चावल घोटाला : 2 दिन में भोपाल – जबलपुर समेत कई जगह से 1,000 सैंपल लिए, 10 गोदाम सील

भोपाल। प्रदेश सरकार द्वारा बालाघाट, मंडला सहित प्रदेश के अन्य जिलों में कोरोना काल में राशन दुकानों से गरीबों को सड़ा हुआ चावल बांटने के मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने के दूसरे दिन शुक्रवार को जांच एजेंसी ने पीई (प्रीलिम्नरी इन्क्वायरी) दर्ज कर जांच टीम गठित कर कार्रवाई शुरू कर दी है। इधर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में फूड कॉर्पोरेशन आॅफ इंडिया (एफसीआई) और जिला प्रशासन की टीमों ने गोदामों की जांच और सैंपलिंग की कार्रवाई की। पूरे प्रदेश में जांच के लिए 51 टीमें बनाई गई हैं। दो दिन में एक हजार से ज्यादा सैंपल लिए गए हैं। भोपाल में एफसीआई के छोला और बैरसिया में दो गोदामों की जांच की गई। यहां करीब 1,500 मीट्रिक टन चावल रखा गया है। इन गोदामों से चावल के 20 सैंपल लिए गए हैं। वहीं, जबलपुर में एसडीएम ओम नम: शिवाय अरजरिया के नेतृत्व में पहुंची टीम ने रिछाई में 4, पाटन में 2, मंडी में 3 और सिहोरा में 1 गोदाम को सील कर दिया है। यहां से चांवल के सैंपल भी लिए गए हैं। वहीं ग्वालियर में भी एफसीआई की टीम ने वेयरहाउस में रखे चावल की जांच की। नान के प्रबंधक डीएम माहेश्वरी ने बताया कि एफसीआई ने जांच पूरी कर ली है।

बीते 4 साल में दर्जनों शिकायतें, कार्रवाई एक में भी नहीं

राशन दुकानों से गरीबों को सड़ा चावल बांटने का मामला भले ही अब सुर्खियों में है और पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यह ‘खेल’ अधिकारियों और मिलर्स की मिली भगत से दशकों से चल रहा है। बीते चार साल में ही कई जिलों से ऐसी ढेरों शिकायतें नागरिक आपूर्ति निगम को की गई थीं, लेकिन एक में भी कार्रवाई नहीं की गई। 2016 में भोपाल के बैरसिया में गरीबों को मिट्टी मिला गेहूं दिए जाने का मामला उस समय काफी सुर्खियों में था। तब जांच के बाद पांच अधिकारियों- कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया था, लेकिन बाद में सभी को बहाल कर दिया गया था।

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