क्या भारत बनेगा हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक?

10 साल में 30 गुना बढ़ा कारोबार: क्या भारत बनेगा हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक?

रक्षा से जुड़े सामान भारत में बनाए जाने शुरू हो चुके हैं. कई देशों को भारत हथियार सप्लाई भी कर रहा है. हालांकि, भारत अभी दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों में शामिल है.

भारत आज एक नई राह पर चल रहा है. देश की सेना को मजबूत करने के लिए अब बाहर से हथियार खरीदने की बजाय अपने देश में ही सामान बनाने का लक्ष्य है. इसको ‘आत्मनिर्भर भारत’ कहते हैं. सरकार चाहती है कि भारत की सेना ताकतवर बने, देश का पैसा बचे और दुनिया में भारत का नाम हो. लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है.

क्यों जरूरी है आत्मनिर्भरता?
भारत के आसपास का माहौल हमेशा शांत नहीं रहता. कभी पड़ोसी देशों से तनाव बढ़ता है, तो कभी संकट आता है. ऐसे में अगर हथियार बाहर से आते हैं और सप्लाई रुक जाए, तो क्या होगा? इसलिए भारत को अपने हथियार खुद बनाने होंगे. इससे सेना हर वक्त तैयार रहेगी. किसी और देश की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी.

साथ ही, अपने हथियार बनाने से देश में काम बढ़ेगा. कारखानों में नौजवानों को नौकरी मिलेगी. छोटे-बड़े उद्योग आगे बढ़ेंगे. भारत अब अपने हथियार बेच भी रहा है. इससे पैसा आएगा और दुनिया में भारत की ताकत दिखेगी. नए आविष्कार होंगे. सेना के लिए नई तकनीक बनेगी. गाँवों और छोटे शहरों में भी कारखाने खुलेंगे. वहाँ के लोग भी तरक्की करेंगे.

अब तक क्या हुआ?
भारत ने इस दिशा में बड़ी छलांग लगाई है. पहले रक्षा सामान का उत्पादन 46,429 करोड़ रुपये का था. अब यह दोगुना हो गया. हथियारों का निर्यात भी आसमान छू रहा है. 2014 में यह सिर्फ 686 करोड़ रुपये था. 2024 में यह 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यानी 30 गुना बढ़ोतरी! भारत अब तेजस विमान, आकाश मिसाइल और तेज नावें बना रहा है. ये दुनिया को पसंद आ रहे हैं.

अब 65% रक्षा सामान भारत में बनता है. पहले ज्यादातर बाहर से आता था. 16,000 से ज्यादा छोटी कंपनियां और 430 बड़ी कंपनियां इस काम में लगी हैं. सरकार ने 5,500 चीजों की लिस्ट बनाई, जो अब बाहर से नहीं आएंगी. इनमें से 3,000 चीजें भारत में बनने लगी हैं. उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा क्षेत्र बने हैं. यहां 8,658 करोड़ रुपये लगे हैं और 53,439 करोड़ के सौदे हुए हैं. iDEX नाम का प्रोग्राम भी चल रहा है. इसमें 619 स्टार्टअप को 449.62 करोड़ रुपये मिले हैं.

रास्ते में अड़चनें क्या हैं ?
सब कुछ अच्छा नहीं है. कुछ मुश्किलें भी हैं. भारत को बड़े हथियारों की तकनीक नहीं आती. जैसे, लड़ाकू जहाज का इंजन या खास इलेक्ट्रॉनिक्स. इसके लिए अभी भी विदेशी मदद चाहिए. निजी कंपनियां भी कम काम कर रही हैं. उनका हिस्सा सिर्फ 21% है. बाकी काम सरकारी कंपनियां करती है.

सामान खरीदने में बहुत देरी होती है. कागजी काम ज्यादा है. फैसले जल्दी नहीं होते. इससे सेना को नया सामान मिलने में टाइम लगता है. अनुसंधान पर भी कम पैसा खर्च होता है. वैज्ञानिक नई चीजें बनाते हैं, लेकिन उसे बड़े स्तर पर नहीं बनाया जाता. भारत अभी भी पनडुब्बी, लड़ाकू जहाज और ड्रोन बाहर से खरीदता है. एक रिपोर्ट कहती है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार खरीदने वाला देश है. ज्यादातर सामान रूस से आता है. जांच करने की जगह भी कम है. इससे नई चीजें बनाने में दिक्कत होती है.

सरकार ने क्या किया?
सरकार ने कमर कस ली है. 2014 में “मेक इन इंडिया” शुरू हुआ. 2020 में नई खरीद नीति बनी. इसमें कहा गया कि ज्यादातर सामान भारत में बनेगा. iDEX और TDF से छोटी कंपनियों को पैसा और मौका मिला. SRIJAN नाम का ऑनलाइन मंच बना. यहाँ बताया जाता है कि कौन सी चीजें बाहर से आती हैं और उन्हें यहां कैसे बनाया जाए.

5 लिस्ट बनीं, जिनमें 5,500 चीजों का आयात बंद होगा. उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा क्षेत्र बने. यहां कंपनियों को टैक्स में छूट और मदद मिलती है. सरकार हर कदम पर नजर रख रही है.

आगे क्या करना होगा?
अभी और मेहनत चाहिए. अनुसंधान पर ज्यादा पैसा लगाना होगा. वैज्ञानिक, निजी कंपनियां और स्टार्टअप को साथ लाना होगा. AI, तेज मिसाइल और छिपने वाले हथियारों पर काम करना होगा. निजी कंपनियों को ज्यादा मौका देना होगा. उनके लिए नियम आसान करने होंगे. सामान खरीदने की प्रक्रिया तेज करनी होगी. डिजिटल सिस्टम से निगरानी होनी चाहिए.

हथियारों की जांच के लिए नई जगहें बनानी होंगी. इसमें निजी कंपनियां मदद कर सकती हैं. भारत को दूसरे देशों के साथ साझेदारी करनी चाहिए. तकनीक और उत्पादन में हिस्सेदारी होनी चाहिए. एक सिस्टम बनाना चाहिए, जिसमें आत्मनिर्भरता की प्रगति दिखे. जो अच्छा करे, उसे इनाम मिले.

भारत का आत्मनिर्भर रक्षा मिशन एक बड़ा सपना है. यह देश को ताकत देगा. सेना मजबूत होगी. देश में पैसा बढ़ेगा. दुनिया में भारत का डंका बजेगा. लेकिन इसके लिए सबको साथ मिलकर काम करना होगा. अगर यह सपना सच हुआ, तो भारत दुनिया का रक्षा हब बन सकता है.

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