चीन कॉपी-पेस्ट में मास्टर निकला !

चीन कॉपी-पेस्ट में मास्टर निकला, जानें कितने देशों के फाइटर जेट का डुप्लीकेट बनाकर मालामाल हुआ

When China Copies US and Russia Fighters jet: एक रिपोर्ट कहती है कि चीन हथियारों, फाइटर जेट के मामलों में अब आत्मनिर्भर हो चला है. बीते चार सालों में चीन ने हथियारों और इससे जुड़े उत्पादों के आयात में 64 फीसद तक की कमी दर्ज की है. चीन ने यह कारनामा यूं नहीं किया. अमेरिका, रूस और इजराइल के फाइटर जेट के डिजाइन कॉपी भी किए.

चीन कॉपी-पेस्ट में मास्टर निकला, जानें कितने देशों के फाइटर जेट का डुप्लीकेट बनाकर मालामाल हुआ

चीन एफ-7 नाम से यह नया फाइटर प्लेन दुनिया के सामने लेकर आया, जिस पर कॉपी करने का आरोप लगा.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हाल में आई रिपोर्ट ने पूरी दुनिया का ध्यान चीन की ओर खींचा है. रिपोर्ट कहती है कि चीन हथियारों, फाइटर जेट आदि के मामलों में अब आत्मनिर्भर हो चला है. उसने बीते तीन दशक में लगातार काम करते हुए यह उपलब्धि हासिल की है. बीते चार सालों में चीन ने हथियारों एवं इससे जुड़े उत्पादों के आयात में 64 फीसद तक की कमी दर्ज की है. रिपोर्ट यह भी कहती है कि चीन अब टॉप टेन हथियार आयातक देशों की सूची से बाहर हो चुका है

ऐसे में यह जानना रोचक हो जाता है कि आखिर चीन ने यह करतब कैसे दिखाया? क्योंकि किसी तकनीक का विकास एक दिन का काम नहीं है. शोध में वर्षों लगते हैं. फिर कोई नई चीज सामने आती है. ऐसे में कुछ ही वर्षों में हथियारों की खरीद में भारी कमी सामने आना असामान्य घटना है. हालांकि, भारत बीते चार साल की अवधि में भारत के आयात में भी 11 फीसदी की कमी दर्ज की गई जो भारत के प्रयासों को रेखांकित करने को पर्याप्त है लेकिन यह कहती है कि भारत को अभी भी आत्मनिर्भर बनने में वक्त है.

यह बात तब और महत्वपूर्ण हो जाती है कि चीन से भारत के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं. कोई कुछ भी कहे लेकिन एलएसी पर तनाव आम है. दोनों देशों के सैनिक आए दिन आपस में लड़ते-भिड़ते रहते हैं. भारत भी हथियारों आदि के मामले में खुद को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है और पड़ोसी ताकतवर देश चीन ने आयात काफी हद तक कम कर दिया है. वह हथियारों के डिजाइन से लेकर प्रोडक्शन तक घरेलू ही कर रहा है. पूरी दुनिया मानती है कि आस तभी संभव है जब कोई तकनीक ही कॉपी कर ले अन्यथा ऐसा कुछ बरस में संभव नहीं है.

चीन ने दूसरे देशों से क्या-क्या कॉपी किया?

  • एफ-7 लड़ाकू विमान: सोवियत संघ से चीन के रिश्ते बेहद पुराने हैं. चीन पिछले कई दशक से ज्यादातर हथियार रूस से ही खरीद रहा था. पर, हाल के वर्षों में इसमें तेज गिरावट आई है. साल 1962 में सोवियत रूस ने चीन को मिग 21 फाइटर प्लेन की पेशकश की थी. इसके बाद बड़ी संख्या में मिग 21 चीन से खरीदे. उड़ाये. इसी के साथ चीन ने इस तकनीक को कॉपी करना शुरू किया और एफ 7 नाम से एक नया फाइटर प्लेन दुनिया के सामने लेकर आया. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कॉपी करके चीन ने अपना समय और धन दोनों बचा लिया.

 

  • जे-10: चीन ने ऐसा पहली बार नहीं किया है. वह पहले से ऐसा करता आ रहा है. 1980 के दशक की बात है. अमेरिका और इजरायल के बीच एफ-16 नाम से एक नया लड़ाकू विमान बनाने पर सहमति बनी. बाद में अमेरिका ने इस सौदे से अपने हाथ खींच लिए. तब तक इजरायल इस पर काफी काम कर चुका था. बाद में इस पूरे प्रोजेक्ट को इजरायल ने जस का तस चीन को बेच दिया. उसका काम आसान हो गया. एफ-16 की तकनीक मिलने के बाद चीन ने जे-10 नाम से एक नया लड़ाकू विमान साल 2007 में दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया.

 

  • जे-11 फाइटर प्लेन: मीडिया रिपोर्ट की मानें तो चीन ने यह विमान साल 1998 में बनाया. इसे सोवियत रूस के सुखोई एसयू 27 एसके की कॉपी कहा गया है. इसके लिए चीन ने रूस से एक महंगा समझौता किया था, जिसका उद्देश्य यह था कि चीन रूस से सामान लेकर दो सौ विमान बनाएगा. उसने अपना लक्ष्य पूरा किया और इसी के साथ जे-11 नाम से एक नया विमान भी दुनिया के सामने पेश कर दिया.

 

  • जे-15 विमान: साल 2001 की बात है. चीन ने यूक्रेन से एसयू-33 का एक अधूरा प्रोटोटाइप टी-10के-3 नाम से खरीदा. इसमें भी चीन ने वही खेल किया. रिवर्स इंजीनियरिंग करके जे-15 नाम से नया फाइटर जेट तैयार कर दिया. इसे दुनिया फ्लाइंग शार्क के नाम से भी जानती है. इसका इस्तेमाल चीन की नेवल विंग करती है. चौथी पीढ़ी का यह विमान काफी ताकतवर बताया जाता है.

 

  • जेएफ-17 विमान: रूसी मिग 21 और इजरायली एफ-16 की तकनीक को मिलाकर चीन ने एक और फाइटर प्लेन जेएफ-17 के नाम से बनाया.

 

  • जे-20: यह एक और ताकतवर फाइटर प्लेन चीन ने बनाया है. इसे औपचारिक तौर पर साल 2016 के चीनी एयर शो में प्रदर्शित किया गया था. प्रयोग के दौर में इस उड़ान ने साल 2011 में अपनी पहली उड़ान भरी थी. आरोप है कि यह विमान अमेरिकी एफ-22 और एफ 35 का मिश्रित रूप है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसकी तकनीक चीनी नागरिक सु बिन ने अमेरिका से उड़ाई थी. अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक बिन चीनी सेना के लिए काम करता था. उसने खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में अंकित किया था, जो एविएशन क्षेत्र का एक्सपर्ट है और उसी क्षेत्र में व्यवसाय करता है. बाद में इसे सजा हुई लेकिन तब तक बिन अपना काम कर चुका था.

 

  • शेनयांग एफसी-31: चीन ने इस नाम से पांचवीं पीढ़ी का एक और फाइटर प्लेन बनाया है. इसका निर्माण / परीक्षण दौर में है. कभी भी यह दुनिया के सामने आ सकता है. बताया जाता है कि यह अमेरिकी फाइटर प्लेन एफ-35 की कॉपी है.यह आंकलन करना आसान हो जाता है कि जो देश पूरा का पूरा फाइटर प्लेन कॉपी करके नया बना ले रहा है तो भला उसने छोटे हथियारों में भला क्या ही नहीं किया होगा. हद यह है कि उसकी यह सारी करतूतें इंटरनेट पर छाई हुई हैं फिर भी चीन पर कोई फर्क नहीं है. वह मदमस्त अपनी मंजिल की ओर बढ़ा चला जा रहा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *