दिल्ली में चिंताजनक हालात! सामने आए रिकॉर्ड मामले

पिछले 24 घंटे में 48 मरीजों की मौत भी हुई है हालांकि 3610 मरीज रिकवर भी हुए हैं। दिल्ली में अब तक कुल 4 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 3 लाख 60 हजार से ज्यादा रिकवर हुए हैं।

नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण एक बार फिर पैर पसारता नजर आ रहा है। दिल्ली शहर में प्रतिदिन मिलने वाले कोरोना मरीजों की संख्या में हो रहे इजाफे ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। पिछले 24 घंटे में दिल्ली में 6725 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। किसी भी दिन कोरोना मरीजों की संख्या में उछाल का ये आकंड़ा अब तक का सबसे बड़ा है।

राजधानी दिल्ली में पिछले एक-दो हफ्तों में कोरोना मरीजों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। सोमवार को दिल्ली में कल 4 हजार लोग कोरोना की चपेट में आए थे, आज ये संख्या पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 6,725 तक पहुंच गई है। पिछले 24 घंटे में 48 मरीजों की मौत भी हुई है हालांकि 3610 मरीज रिकवर भी हुए हैं। दिल्ली में अब तक कुल 4 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 3 लाख 60 हजार से ज्यादा रिकवर हुए हैं। फिलहाल आज का आंकड़ा बेहद डराने वाला और सचेत करने वाला है।

कोरोना संक्रमित लोगों के घर के बाहर पोस्टर नहीं लगा रहे है: आप सरकार

राष्ट्रीय राजधानी की आम आदमी पार्टी नीत सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उसने अपने अधिकारियों को कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के घर के बाहर या घर में पृथक-वास में रह रहे लोगों के आवास के बाहर पोस्टर नहीं लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ में जो पोस्टर लगाए गए थे, उन्हें भी हटाने का निर्देश दिया गया है। दिल्ली सरकार ने अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता सत्यकाम ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया है कि अधिकारियों को इस बात की भी इजाजत नहीं है कि वे कोविड-19 से संक्रमित मरीज का ब्यौरा उनके पड़ोसियों, निवास कल्याण संघों या व्हाट्सऐप समूहों में साझा करें।

सरकार की ओर दिए गए अभिवेदन के मद्देनजर न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने उस जनहित याचिका का निपटान कर दिया जिसमें कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के घर के बाहर या घर में पृथक-वास में रह रहे लोगों के आवास के बाहर पोस्टर लगाने के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने का आग्रह किया गया था। पीठ का नजरिया था कि दिल्ली सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बाद, वकील कुश कालरा की ओर से उल्लेखित मुद्दों का निरीक्षण करने की जरूरत नहीं है। कालरा ने याचिका में दलील दी थी कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों की जानकारी आरडब्ल्यूए के पास पहुंचने और व्हाट्सऐप पर प्रसारित होने से व्यक्ति के साथ नकारात्मक चीजें जुड़ जाती हैं और उसकी ओर गैर जरूरी ध्यान जाता है।

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