कलेक्टोरेट से हॉस्पिटल के बीच रेमडेसिविर गायब

बेटा इंजेक्शन लेने आया, लिस्ट में पिता के नाम पर पहले ही जारी होना लिखा था; फर्श पर लेटकर हंगामा किया तब मिला इंजेक्शन

ग्वालियर में रेमडेसिविर की किल्लत के बीच उसकी कालाबाजारी भी बढ़ती जा रही है। कलेक्टोरेट से हॉस्पिटल के बीच इंजेक्शन गायब हो जा रहे हैं। अस्पताल में भर्ती कोविड पेशेंट का बेटा जब इंजेक्शन लेने कलेक्टोरेट पहुंचा, तो वहां लिस्ट लगी थी। इसमें इंजेक्शन मिलने वालों के नाम दर्ज थे। 13वें नंबर पर पिता के नाम पर भी इंजेक्शन मिलना लिखा था, लेकिन उसे इंजेक्शन मिला ही नहीं। इंजेक्शन न मिलने के कारण पेशेंट की हालत और भी खराब हो गई।

घटना 27 अप्रैल की है। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना था कि हॉस्पिटल को इंजेक्शन दे दिया गया है। हॉस्पिटल संचालक का कहना था कि उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला है। इस पर पेशेंट के अटेंडर ने हंगामा कर दिया। बेटा जमीन पर लेट गया। इसके बाद वहां पुलिस बुलानी पड़ी, तब जाकर उन्हें इंजेक्शन मिल सका, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हुआ कि जो इंजेक्शन उनके नाम से दिया जा चुका है, वह कहां गया?

ग्वालियर निवासी राजेश शर्मा के पिता बेदीराम शर्मा कोविड पेशेंट हैं। वह लाइफ केयर लाइफ केयर हॉस्पिटल में भर्ती हैं। डॉक्टर ने उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखा था। इस पर राजेश ने हॉस्पिटल से इंजेक्शन के लिए आवेदन लेकर कलेक्टोरेट पहुंचाया था। साथ ही, एक कॉपी लेकर वह खुद भी कलेक्टोरेट पहुंचे। इसके बाद भी उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला। 27 अप्रैल को जब राजेश कलेक्टोरेट में ड्रग इंस्पेक्टर के पास पहुंचे, तो वहां ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल नहीं मिले, लेकिन वहां एक लिस्ट चस्पा थी। लिस्ट में उनके नाम लिखे थे, जिनको एक दिन पहले ही रेमडेसिविर दिए गए हैं। इसमें उनका भी नाम था, लेकिन राजेश का कहना था कि उन्हें इंजेक्शन मिला ही नहीं। यही कारण था कि उनके पेशेंट की हालत बिगड़ी और वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ा।

3 घंटे तक परेशान हुए, तब मिले ड्रग इंस्पेक्टर

कलेक्टोरेट में 3 घंटे तक परेशान होने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर अन्य कमरे में चाय की चुस्की लेते मिले, जबकि परेशान लोग उनको आधा सैकड़ा से ज्यादा कॉल लगा चुके थे। राजेश की मदद के लिए उनके रिश्तेदार हिमांशु शर्मा वहां पहुंचे। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना था कि उन्होंने रिक्वॉयरमेंट के आधार लाइफ केयर हॉस्पिटल को इंजेक्शन दे दिया है, लेकिन हॉस्पिटल संचालक अतुल श्रीवास्तव का कहना था कि उनको इंजेक्शन नहीं मिला है। जब ड्रग इंस्पेक्टर से रजिस्टर दिखाने के लिए कहा कि उन्होंने किसे इंजेक्शन दिया है, तो वह बताने को तैयार नहीं हुए।

हंगामा किया तो मिल गया इंजेक्शन

जब पेशेंट के परिजन ने कलेक्टोरेट में हंगामा किया, तो ड्रग इंस्पेक्टर घबरा गए और पुलिस को बुला लिया। आनन-फानन में ड्रग इंस्पेक्टर ने राजेश शर्मा को उनके नाम का इंजेक्शन दिया, लेकिन उस सवाल का जवाब नहीं मिला कि एक दिन पहले किसे इंजेक्शन देकर बेदीराम शर्मा के नाम पर चढ़ा दिया गया था। यह पहला मौका नहीं है, इस तरह के मामले आए दिन हो रहे हैं

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