रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा, यह भारत की संपत्ति लेकिन निजी निवेश का स्वागत होना चाहिए- पीयूष गोयल

पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में अगर हमें अत्याधुनिक स्टेशन बनाने हैं जो विश्वस्तरीय हो, तो उसके लिए लाखों करोड़ रुपए लगेंगे.

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में मंगलवार को कहा कि रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा. भारतीय रेल भारत की संपत्ति है और यह हमेशा भारत सरकार के तहत ही रहेगा. उन्होंने कहा कि रेलवे में सुधार के लिए निजी निवेश का स्वागत किया जाना चाहिए. उन्होंने पिछली सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि 2004-09 के बीच रेलवे में सिर्फ 1.25 लाख करोड़ यानी हर साल करीब 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ. वहीं 2009-14 के बीच औसतन 45 हजार करोड़ का निवेश हुआ. रेल मंत्री ने कहा कि सरकार रेलवे के विकास के लिए तेज गति से काम कर रही है.

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार के दौरान 2014-19 के बीच लगभग 5 लाख करोड़ रुपए यानी हर साल करीब 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ. 2019-20 में 1.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ.” पीयूष गोयल ने कहा, “हम पर रेलवे के निजीकरण का आरोप लगता है, लेकिन लोग कभी यह नहीं कहते हैं कि रोड पर सिर्फ सरकारी गाड़ियां चलनी चाहिए. रोड एक सुविधा है, इसलिए निजी और सरकारी गाड़ियां दोनों जितनी चलेगी, अर्थव्यवस्था में उतनी ज्यादा मदद मिलेगी. रेलवे में निजी निवेश का स्वागत करना चाहिए क्योंकि इससे सेवाओं में सुधार आएगा.”

पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में अगर हमें अत्याधुनिक स्टेशन बनाने हैं जो विश्वस्तरीय हो, तो उसके लिए लाखों करोड़ रुपए लगेंगे. उन्होंने कहा, “अमृतसर स्टेशन के लिए हम 230 करोड़ रुपए खर्च करेंगे. वहां कोई जाएगा, तो गर्व से भरा होगा. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए करीब 5000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण के लिए अगर निजी निवेश आता है तो यह देशहित और यात्रियों के हित में होगा.”

पीयूष गोयल ने कहा कि निजी क्षेत्र के बढ़ने से भारतीय उद्योग को ही बढ़ावा मिलेगा और यहां ही रोजगार के मौके बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि जब सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करेंगे तभी देश का भविष्य उज्जवल होगा. हमने 2030 तक के लिए एक रेल प्लान बनाया है. उन्होंने कहा, “एक साल के अंदर मालगाड़ियों में सुधार हुआ है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रेलवे को लगातार बेहतर बनाया जा रहा है.”

कोरोना में रेलवे ने अभूतपूर्व काम किया- पीयूष गोयल

रेल मंत्री ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान रेलवे ने अभूतपूर्व तरीके से लोगों की सहायता की. रेलवे ने देश के कोने-कोने तक कोयला, फर्टिलाइजर पहुंचाया और जरूरत के अन्य सामानों को पहुंचाया. उन्होंने कहा कि कोविड के समय भी देश में कहीं फर्टिलाइजर की कमी नहीं हुई, जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था को कृषि क्षेत्र ने बचाया. रेलवे के कर्मचारियों ने कोविड के दौरान साहसी काम किया.

लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के लॉकडाउन लगाने की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, “आप अंदाजा लगाइए कि अगर लॉकडाउन नहीं लगाया जाता तो ट्रेन के जरिए देश में किस तरह कोरोनावायरस फैलता.” उन्होंने कहा कि रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए 4,600 श्रमिक ट्रेनों का प्रबंध किया. साथ ही करीब 2 करोड़ मुफ्त भोजन और पानी के बोतल उपलब्ध कराए.

उन्होंने रेलवे के पांच प्वाइंट एजेंडा के तहत रेलवे में व्यापाक बदलाव के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा, “करीब 1000 रेलवे स्टेशन और 400 रेलवे बिल्डिंग में सोलर पैनल को लगाया गया है. 2030 तक भारत दुनिया का पहला देश होगा जो कार्बन उत्सर्जन के मामले में ‘नेट जीरो रेलवे’ होगा.”

ममता सरकार पर जमीन नहीं देने का आरोप

पीयूष गोयल ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में रेल परियोजना के लिए पैसे देने के बावजूद जमीन नहीं मिली. अब पैसे वापस लेने की कोशिश हो रही है. यह हर परियोजना के साथ हो रहा है. उन्होंने सदन को बताया कि 2009-10 और 2010-11 में पश्चिम बंगाल के लिए कई रेल परियोजनाओं की घोषणा की गईं, लेकिन उसको पूरा करने के लिए रेलवे को सहयोग नहीं मिल रहा है. रेल मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगर राज्य सरकारें सहयोग करें और जमीन समय पर मिल जाए तो परियोजनाओं को जल्द पूरा किया कर लिया जाए.

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