निजी स्कूलों ने किताबों की सूची सार्वजनिक नहीं की; हर स्कूल की अपनी दुकान फिक्स ?
प्राइवेट स्कूलों का नया शैक्षणिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू होने वाला है। अब तक कई निजी स्कूल संचालकों ने अपनी वेबसाइट या सूचना पटल पर यह चस्पा नहीं किया है कि उनके यहां इस सत्र में कौन-कौन सी किताबें चलेंगी। साल 2018 में अभिभावकों ने निजी स्कूलों की मोनोपॉली के विरोध में सागर में लंबा आंदोलन किया था। जिसके बाद निर्देश जारी हुए थे कि नए शैक्षणिक सत्र के पहले सभी स्कूल संचालक सत्र यह जानकारी अपनी वेबसाइट एवं सूचना पटल पर सार्वजनिक करेंगे कि उनके यहां कौन-कौन सी किताबें चलेंगी।
वर्ष-2015 में लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल ने आदेश जारी किए थे कि एनसीईआरटी की पुस्तकों के अलावा प्राइवेट स्कूल संचालक अधिकतम 4 किताबें ही अपनी जरूरत के मुताबिक चला सकते हैं। इसी की आड़ में स्कूल संचालक 4 की जगह ज्यादा किताबें चलाते हैं। इनके रेट भी 150 से लेकर 500 रुपए प्रति किताब तक रहते हैं। यही वो किताबें होती हैं जो सिर्फ स्कूल और उससे जुड़ी स्टेशनरी संचालकों को पता होती हैं एनसीईआरटी की किताबें सस्ती होती हैं। जब विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को ये किताबें नहीं मिलतीं तो वे मजबूरन उन्हीं स्टेशनरी में पहुंच जाते हैं जहां से मजबूरी में वे पूर्व से किताबें खरीदते रहे हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग सागर इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता। कई निजी स्कूल संचालकों ने अभी से स्टेशनरियों के नाम लिखकर अभिभावकों को पर्चियां देकर किताबों सहित अन्य सामग्री खरीदने के लिए थमा दी हैं। शिक्षा विभाग इन सब पर न तो कोई कार्रवाई कर रहा है और न ही कोई हेल्पलाइन जैसी व्यवस्था जारी है। इसी का फायदा निजी स्कूल संचालक उठा रहे हैं। अभिभावक किताबों से लेकर रजिस्टर, कॉपी, जूते, टाई, स्कूल बैग आदि तयशुदा दुकानों से ही खरीदने के लिए मजबूर हैं।