (WSO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा मसाला उत्पादक होने के बावजूद ग्लोबल सीजनिंग मार्केट में सिर्फ 0.7% हिस्सेदारी रखता है.
वर्ल्ड स्पाइस ऑर्गेनाइजेशन ने ये भी बताया कि चीन की हिस्सेदारी 12% और अमेरिका की 11% है, जो भारत से बहुत ज्यादा है. ऐसे में ये सोचने वाली बात है कि जब हम इतने मसाले उगाते हैं, तो फिर ग्लोबल मार्केट में इतने पीछे क्यों हैं? क्या हम अपने मसालों की क्वालिटी और पैकेजिंग पर ध्यान नहीं दे रहे हैं? क्या हम अपने मसालों को सही तरीके से मार्केटिंग नहीं कर पा रहे हैं? क्या हमें अपने मसालों को प्रोसेस करके बेचने पर ध्यान देना चाहिए?
WSO का कहना है कि 2030 तक 10 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को मसाला उत्पादन बढ़ाना होगा, उनकी क्वालिटी सुधारनी होगी और उन्हें प्रोसेस करके बेचना होगा.
कितना मसाला उगाते हैं हम?
IBEF की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हमारे यहां मसालों की खेती बढ़िया हुई है. 2022-23 में 1 करोड़ 11 लाख टन से भी ज्यादा मसाले उगाए गए. वहीं, 3.73 अरब डॉलर (लगभग 30 हजार करोड़ रुपये) के मसाले दूसरे देशों को बेचे.
कौन से मसाले सबसे ज्यादा बिकते हैं?
2021-22 में भारत से सबसे ज्यादा मिर्च निर्यात की गई, उसके बाद मसाला तेल, पुदीना, जीरा और हल्दी का नंबर आता है. इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (ISO) ने 109 किस्म के मसालों को लिस्ट किया है. इनमें से 75 भारत में उगाए जाते हैं.
कौन से मसाले सबसे ज्यादा उगाए जाते हैं?
सबसे ज्यादा उगाए और बेचे जाने वाले मसालों में काली मिर्च, इलायची, मिर्च, अदरक, हल्दी, धनिया, जीरा, अजवाइन, सौंफ, मेथी, लहसुन, जायफल, जावित्री, करी पाउडर, मसाला तेल शामिल हैं. इनमें से मिर्च, जीरा, हल्दी, अदरक और धनिया का उत्पादन सबसे ज्यादा करीब 76% होता है.
ये मसाले सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में उगाए जाते हैं.
कितना निर्यात करता है भारत?
IBEF की रिपोर्ट की मानें तो 2023-24 में भारत ने 4.46 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपये) के मसाले दूसरे देशों को बेचे. 2024-25 में (जून 2024 तक) 1.09 अरब डॉलर (करीब 9 हजार करोड़ रुपये) के मसाले निर्यात हो चुके हैं.
2016-17 से 2022-23 तक भारत से मसालों का निर्यात 5.85% की दर से बढ़ा है. जुलाई 2023 में मसाला निर्यात जून 2023 के मुकाबले बढ़कर 29.87 करोड़ डॉलर हो गया. 2022-23 में मिर्च, जीरा, हल्दी और अदरक का निर्यात सबसे ज्यादा हुआ. हल्दी, धनिया, लहसुन, करी पाउडर, हींग, इमली जैसे मसालों के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है.
फिर क्या है समस्या?
भारत ज्यादातर कच्चे मसाले ही निर्यात करता है, इस वजह से हमें कम मुनाफा होता है. दुनिया के स्पाइस मार्केट में अपनी हिस्सेदारी सिर्फ 0.7% है, सिर्फ 48% मसाले ही प्रोसेस करके बेचे जाते हैं. बाकी 52% कच्चे ही बिकते हैं, जिससे उनकी कीमत कम मिलती है.
कई बार मिलावट और ज्यादा कीटनाशकों के कारण हमारे मसाले रिजेक्ट हो जाते हैं, इससे भारत की छवि खराब होती है. वियतनाम, इंडोनेशिया, ब्राज़ील, चीन, थाईलैंड, श्रीलंका और मेडागास्कर जैसे देश भी अब मसाला उत्पादन में आगे आ रहे हैं.
हम अब भी पुरानी किस्मों के मसाले उगाते हैं और प्रोसेसिंग में भी नई तकनीक का इस्तेमाल कम करते हैं. इससे मसालों की क्वालिटी और शेल्फ लाइफ कम होती है. खेती में मशीनों का कम इस्तेमाल होने से उत्पादन महंगा होता है और काम भी धीरे होता है.
क्या वैल्यू एडिशन से ही बढ़ेगी कमाई?
भारत दुनियाभर में 15 लाख टन मसाले बेचता है, जिसकी कीमत 4.5 अरब डॉलर होती है. ये 20 अरब डॉलर के ग्लोबल मसाला मार्केट का 25% हिस्सा है. मतलब, भारत मसालों के मामले में बड़ा खिलाड़ी है, लेकिन, इनमें सिर्फ 48% मसाले ही प्रोसेस करके बेचे जाते हैं, जैसे मसाला पाउडर, पेस्ट वगैरह.
अगर भारत 2030 तक 10 अरब डॉलर का निर्यात करना चाहता है, तो उसे 70% मसालों को प्रोसेस करके बेचना होगा. इससे मसालों की कीमत बढ़ेगी और भारत को ज्यादा फायदा भी होगा.
इसके लिए ज्यादा से ज्यादा मसाला प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने होंगे, जहां मसालों को साफ किया जाए, पीसा जाए और पैक किया जाए. नई किस्मों के मसाले उगाने होंगे और प्रोसेसिंग में नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा. साथ ही मशीन और नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना होगा, ताकि मसालों की क्वालिटी और उनकी शेल्फ लाइफ बढ़े. मसालों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर भी ध्यान देना होगा, ताकि दुनियाभर में लोग भारतीय मसालों को पहचानें और पसंद करें.
निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार की पहल
हालांकि, भारत सरकार भी मसाला उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. स्पाइसेस बोर्ड ऑफ इंडिया (SBI) 1986 में मसाला बोर्ड अधिनियम के तहत स्थापित वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है. केरल के कोच्चि में इसका मुख्यालय है. ये इलायची और 52 और तरह के मसालों को बढ़ावा देता है, उनकी क्वालिटी चेक करता है, नई-नई खोज में मदद करता है और मसाला बेचने वालों को दुनिया भर के बाजारों से जोड़ता है.
नेशनल सस्टेनेबल स्पाइस प्रोग्राम (NSSP) स्पाइसेस बोर्ड ऑफ इंडिया और WSO ने मिलकर शुरू किया है. इसमें सभी लोग मिलकर काम करते हैं ताकि मसालों की खेती लंबे समय तक चलती रहे और किसी को नुकसान न हो. SBI ने पूरे देश में आठ मसाला पार्क बनाए हैं. इन पार्कों में किसानों को मसाले बेचने, उनकी पैकेजिंग करने और अच्छा दाम दिलाने में मदद की जाती है. इसके अलावा, सिक्किम में एक मसाला कॉम्प्लेक्स खोला गया है. ये कॉम्प्लेक्स नॉर्थ-ईस्ट में मसालों की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया है.
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Spices Export from India: कभी भारतीय मसालों के लिए तरसती थी दुनिया, अब क्यों लग रहे प्रतिबंध?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक और निर्यातक है। अंतराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन ने मसालों की 109 किस्मों को सूचीबद्ध कर रखा है जिसमें से लगभग 75 का उत्पादन भारत में होता है। पिछले साल भारत ने करीब 35 हजार करोड़ रुपये के मसालों का निर्यात किया। लेकिन हाल के दिनों में भारत के मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। आइए जानते हैं कि इसकी वजह क्या है।
चीन | 6,391.64 करोड़ रुपये |
अमेरिका | 4,467.39 करोड़ रुपये |
बांग्लादेश | 2,076.64 करोड़ रुपये |
यूएई | 1,945.98 करोड़ रुपये |
थाईलैंड | 1,498.08 करोड़ रुपये |
मलेशिया | 1,205.60 करोड़ रुपये |
इंडोनेशिया | 1,199.12 करोड़ रुपये |
ब्रिटेन | 932.65 करोड़ रुपये |
श्रीलंका | 868.50 करोड़ रुपये |
सऊदी अरब | 747.89 करोड़ रुपये |
भारतीय मसालों में क्या दिक्कत है?

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2023 भारत से किन मसालों का सबसे अधिक हुआ निर्यात?
मिर्च | 32.9% |
अन्य मसाले | 24.6% |
जीरा | 13.2% |
मसाला तेल | 12.9% |
पुदीना उत्पाद | 11.3% |
हल्दी | 5.3% |
स्पाइसेज बोर्ड ऑफ इंडिया भी इन जोखिमों से वाकिफ है। यही वजह है कि उसने देश से निर्यात होने वाले उत्पादों की टेस्टिंग को अनिवार्य कर दिया है। मसाला उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड के सही इस्तेमाल के लिए गाइडलाइंस भी जारी की गई है। स्पाइस बोर्ड इस बात पर भी विचार कर रहा कि एथिलीन ऑक्साइड का बेहतर विकल्प क्या हो सकता है।