चीन से टेंशन के बीच रक्षा मंत्रालय ने 2,290 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी
नयी दिल्ली। चीन के साथ एलएसी पर बढ़ते तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय लगातार बड़े फैसले ले रहा है। रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को 2,290 करोड़ रुपये के हथियार एवं सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी, जिसमें अमेरिका से करीब 72,000 सिग सॉअर असॉल्ट राइफलों की खरीद शामिल है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। रक्षा खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च समिति रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में इन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
अधिकारियों ने बताया कि डीएसी ने जिन उपकरणों और हथियारों की खरीद को मंजूरी दी है उनमें राइफलों के अलावा वायुसेना एवं नौसेना के लिए करीब 970 करोड़ रुपये में एंटी-एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू) सिस्टम्स शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली डीएसी ने 2,290 करोड़ रुपये के हथियार एवं सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी।’’
अधिकारियों ने बताया कि सेना के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए सिग सॉअर राइफलों की खरीद 780 करोड़ रुपये में की जाएगी। उन्होंने बताया कि डीएसी ने ‘स्टेटिक एचएफ ट्रांस-रिसीवर सेट’ की ‘भारत निर्मित खरीद श्रेणी’ में 540 करोड़ रुपये की खरीद की मंजूरी दी। एचएफ रेडियो सेट थल सेना तथा वायु सेना की जमीनी इकाइयों के बीच निर्बाध संचार में मददगार होंगे। सैन्य साजो सामान की खरीद ऐसे वक्त की जा रही है जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के हालात बने हुए हैं।
हाई फ्रिक्वेंसी रेडियो सेट आर्मी की फील्ड यूनिट और एयरफोर्स के लिए कम्युनिकेशन में मददगार साबित होंगे। वहीं, स्मार्ट एंटी एयर फील्ड वेपन नेवी और एयरफोर्स दोनों की ताकत को बढ़ायेगा। रक्षा मंत्रालय ने इंडियन आर्मी के लिए 72 हजार और अमेरिकी सिग सॉर असॉल्ट राइफल की खरीद को मंजूरी दी है। आर्मी को 72 हजार राइफल पहले ही मिल चुकी हैं, अब और 72 हजार राइफल मिलेंगी।
राजनाथ सिंह ने नयी रक्षा खरीद प्रक्रिया जारी की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को एक नयी रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी) को जारी किया, जिसमें भारत को सैन्य प्लेटफॉर्म का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने, रक्षा उपकरणों की खरीद में लगने वाले समय को कम करने तथा तीनों सेनाओं द्वारा एक सरल प्रणाली के तहत पूंजीगत बजट के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीद की अनुमति देने जैसी विशेषताएं हैं। अधिकारियों ने कहा कि नयी नीति के तहत ऑफसेट दिशा-निर्देश को भी बदला गया है और भारत में उत्पादों के विनिर्माण की पेशकश करने वाली बड़ी रक्षा कंपनियों को तरजीह दी गयी है। उन्होंने कहा कि डीएपी में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, अनुबंध के बाद के प्रबंधन, डीआरडीओ तथा रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों जैसे सरकारी निकायों द्वारा विकसित प्रणालियों की खरीद आदि के संबंध में नये अध्याय शामिल किये गये हैं।
डीएपी में एफडीआई को बढ़ावा देने के प्रावधान भी शामिल- राजनाथ सिंह
डीएपी में तीनों सेनाओं के लिए समयबद्ध तरीके से एक सरल प्रणाली के तहत पूंजीगत बजट के माध्यम से खरीद करने के संबंध में नये प्रावधान का प्रस्ताव है जिसे तीनों सेनाओं द्वारा आवश्यक सामग्री की खरीद में देरी को कम करने के अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है। सिंह ने कहा कि डीएपी में भारत के घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करते हुए आयात प्रतिस्थापन तथा निर्यात दोनों के लिए विनिर्माण केंद्र स्थापित करने के लिहाज से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देने के प्रावधान भी शामिल हैं। रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया कि नयी नीति के तहत ऑफसेट दिशा-निर्देशों में भी बदलाव किये गये हैं और संबंधित उपकरणों की जगह भारत में ही उत्पाद बनाने को तैयार बड़ी रक्षा उपकरण निर्माता कंपनियों को प्राथमिकता दी गयी है।
सिंह ने कहा कि डीएपी को सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल के अनुरूप तैयार किया गया है और इसमें भारत को अंतत: वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के उद्देश्य से ‘मेक इन इंडिया’ की परियोजनाओं के माध्यम से भारतीय घरेलू उद्योग को सशक्त बनाने का विचार किया गया है। नयी नीति में खरीद प्रस्तावों की मंजूरी में विलंब को कम करने के लिहाज से 500 करोड़ रुपये तक के सभी मामलों में ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ (एओएन) को एक ही स्तर पर सहमति देने का भी प्रावधान है। डीएपी में रक्षा उपकरणों को शामिल करने से पहले उनके परीक्षण में सुधार के कदमों का भी उल्लेख है।