संसद का मानसून सत्र: कम समय में ज्यादा कामकाज पर सरकार का जोर
कोरोना काल की असामान्य परिस्थितियों में हो रहे संसद के मानसून-सत्र के दौरान ‘कम समय में ज्यादा काम-काज’ निपटाने की कोशिश की जाएगी। आमतौर पर रोजाना छह घंटे से ज्यादा काम-काज करने वाले सदन में इस बार केवल चार घंटे का कामकाज ही होगा। यही वजह है कि प्रश्नकाल को इस बार नहीं लिया जाएगा। साथ ही शून्यकाल के समय में भी कटौती की जा रही है। यह केवल आधा घंटे का होगा।
ज्यादा कामकाज पर जोर
संसदीय कार्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार की कोशिश मानसून सत्र में ज्यादा से ज्यादा विधायी कामकाज निपटाने की है। इसमें 11 अध्यादेशों पर विधेयक लाए जाने हैं और डेढ़ से दो दर्जन नए विधेयकों को भी पेश किया जाना है। साथ ही कोरोना महामारी, बाढ़ आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चाएं भी होनी हैं।
सांसदों की नाराजगी कम करने को होगा शून्यकाल
संसदीय कार्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, मानसून-सत्र में शून्यकाल रखा जाएगा, लेकिन उसकी अवधि कम होगी। दरअसल सांसदों को अपने क्षेत्र की मांग रखने और तात्कालिक लोक महत्व के मुद्दों को उठाने के लिए शून्यकाल रखा जाएगा।
प्रश्नकाल इसलिए स्थगित हुआ
प्रश्नकाल की तुलना में शून्यकाल ज्यादा मुखर माना जाता है। क्योंकि इसमें विपक्ष और सांसद अपने अपने मुद्दे खुलकर उठा सकते हैं। सरकार के लिए भी यह आसान होता है, क्योंकि वह किसी सवाल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होती है। जबकि प्रश्नकाल में सरकार को पहले से पूरी तैयारी करनी होती है। इसलिए सरकार ने प्रश्नकाल को स्थगित करने का फैसला किया है।
राज्यसभा में रोज 160 सवालों के जवाब होंगे
राज्यसभा के सूत्रों के अनुसार, मानसून सत्र के दौरान हर रोज 160 अतारांकित सवालों के लिखित जवाब दिए जाएंगे और यह संख्या हर सप्ताह 1120 सवालों की होगी। इसके साथ ही रोजाना 10 विशेष और 10 शून्यकाल के उल्लेख लिए जाएंगे। साथ ही सत्र के दौरान अल्पकालिक चर्चाएं और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी होंगी। विधेयक व विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष वोटिंग भी करा सकेगा।
एक को छोड़ सभी दल प्रश्नकाल स्थगन पर सहमत
सूत्रों के अनुसार सत्र के पूर्व रक्षामंत्री और संसदीय कार्यमंत्री ने सभी प्रमुख विपक्षी दलों से बात की है और इस चर्चा में केवल एक क्षेत्रीय पार्टी को छोड़कर अधिकांश दलों ने प्रश्नकाल स्थगन और सदस्यों के निजी विधेयक को स्थगित करने पर मोटी सहमति जताई है।
विपक्ष के कार्य स्थगन प्रस्तावों का सरकार ने रखा ब्योरा
इस बीच सरकार भी विपक्ष के खिलाफ मुखर हुई है। एक प्रमुख नेता ने राज्यसभा के आंकड़े बताते हुए कहा कि विपक्ष ने पिछले छह सत्रों में प्रश्नकाल को रोकने के लिए काफी कोशिश की है। राज्यसभा के 246वें सत्र में 17 बैठकें थी और विपक्ष ने 15 दिन कामकाज स्थगित करने के नोटिस दिए। इसी तरह 247वें सत्र में 18 बैठकों में 16 दिन, 248वें सत्र में 10 बैठकों में 8 दिन, 249वें सत्र में 35 बैठकों में 30 दिन, 250वें सत्र में 20 बैठकों में 12 दिन और 251वें सत्र में 23 बैठकों में 15 दिन कामकाज स्थगित करने के नोटिस दिए। इनमें प्रश्नकाल को स्थगित करना भी शामिल है।
सांसदों की कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी
सांसदों के लिए 14 सितंबर से शुरू होने वाले मानसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए अपनी, अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सम्पर्कों की कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी होगी। मानसून-सत्र 01 अक्तूबर तक चलेगा।
लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के विस्तृत दिशा-निर्देशों के अनुसार, सांसदों के करीबी संपर्कों में उनके निजी सहायक, निजी सचिव, ड्राइवर और घरेलू सहायिका शामिल होंगे। जांच सत्र शुरू होने से 72 घंटे पहले कराना जरूरी होगा और यह जांच उनके संसदीय क्षेत्र या संसद भवन परिसर में कराई जा सकती है। अगर किसी सदस्य या उनके परिजन या उपरोक्त सहायकों की जांच में पॉजिटिव रिपोर्ट आती है, तब उन्हें डॉक्टरों की सलाह और मरीजों के प्रबंधन प्रोटोकाल के अनुरूप संस्थागत पृथकवास/ अस्पताल में जाना होगा। नौ पन्नों के दिशा-निर्देश में दोनों सदनों के सचिवालय ने मास्क पहनने, छह फुट की सामाजिक दूरी बनाए रखने, सत्र के दौरान हाथ साफ करते रहने आदि पर जोर दिया है।