बिहार विधानसभा चुनाव: 6 लोकसभा चुनाव जीतने वाले नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के लिए सदैव चुना विधान परिषद का रास्ता

बिहार में विधानसभा चुनाव अपने आखिरी चरण में है। बिहार के मुख्यमंत्री एकबार फिर मुख्यमंत्री बनने की रेस में हैं, जो कि अपने राजनीतिक जीवन में लगातार छह लोकसभा चुनाव लड़े और जीते। हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए शुरू से ही विधान परिषद का रास्ता अपनाया। आपको बता दें कि बिहार उन छह भारतीय राज्यों में से है, जिनमें लोकसभा और संसद के राज्यसभा जैसे निचले और ऊपरी दोनों सदन हैं।

नीतीश कुमार ने 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव हरनौत निर्वाचन क्षेत्र से जनता दल के उम्मीदवार के रूप में लड़ा, लेकिन चुनाव हार गए। नौ साल के अंतराल के बाद उन्होंने 1985 में फिर से उसी सीट पर दांव आजमाया और जीत हासिल की।

नीतीश कुमार अकेले मुख्यमंत्री नहीं हैं जिन्होंने विधान परिषद का रास्ता चुना। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी अपने राज्यों के विधान परिषद के सदस्य हैं।

जेडीयू के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम नहीं सार्वजनिक करने की शर्त पर कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रमुख और राज्य सरकार के प्रमुख के रूप में अपनी बड़ी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए, नीतीश कुमार चुनाव लड़ने से दूर रहते हैं। उन्होंने कहा, “वह जेडीयू और बिहार सरकार का मुखिया हैं। चुनावों में उन्हें राज्य भर में प्रचार करना होता है। यदि वह किसी विशेष सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो उसे अपनी सीट पर अधिक समय बिताना होगा। पार्टी के बड़े लाभ के लिए, वह चुनाव लड़ने से परहेज करते हैं।”

उनकी पार्टी के सहयोगियों का तर्क है कि नीतीश कुमार के सार्वजनिक जीवन को इस तथ्य से रेखांकित किया जाता है कि उन्होंने  2005 में बिहार सरकार का नेतृत्व करने से पहले 1989 में (9 वीं लोकसभा) से 2004 (14 वीं लोकसभा) तक छह लोकसभा चुनाव जीते।

राष्ट्रीय स्तर पर राज्यसभा सांसद रहते हुए प्रधानमंत्री बनने वालों के भी कई उदाहरण हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा सदस्य थे (वे लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से हार गए थे), उनसे पहले इंद्र कुमार गुजराल भी उच्च सदन के ही सदस्य थे। इंदिरा गांधी भी जब पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं, तब वह भी राज्यसभा सदस्य थीं।

कई लोकसभा और विधानसभा सदस्यों ने दावा किया है कि निचले सदन के चुनाव राजनीतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे लोगों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। लेकिन समय के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि उच्च सदन के सदस्य ज्यादा राजनीतिक अधिकार और दबदबा रखते हैं। वर्तमान केंद्र सरकार में भी दो वरिष्ठ मंत्री निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर राज्यसभा के सदस्य हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *