राष्ट्र के नाम संबोधन में कबीर और तुलसी का नाम लेकर क्या मैसेज दे गए पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के मंगलवार को दिए गए राष्ट्र के नाम संबोधन में अपने को राष्ट्र के एक अभिभावक के रूप में अपने को स्थापित करने की स्पष्ट दृष्टि पहले भी दिखाई देती रही है. पर इस बार जिस तरह उन्होंने कबीर दास (Kabir Das) को पहले कोट किया और फिर तुलसी दास (Tulsi Das) कोट किया उसके कई मायने भी हो सकते हैं.
प्रधानमंत्री देश के हर तबके में अपने आपको स्थापित करना चाहते हैं. संत कबीर दास जी कोट करते हुए कहा, ”पकी खेती देखिके, गरब किया किसान, अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान.” अर्थात कई बार हम पकी हुई फसल देखकर अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया, लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए.
हमें ये भूलना नहीं है कि लॉकडाउन भले चला गया हो, वायरस नहीं गया है. बीते 7-8 महीनों में, प्रत्येक भारतीय के प्रयास से, भारत आज जिस संभली हुई स्थिति में हैं, हमें उसे बिगड़ने नहीं देना है. कबीर दास जी ने हिंदू धर्म के पाखंड और ब्राह्मणवाद के खिलाफ आजन्म संघर्ष किया.
कट्टरपंथ को संदेश
इसी तरह उन्होंने मुस्लिम धर्म के कट्टरपंथ के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी. पूरे देश में करीब 90 लाख कबीर पंथी हैं. पर उत्तर भारत के पिछड़े तबके में कबीर की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है. इसी बहाने पीएम ने कट्टर हिंदुत्व की बात कर लोगों को संदेश देने की कोशिश की है.
सफेद दाढ़ी में टैगोर की छवि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामचरित मानस का उदाहरण देते हुए कहा कि ”रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि.” गलती और बीमारी को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए. इसका जबतक पूरी तरह इलाज ना हो जाये, इस कम नहीं समझना चाहिए. पिछले कुछ समय से ये बात की जा रही है कि प्रधानमंत्री की सफेद दाढ़ी में रविंद्रनाथ टैगोर की छवि दिखती है.
कुछ लोगों का आरोप रहा है कि ऐसा वो भविष्य में होने वाले पश्चिम बंगाल के चुनावों को ध्यान में रखते हुए कर रहे हैं. पर शायद ऐसा नहीं है. उम्र के इस मोड़ पर प्रायः हर हिंदुस्तानी अध्यात्मिक हो जाता है. हालांकि प्रधानमंत्री इसके पहले भी कबीर दास, तुलसी दास ही नहीं देश के कई संतों की बातों को अपने भाषणों में उल्लेख करते रहे हैं.