प्रदेश में धान घोटाला…338 करोड़ रुपए ?

अपग्रेडेशन के नाम पर यह कैसा प्रोत्साहन? … नागरिक आपूर्ति निगम ने बाजार से उठाया पैसा
प्रदेश में धान मिलों पर ईओडब्ल्यू की छापेमारी और फर्जी मिलिंग चार्ज के खुलासे के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि मप्र में धान की मिलिंग करने वालों को अपग्रेडेशन के नाम पर तीन साल में 338 करोड़ बांट दिए गए। यह पैसा नागरिक आपूर्ति निगम ने बाजार से ब्याज पर उठाया है।
वर्ष 2023-24 के लिए 133.95 करोड़ बांटने का आदेश बुधवार को जारी कर दिया गया। यह तब हुआ जब कई जिलों में मिलर्स द्वारा धान घोटाले के मामले सामने आ रहे हैं। सस्ते धान को अन्य राज्यों से खरीदकर मप्र में मिलिंग के नाम पर सरकार से लाभ लिया जा रहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ महीने पहले ही मप्र चावल उद्योग महासंघ के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने भोपाल में प्रदेशभर के मिलर्स को इकट्ठा कर सरकार पर अपग्रेडेशन की राशि और अन्य मांगों को लेकर दबाव बनाया था। अब ईओडब्ल्यू ने उसी पर केस दर्ज किया है। उनकी ही शकुंतला राइस मिल में गड़बड़ियां सामने आई हैं।
मप्र में प्रति क्विंटल 170 रुपए अतिरिक्त, अन्य राज्यों में नहीं : मध्य प्रदेश में पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत 7-8 लाख टन चावल की जरूरत होती है, जबकि मप्र में मिलिंग के बाद 30 लाख टन से अधिक चावल मिलर्स लौटा रहे हैं। इसे रोकने के लिए सरकार ने प्रोत्साहन और अपग्रेडेशन स्कीम लागू की है।
ये है गणित:
- मप्र में धान मिलिंग पर प्रति क्विंटल 50 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलती है।
- 40% से 80% तक चावल राज्य की एजेंसी को देने और बाकी केंद्रीय एजेंसी को देने पर प्रति क्विंटल 40 रुपए अपग्रेडेशन राशि मिलती है।
- अधिकतम 40% चावल राज्य की एजेंसी को और 60% या इससे अधिक केंद्रीय एजेंसी को देने पर प्रति क्विंटल 120 रुपए अपग्रेडेशन राशि के रूप में मिलते हैं।
