जज कैश केस- पुलिस ने स्टोर रूम सील किया ..FIR की मांग पर सुप्रीम कोर्ट बोला- पिटीशनर बयानबाजी न करें

जज कैश केस- पुलिस ने स्टोर रूम सील किया
यहीं अधजले नोट मिले थे; FIR की मांग पर सुप्रीम कोर्ट बोला- पिटीशनर बयानबाजी न करें
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए CJI ने याचिकाकर्ताओं को सार्वजनिक बयान नहीं देने को कहा।

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर जले हुए नोटों के बंडल मिलने के मामले में बुधवार को पुलिस उनके घर पहुंची। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीसीपी नई दिल्ली देवेश की टीम ने पैसे मिलने वाले स्टोर रूम को सील किया है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने को कहा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा को सार्वजनिक बयान न देने का आदेश दिया है।

हालांकि मैथ्यू ने CJI की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने जले हुए नोटों के वीडियो को सार्वजनिक करके अच्छा काम किया है।

इसके अलावा दूसरे याचिकाकर्ता ने CJI के निर्णय को चुनौती दी, जिसमें 3 जजों के पैनल को आंतरिक जांच करने को कहा गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर इतना पैसा किसी बिजनेसमैन के घर पर मिलता तो ED और IT पीछे पड़ जातीं।

उधर, पुलिस ने जस्टिस वर्मा के घर में आग लगने की घटना को लेकर जांच की। वहीं, अधजले नोट मिलने को लेकर कर्मचारियों से पूछताछ की।

दरअसल, जस्टिस वर्मा के घर में 14 मार्च को होली के दिन आग लग गई थी। फायर सर्विस की टीम जब उसे बुझाने गई तो स्टोर रूम में उन्हें बोरियों में भरे 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे।

जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी। उनके घर के स्टोर रूम जैसे कमरे में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले।
जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी। उनके घर के स्टोर रूम जैसे कमरे में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले।

3 सदस्यीय टीम ने जस्टिस वर्मा के घर की जांच की

सुप्रीम कोर्ट की बनाई हुई तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने मंगलवार को जस्टिस वर्मा के घर पहुंचकर जांच की थी। टीम उस स्टोर रूम में भी गई, जहां 500-500 रुपए के नोटों से भरीं अधजली बोरियां मिली थीं।

कमेटी में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।

टीम उस स्टोर रूम में गई जहां ₹500-₹500 के नोटों से भरीं अधजली बोरियां मिली थीं।
टीम उस स्टोर रूम में गई जहां ₹500-₹500 के नोटों से भरीं अधजली बोरियां मिली थीं।

जस्टिस वर्मा की वापसी के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन

23 मार्च को भी दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद भेजने की बात का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। 23 मार्च को ही जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था।

बार ने जनरल हाउस मीटिंग बुलाई थी। जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया था। साथ ही मामले की जांच ED और CBI से कराने की मांग का भी प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव की कॉपी सुप्रीम कोर्ट CJI को भी भेजी गई है।

पहले जानिए क्या है मामला…

जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी। उनके घर के स्टोर रूम जैसे कमरे में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले। सवाल खड़ा हुआ कि इतना कैश कहां से आया। मामले ने तूल पकड़ा।

21 मार्च: कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने यह मामला राज्यसभा में उठाया। उन्होंने न्यायिक जवाबदेही का मसला उठाते हुए सभापति से इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस का जिक्र किया था।

22 मार्च: CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस से जस्टिस वर्मा को कोई भी काम न सौंपने को कहा था।

22 मार्च: देर रात सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस के घर से 15 करोड़ कैश मिलने का वीडियो जारी किया। 65 सेकेंड के वीडियो में नोटों से भरी जली बोरियां दिखाई दे रही हैं। मामले के खुलासे के बाद से जस्टिस वर्मा खुद ही छुट्टी पर हैं।

21 मार्च: जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट होने का प्रस्ताव बनाया गया।

जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही बतौर जज नियुक्त हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2021 में उनका दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे हैं।

23 मार्च: कैश कांड के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनी

सुप्रीम कोर्ट के CJI संजीव खन्ना के आदेश पर कैश कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई। इसमें जस्टिस शील नागू (पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस), जी एस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस) और कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।

मामले की जांच कितने समय में पूरी होनी है, फिलहाल यह तय नहीं किया गया है। अगर जांच कमेटी इस नतीजे पर पहुंचती है कि आरोप सही हैं, तो जस्टिस वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करने के लिए CJI संजीव खन्ना ये कदम उठा सकते हैं…

  • CJI संजीव खन्ना जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की सलाह दे सकते हैं।
  • अगर जस्टिस वर्मा CJI की सलाह को नहीं मानते हैं तो वे दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को उन्हें कोई काम न देने का आदेश जारी करेंगे।
  • इसके बाद CJI, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट देकर उसके नतीजे बताएंगे। जिसके बाद जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की कार्यवाही शुरू हो सकेगी।

अब देखिए जस्टिस वर्मा के घर की 3 तस्वीरें…

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी तस्वीर में 500 रुपए के नोटों की गड्डी जली हुई नजर आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी तस्वीर में 500 रुपए के नोटों की गड्डी जली हुई नजर आ रही है।
जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि करीब 3-4 बोरियां जली हुई मिली थीं।
जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि करीब 3-4 बोरियां जली हुई मिली थीं।
जिस कमरे में आग लगी, उसका इस्तेमाल स्टोर रूम के रूप में किया जाता था।
जिस कमरे में आग लगी, उसका इस्तेमाल स्टोर रूम के रूप में किया जाता था।

सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का भी पक्ष

रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का पक्ष भी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां मिलने की बात की जा रही है, वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी कोई पैसा नहीं रखा। वो एक ऐसी खुली जगह है, जहां हर किसी का आना-जाना होता है। उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इंटरनल इन्क्वायरी के बाद सुप्रीम कोर्ट को 21 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को ज्यूडिशियल काम देने से मना कर दिया है। अब जस्टिस वर्मा के 6 महीने की कॉल डिटेल्स की जांच की जाएगी।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बोले- किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी

दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित माथुर ने कहा- मैं मानता हूं कि बार एसोसिएशन जजों के जज के तौर पर काम करता है। जस्टिस वर्मा के खिलाफ आजतक किसी भी वकील ने मुझसे शिकायत नहीं की।

उन्होंने कहा- जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट के बेहतरीन जजों में से एक हैं। हालांकि उन पर लग रहे आरोप और पब्लिक डोमेन में चल रहे सबूत बेहद गंभीर हैं। वीडियो क्लिप साफ नहीं है, इसलिए किसी फैसले पर आना जल्दबाजी होगी।

रिपोर्ट के बाद आगे क्या…

CJI संजीव खन्ना के 3 सवाल

  • घर के परिसर में मिले इतने कैश को जस्टिस वर्मा कैसे जस्टिफाई करेंगे?
  • जितनी भी रकम मिली है, जस्टिस वर्मा यह भी बताएं कि उसका सोर्स क्या है?
  • 15 मार्च की सुबह किस व्यक्ति ने जले हुए नोटों को कमरे से हटाया था?

CJI के 3 आदेश

  • जस्टिस वर्मा के घर सिक्योरिटी ऑफिसर्स और गार्ड की डिटेल्स भी दी जाए।
  • पिछले 6 महीने में जस्टिस वर्मा की ऑफिशियल और पर्सनल कॉल डिटेल निकाली जाए।
  • जस्टिस वर्मा से अपील की जाती है वो अपने मोबाइल से मैसेज या डेटा डिलीट न करें।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध इंटरनल इन्क्वायरी रिपोर्ट का एक हिस्सा।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध इंटरनल इन्क्वायरी रिपोर्ट का एक हिस्सा।

दिल्ली HC के चीफ जस्टिस ने ये जानकारियां दीं…

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने 21 और 22 मार्च को सीजेआई को भेजी रिपोर्ट में ये जानकारियां दीं-

  • 15 मार्च को मैं होली की छुट्टी के चलते लखनऊ में था। शाम 4:50 बजे दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने फोन पर बताया कि 14 मार्च की रात 11:30 बजे ​जस्टिस वर्मा के बंगले में आग लग गई थी। कॉल जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने की थी।
  • सचिव को आग लगने की जानकारी आवास पर कार्यरत नौकर ने दी। जिस कमरे में आग लगी वह गार्ड रूम के बगल है। स्टोर रूम आमतौर पर बंद रहता था। मैंने अपने रजिस्ट्रार को मौके पर भेजा, उन्होंने बताया- जिस कमरे में आग लगी वहां ताला नहीं था।
  • 16 मार्च की शाम दिल्ली पहुंचने पर मैं आपसे (सीजेआई) मिला और रिपोर्ट दी। फिर जस्टिस वर्मा से संपर्क किया। उन्होंने 17 मार्च सुबह 8:30 बजे हाई कोर्ट गेस्ट हाउस में अपना पक्ष रखा और षड्यंत्र की आशंका जताई।
  • मेरी जांच के मुताबिक प्रथमदृष्टया जिस कमरे में आग लगी वहां किसी बाहरी का प्रवेश संभव नहीं दिखता। केवल वहां रहने वाले व्यक्ति, नौकर, और सीपीडब्ल्यूडी कर्मी ही जा सकते थे। इसलिए, मेरी राय है कि मामले की गहराई से जांच हो।

2018 में भी 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में नाम जुड़ चुका

इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है।

जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।

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