इलेक्ट्रानिक्स के मोर्चे पर एपल इंक द्वारा 500 अरब डालर का निवेश, सेमीकान फैब्स में टीएसएमसी द्वारा 100 अरब डालर का निवेश, मासायोशी सोम सहित एक समूह का 500 अरब डालर का स्टारगेट एआइ निवेश, राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ रणनीति अपने समग्र प्रभावों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीव्र रफ्तार से विस्तार ले रही तकनीकी एवं नवाचारी अर्थव्यवस्था में गहरे परिवर्तनों का आधार बन रही है। स्पष्ट है कि अगला टेकेड पिछले दशक जैसा नहीं रहेगा।

प्रौद्योगिकी को वैश्विक सहयोग के क्षेत्र के रूप में देखा जाता था, जिसमें विशेषकर इंटरनेट पूरी दुनिया को जोड़ने का आधार बना। विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ से एक अर्थ में इलेक्ट्रानिक्स और सेमीकंडक्टर मूल्य शृंखलाओं के इस प्रकार के रचनात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहन मिला। हालांकि इन सभी संकेतों और अस्पष्ट लक्ष्यों से इतर एक पहलू यह भी है कि चीन का अपना एक पृथक इंटरनेट और डाटा इकोनमी-इकोसिस्टम है, जिसमें उसके अपने बाजारों तक सीमित पहुंच है। चीन ने पश्चिम से टेक आरएंडडी अपनाकर अपने संदिग्ध तौर-तरीकों से वैश्विक जीवीसी में पहले मजबूती से उपस्थिति दर्ज कराई और कालांतर में प्रौद्योगिकी परिदृश्य पर लंबे समय से अग्रणी रहने वाले अमेरिका के लिए एक प्रतिस्पर्धी के रूप में भी वह उभरा है। इसी क्रम में उभरती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ जैसी नई तकनीक में चीनी डीपसीक ने अमेरिकी के संभावित प्रभुत्व को चुनौती देने का काम किया।

इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रौद्योगिकी परिर्वतनकारी होती है और यह नई व्यवस्था का निर्माण करेगी। उससे यही अपेक्षा भी है, लेकिन दुनिया के अधिकांश देशों की सरकारें इसे महज सक्षम बनाने की भूमिका में रही हैं। शायद चीन को छोड़कर, जिसने पिछले दो दशकों से अदृश्य होकर अर्थात गोरिल्ला रणनीति के साथ प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित किया है और हाल में अमेरिका द्वारा निर्यात नियंत्रण व्यवस्था कायम करने के बाद इसकी गति तेज कर दी है।

डब्ल्यूटीओ के नेतृत्व वाली वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को अब एक भू-राजनीतिक युद्ध के मैदान से बदला जा रहा है, जहां यह मुकाबला चल रहा है कि तकनीक के भविष्य, इसके मानकों और इसकी पहुंच को आकार देने में कौन बाजी मारेगा। इस अघोषित युद्ध के मैदान को समझने की जरूरत है। इसमें न तो यह देखा जा रहा है कि कौन आइपी पंजीकृत करता है, न ही यह वैज्ञानिक मान्यता की स्पर्धा है। इसे महज बुद्धि या विचारों की लड़ाई भी नहीं कहा जा सकता। इस नई दौड़ का मुख्य उद्देश्य नए तरह के हथियारों की होड़ है। वस्तुत:, यह अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास की दौड़ में सफल और विफल रहने वालों की स्पर्धा है।

दुनिया कोविड महामारी के बाद भी अब तक उसकी मार और असर से उबर भी नहीं पाई कि यूरोप एवं पश्चिम एशिया के हिंसक टकरावों ने उसे और और अस्थिर किया है। ऐसी स्थिति में प्रौद्योगिकी ही आर्थिक विकास, समृद्धि एवं रोजगार सृजन को वापस पटरी पर लाने और लागत कम करने के अवसर दे सकती है। आमतौर पर उभरती हुई तकनीक के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार होता है। विशेष रूप से एआइ के बारे में यह जानना जरूरी है कि एआइ के लिए वास्तविक बेंचमार्क किसी उद्यम एवं राष्ट्र का आर्थिक विकास और सकल मूल्य वर्धन यानी जीवीए को प्रभावित करता है। एआइ की यही दशा-दिशा आगामी टेकेड की नियति को निर्धारित करेगी। यह ऐसा टेकेड है, जिसके लिए अब केवल सामान्य कौशल और शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लिए बहुत उच्च स्तर के अनुभव और क्षमताओं की आवश्यकता होगी।

नि:संदेह बदलते हालात में भारत के लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं पर असर देखने को मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2015 में डिजिटल इंडिया लांच करने के बाद मैं उन लोगों में से एक हूं, जो तकनीक और नवाचार में भारत की प्रगति और विकास के भविष्य को देख रहे हैं। आर्थिकी के विकास और इसे वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी एवं प्रभावशाली बनाने को लेकर भारत की दोनों महत्वाकांक्षाओं में एआइ, सेमीकान और इलेक्ट्रानिक्स में तकनीकी नवाचार की भी एक बड़ी भागीदारी होगी। भारत ने पिछले आठ-नौ वर्षों के दौरान अपने नवाचार और डिजिटल अर्थव्यवस्था के पहले चरण को सफलता के साथ आगे बढ़ाया और अब दूसरे चरण में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

हमारी अपनी आर्थिक रणनीति जो एफडीआइ और सार्वजनिक निवेश पर आधारित थी, वह आने वाले वर्षों में निजी खपत और निजी निवेश से अधिक संचालित होगी। तकनीक और नवाचार विशेष रूप से गहन प्रौद्योगिकी, क्षमताओं और कौशल जैसे एआइ, सेमीकान, इलेक्ट्रानिक्स के इन नए क्षेत्रों में पूंजी और निवेश के लिए अन्य देशों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी होगी, लेकिन हमारी प्रतिभा एक ऐसी संपत्ति है, जो प्रतिस्पर्धा के पैमाने पर हमारा पलड़ा भारी कर सकती है। यह दूसरा चरण हमारे इंडिया टेकेड और विकसित भारत का प्रवेश द्वार भी है। ये दोनों लक्ष्य जिन्हें हम सामूहिक रूप से एक राष्ट्र के रूप में प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें हमें अवश्य प्राप्त करना चाहिए। हालांकि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें अधिक प्रतिस्पर्धी टेकेड में सफल बनना होगा। इसलिए तैयार रहिए 2025 में रोमांचकारी सफर का अनुभव मिलने जा रहा है।

(लेखक पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की केरल इकाई के अध्यक्ष हैं)