साल 2010 से 2015 बैच के 31 प्रमोटी आईएएस ​अधिकारियों को अब भी है कलेक्टरी का इंतजार !

36 जिलों में सीधी भर्ती वालों को कमान:साल 2010 से 2015 बैच के 31 प्रमोटी आईएएस ​अधिकारियों को अब भी है कलेक्टरी का इंतजार

मप्र में 2010 से 2015 बैच तक के 31 आईएएस अधिकारी ऐसे हैं जो कलेक्टर नहीं बन पाए। ये सभी राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने हैं। हाल ही में 2011 बैच की नेहा मारव्या सिंह भी डिंडोरी कलेक्टर बन गईं। सीधी भर्ती में नेहा ही ऐसी अधिकारी बची थीं जिन्हें कलेक्टरी नहीं मिली थी। तब यह बात मुखर हुई कि प्रमोटी आईएएस अफसरों को पूरे अवसर क्यों नहीं दिए जा रहे।

हालांकि अब उच्च स्तर से ऐसे अफसरों की सूची मांगी है। मई के बाद संभावित मैदानी फेरबदल में इनको अवसर दिया जा सकता है। इस समय 55 जिलों में से 36 में सीधी भर्ती (आरआर) के आईएएस कलेक्टर हैं। 19 में प्रमोटी आईएएस हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि सिविल सर्विस में आने वाला व्यक्ति यह उम्मीद करता है कि कम से कम एक बार तो कलेक्टर बने।

उत्तर प्रदेश में तो नॉन आईएएस अफसर भी डीएम बनते हैं, जिनकी उम्र 56 साल से अधिक हो चुकी है। ये जरूर है कि किसी जिले में नॉन आईएएस को डीएम बनाया जाता है तो वहां किसी सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसर की पोस्टिंग नहीं की जाती। मप्र में भी ऐसा हो सकता है। कई बार अलग-अलग फोरम पर एसोसिएशन यह बात रखता रहा है। वर्तमान में 2010 बैच से लेकर 2015 बैच तक के ही अधिकारी कलेक्टर बने हुए हैं।

अभी नहीं तो फिर सचिव बन जाएगा 2010 बैच

2010 बैच 10 महीने बाद सचिव पद पर प्रमोट हो जाएगा। इस बैच में चार प्रमोटी आईएएस हैं जो कलेक्टर नहीं बने। इनमें दिनेश श्रीवास्तव, अशोक चौहान, सपना निगम और चंद्रशेखर वालिंबे हैं। अभी विचार नहीं हुआ तो ये विभागों में ही काम करते दिखाई देंगे। 2011 बैच के आईएएस हरिसिंह मीणा बिना कलेक्टर बने ही जनवरी में रिटायर हो गए।

इन बैच में ज्यादा ​अफसर भी एक वजह

2010 से 2015 तक के बैच में ज्यादा अधिकारी रहे। इसलिए आरआर वाले प्रमोटी आईएएस अफसरों की तुलना में आगे निकल गए। हाल ही में जब कई जिलों के कलेक्टरों को बदलने की बात चली थी, तब 2013 से लेकर 2015 बैच के प्रमोटी आईएएस अफसरों के नाम पर विचार करने की बात कही गई, लेकिन मौका नहीं मिला । बैच के मुताबिक अधिकारियों की संख्या इस प्रकार है-

एक ही पद पर सालों गुजरे 2014 बैच के आईएएस नियाज अहमद खान को पीडब्ल्यूडी में पांच साल होने जा रहे हैं। भारती ओगरे को खनिज में चार साल व राजेश ओगरे को सूचना आयोग में साढ़े तीन साल हो गए। प्रीति जैन पांच साल से संभागीय सचिव हैं।

एक्सपर्ट व्यू… सीनियॉरिटी की जगह नेताओं की पसंद देखी जा रही

“कलेक्टर बनाते समय सीनियॉरिटी लिस्ट देखना चाहिए। एक के बाद एक सभी को मौका दिया जाए। बाद में परफॉर्मेंस देखकर हटाना या रहने देना चाहिए। आजकल सीनियॉरिटी की जगह नेताओं की पसंद देखी जा रही है। वे जिसे अपने जिले में लाना चाहते हैं, उसी के नाम की पुरजोर सिफारिश करते हैं। यह चकित करता है कि इतने अधिकारी अभी कलेक्टर नहीं बन पाए।”

– एससी बेहार, पूर्व मुख्य सचिव, मप्र

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *