जेपी की जांच सवालों में

  • मां की मौत की जांच पर बेटी का सवाल, बोली इंसाफ कैसे मिल पाएगा, जिस अस्पताल पर आरोप उसके डॉक्टरों ने ही रिपोर्ट तैयार की
  • संतोष रजक की सितंबर 2020 में कोरोना से जयप्रकाश अस्पताल में हो गई थी मौत
  • प्रियंका ने मां की मौत की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं

जय प्रकाश अस्पताल में होम गार्ड पुष्पराज सिंह गौतम का शव मिलने के बाद व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे है। । इस बीच कोरोना के इलाज में लापरवाही से मौत होने की जांच पर ही एक बेटी ने सवाल खड़े किए है। कोलार निवासी प्रियंका की मां संतोष रजक की इलाज के दौरान सितंबर 2020 में कोरोना से JP अस्पताल में मौत हो गई थी। इसके बाद प्रियंका ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई थी। इसको लेकर प्रियंका का कहना है कि इंसाफ कैसे मिल पाएगा, जिस अस्पताल पर लापरवाही का आरोप है उन्हीं के बीच से डॉक्टर को जांच कमेटी में शामिल कर लिया गया। इसी का नतीजा है कि समिति ने अस्पताल प्रबधंन के पक्ष में रिपोर्ट बना कर दी है उसके आरोपों को लेकर जांच ही नहीं की। वह 6 महीने से न्याय के लिए भटक रही है, लेकिन उसे कहीं से मदद नहीं मिल पा रही।

यह हैं कमेटी के सदस्य

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रभाकर तिवारी की तरफ से गठित जांच कमेटी में सिविल अस्पताल बैरागढ़ के मेडिसीन विशेषज्ञ डॉ. एसके त्रिपाठी, जयप्रकाश चिकित्सालय भोपाल के पीजीएमओ निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. केएल कुकरेजा, सीएमओ कार्यालय के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके गिडवानी और प्रभारी शिकायत शाखा के डीके त्रिपाठी शामिल थे।

जांच के इन बिन्दुओं पर सवाल

पहला – डॉ.अनम जफर का बयान है कि मरीज की मृत्यु होने पर हमारे चतुर्थ श्रेणी के अधिकारी और बाई ने बॉडी को कवर कर बॉडी रखने बनाए कमरे में रखवाया।

आराेप- प्रियंका का कहना है कि उसने और उसके चाचा ने पीपीई किट पहनकर मां के शव को आईसीयू से बेड सहित निकाला। जिसका वीडियो भी सामने आया।

दूसरा – डॉ. रितुराज सैनी ने बयान दिया कि 24 सितंबर दोपहर 2 बजे मरीज की स्थिति गंभीर हो गई। ऑक्सीजन लेवल 60 से नीचे आ गया। परिजनों की सहमति से मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया।

आरोप- प्रियंका का कहना है कि उस समय मां से मेरी बात हुई थी। वह सामान्य थी। उनका ऑक्सीजन लेवल भी 90 से ऊपर था। जबकि मुझे मां से मिलने की अनुमति देने का दबाव बनाकर कागज पर हस्ताक्षर कराएं।

तीसरा – डॉ. सुशांत श्रीवास्तव का बयान है कि मरीज की स्थिति बिगड़ने पर परिजनों को जानकारी दी कि हमीदिया रैफर कर रहे हैं।

आरोप- प्रियंका का कहना है कि मेरी मां की तबीयत ज्यादा खराब नहीं थी। पिछले पांच दिनों से डॉक्टर खुद उनको डिस्टार्ज करने का कह रहे थे।

चौथा- आया हमीदा बी का बयान है कि सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक आईसीयू में ड्यूटी पर तैनात थी। और नर्स के निर्देश अनुसार काम कर रही थी।

आरोप- प्रियंका का कहना है कि मां के कपड़े बदलने या उनका चादर बदलने के लिए कहने पर आया मना कर देती थी। मैं स्वयं आईसीयू में जाकर दवा, खाना और सभी काम करती थी।

6 महीने से न्याय के लिए भटक रही पीड़ित
2012 में पिता भगवान दास रजक का हार्ट अटैक से निधन हो गया था। पिता को-ऑपरेटिव बैंक में भृत्य के पद पर कार्यरत थे। मां की भी सितंबर 2020 में कोरोना से मौत हो गई। चार बहन-भाइयों में दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है। अब एक बेटी प्रियंका और उसका भाई ही साथ रहते है। प्रियंका को अनुकंपा नियुक्ति में भी कठिनाइयाें का सामना करना पड़ रहा है। पीड़ित 6 महीने से न्याय के लिए भटक रही है।

यह भी आरोप
प्रियंका का आरोप है कि 14 शिकायतों को सीएम हेल्पलाइन पर बिना निराकरण के बंद करा दिया गया। जब सीएम हेल्पलाइन पर संपर्क किया तो बताया गया कि सीएमएचओ एल-1 अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारी से बात कर बंद कराया गया, जबकि नियमानुसार बिना शिकायकर्ता की संतुष्टि के शिकायत बंद नहीं की जा सकती।

कब क्या हुआ

  • 4 सितंबर 2020 को भोपाल के जयप्रकाश अस्पताल में संतोष रजक की मौत।
  • 25 सितंबर 2020 को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने पीड़ित से मुलाकात कर दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
  • 15 अक्टूबर 2020 को कलेक्टर को शिकायत। इस पर सीएमएचओ ने जांच समिति गठित कर दी।
  • 2 नवंबर 2020 को कमेटी ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी।
  • 14 दिसंबर 2020 को मानव अधिकार आयोग में प्रियंका ने शिकायत की।
  • 28 दिसंबर 2020 को जांच रिपोर्ट मानव अधिकार आयोग को भेजी गई।
  • 9 फरवरी 2021 को मानव अधिकार आयोग ने रिपोर्ट पर प्रियंका से प्रतिक्रिया मांगी।
  • 14 फरवरी 2021 को मानव अधिकार आयोग को प्रियंका ने अपनी 8 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी।

यह है मामला
प्रियंका रजक ने सितंबर 2020 में अपनी मां संतोष रजक की कोरोना इलाज में लापरवाही से मौत होने का आरोप लगाया गया था। इसका प्रियंका ने वीडियो बनाकर भी सोशल मीडिया पर वायरल किया था। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जेपी अस्पताल पहुंचकर युवती से मुलाकात की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया।

मुझे जांच रिपोर्ट ही नहीं दी

प्रियंका का कहना है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट सीएमएचओ कार्यालय से नहीं दी गई। मैंने कलेक्टर और सीएमएचओ कार्यालय से आरटीआई में आवेदन मांगा। इसका भी जवाब मुझे नहीं दिया गया। मैंने मानव अधिकार आयोग को शिकायत की। इसके बाद मुझे फरवरी 2021 में मानव अधिकार आयोग से रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया मांगने पर जांच रिपोर्ट मिली। मेरा सवाल यह है कि जब सबकुछ सही है तो मुझसे रिपोर्ट क्यों छिपाई जा रही।

जांच से संतुष्ट नहीं तो वरिष्ठ कार्यालय को लिखेंगे
इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि इस मामले में दो बार जांच हो गई है। इसके बावजूद भी पीड़ित जांच से संतुष्ठ नहीं है तो हम वरिष्ठ अधिकारियों को लिख देंगे।

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