CBI ने स्पोर्टस सिटी में तीन बिल्डरों पर की FIR !

CBI ने स्पोर्टस सिटी में तीन बिल्डरों पर की FIR
नोएडा प्राधिकरण को भी बनाया आरोपी, हाइकोर्ट का आदेश बना आधार, सबलीज कंपनियां भी शामिल
सीबीआई सांकेतिक फोटो। - Dainik Bhaskar

सीबीआई सांकेतिक फोटो।

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में सीबीआई और ईडी जांच का आदेश दिया है। इस मामले में सीबीआई ने तीन एफआईआर दर्ज की हैं। पहली एफआईआर लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर की गई है। तीसरी एफआईआर जनायडू एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड पर की गई।

दोनों पर आरोप है कि 2011 से 2017 तक बिल्डरों, कंसोर्टियम, और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मिलकर कथित तौर पर घर खरीदारों के पैसे हड़पने का आरोप है।

लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड पर एफआईआर

सीबीआई ने अपनी एफआईआर में छह आरोपी बनाए है। लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को पहला आरोपी बनाया है। इसके अलावा कंपनी के डायरेक्टर शक्ति नाथ, मीना नाथ, विक्रम नाथ शामिल है।

वहीं नोएडा प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारी और अन्य अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसी तरह दूसरी एफआईआर लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की गई है।

ये प्रोजेक्ट सेक्टर-150 एससी 01 और इससे जुड़ी 12 सबलीज कंपनियों से जुड़ा है। जिसमें सभी 12 के नाम शामिल है।

लोट्स ग्रीन कंस्ट्रक्शन पर एफआईआर

जिसमें पहला आरोपी लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन कंपनी को बनाया गया । इसी तरह कंपनी के डायरेक्टर निर्मल सिंह, विदुर भरद्वाज, सुरप्रीत सिंह सूरी और नोएडा प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारी व एक अन्य खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

एफआईआर में हाइकोर्ट का आदेश का हवाला दिया गया है। इसमें लोटस ग्रीन के अलावा उनकी सब लीज करीब 24 कंपनियों को भी शामिल किया गया है। ये प्रोजेक्ट सेक्टर-150 एससी-01/ए और एस-02 से जुड़ा है। इसके अलावा जनायडू एस्टेट पर एफआईआर दर्ज की गई है।

सीएजी ने 9000 करोड़ का बताया घोटाला

बता दें सीएजी ऑडिट में स्पोर्ट्स सिटी आवंटन में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया था। जिससे नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को 9000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

ऑडिट में पाया गया कि डेवलपर्स को जमीन कम कीमत पर दी गई। डेवलपर्स द्वारा नोएडा प्राधिकरण को साइड लाइन करते हुए स्वामित्व का अनधिकृत हस्तांतरण किया गया।

लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज तक नहीं दिए गए। साथ ही खेल के बुनियादी ढांचे के पूरा न होने के बावजूद अधिभोग प्रमाण पत्र जारी किए गए थे।

क्या है स्पोर्टस सिटी परियोजना इसे समझे

नोएडा प्राधिकरण ने पहली बार 16 अगस्त 2004 को स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं के विकास का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं स्थापित करना था।

25 जून 2007 की बैठक में परियोजना के लिए पूरे नोएडा में 311.60 हेक्टेयर भूमि की पहचान की। 8 अप्रैल 2008 की बोर्ड बैठक में स्पोर्ट्स सिटी के लिए निर्धारित भूमि को बढ़ाकर 346 हेक्टेयर कर दिया गया।

जिसमें सेक्टर 76, 78, 79, 101, 102, 104 और 107 शामिल थे। यह निर्णय आगामी राष्ट्रमंडल खेल 2010 से प्रभावित था।

परियोजना को आकार देने के लिए, ग्रांट थॉर्नटन को योजना का मसौदा तैयार करने और भूमि आवंटन के लिए दिशानिर्देश स्थापित करने के लिए नियुक्त किया गया।

18 सितंबर 2008 तक, नोएडा प्राधिकरण ने इन योजनाओं को संशोधित मास्टर प्लान 2031 में शामिल किया। 1 अक्टूबर, 2008 और 4 नवंबर, 2008 को परियोजना की रूपरेखा वाले ब्रोशर को अंतिम रूप दिया गया।

सितंबर 2010 में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ, जब स्पोर्ट्स सिटी के लिए कुल भूमि क्षेत्र 311 हेक्टेयर से घटाकर 150 हेक्टेयर कर दिया गया।

ग्रांट थॉर्नटन को फिर से एक संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया, जिससे भविष्य के आवंटन के लिए आरक्षित मूल्य का निर्धारण किया गया।

2010-11 और 2015-16 के बीच 798 एकड़ में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं शुरू की गईं।

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