केंद्र के खिलाफ विपक्ष का मोर्चा:लोकसभा के पूरे सत्र से 50 से ज्यादा सांसद दे सकते हैं इस्तीफा; तेलंगाना के सीएम इनके संपर्क में
संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित है। इस बीच, दक्षिण के स्थानीय दल एक मंच पर आने की तैयारी कर रहे हैं। तेलंगाना के सीएम और टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव, डीएमके, AAP, जेडीएस और दक्षिण भारत के कांग्रेसी सांसदों से संपर्क कर रहे हैं। वह कोशिश कर रहे हैं कि विपक्ष के 50 से ज्यादा सांसद 17वीं लोकसभा तक पूरे सत्र के लिए खुद के निलंबन का आग्रह करें और विरोध को नया मोड़ दे दें।
राज्य सभा के 20 और लोकसभा के 4 सांसदों को सदन में हंगामे के कारण निलंबित कर दिया गया है। निलंबित सांसदों में डीएमके, टीआरएस, लेफ्ट, आप, कांग्रेस और टीएमसी के नेता भी शामिल हैं। टीआरएस सांसद रविचंद्र बड्डीराजू ने बताया कि जिस तरह से मोदी सरकार विपक्ष की आवाज को कुचल कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। उसके विरोध में दक्षिण भारत के ज्यादातर विपक्षी दलों के सांसद स्पीकर और सभापति से यह आग्रह करने का विचार कर रहे हैं कि उन्हें 17वीं लोकसभा तक के लिए ही सस्पेंड कर दिया जाए।’
डीएमके के नेता कह रहे हैं कि सरकार सदन में विपक्ष को कठपुतली की तरह रखना चाहती है। हम यह नहीं होने देंगे। हर सत्र में हमें सस्पेंड किया जाए, इससे बेहतर है कि पूरे सत्र के लिए ही सस्पेंड कर दें या फिर पूरा विपक्ष ही एक साथ 17वीं लोकसभा से इस्तीफा दे दे

।भाजपा पर दोतरफा वार करने की कवायद
दक्षिण गौरव के नारे के जरिए विपक्ष भाजपा पर दो तरफ से वार करना चाहता है। वह भाजपा को उत्तर भारतीय पार्टी बताने की सियासत कर रहा है। केरल, तमिलनाडु, आंध्र और तेलंगाना में भाजपा कमजोर है। दक्षिण में यह बात आम चर्चा में लाना आसान है कि भाजपा, दक्षिण भारतीय राज्यों की उपेक्षा करती है। वहां की भाषा और सांस्कृतिक ताने-बाने को तोड़ना चाहती है।
दूसरी बात यह है कि, विरोधी खेमे से सबसे ज्यादा सांसद भी इन्हीं राज्यों से हैं। ऐसे में यदि दक्षिण गौरव का मुद्दा मजबूत हुआ, तो भाजपा की मजबूत स्थिति वाले कर्नाटक में भी नुकसान हो सकता है। आंध्र और केरल जैसे राज्य भी विपक्ष के साथ आ सकते हैं।
दक्षिण भारत में 130 सीटें, भाजपा के पास सिर्फ 29
दक्षिण में लोकसभा की 130 सीटें हैं। इनमें से कर्नाटक की 25 सीटों समेत 29 भाजपा के पास हैं। चूंकि कांग्रेस के ज्यादातर सांसद दक्षिण से ही हैं। वह तमिलनाडु में सहयोगी भी है। ऐसे में यहां कांग्रेस के लिए बंगाल या ओडिशा की तुलना में आसान और कम विरोधाभाषी होगा।
दीदी की बजाय KCR पर दांव ज्यादा मुफीद
मोदी से मुकाबले के लिए ममता भी काफी आक्रामक हैं। पर बंगाल में सिर्फ 42 सीटें हैं। वह हिंदी भाषी राज्यों में विपक्ष का चेहरा नहीं हो सकती हैं। इसके उलट केसीआर हिंदी भी अच्छी बोलते हैं और दक्षिण में राष्ट्रीय स्तर की राजनीति करने का उनके पास अनुभव भी है।