परिजनों पर भारी पड़ रही बच्चों की नादानी:मां ने दोबारा नूडल्स देने से मना किया तो बेटा भाग गया, 6 महीने में ऐसे 64 बच्चे छोड़ चुके हैं अपना घर
बच्चों की नादानी कभी-कभी परिजन को भारी पड़ जाती है। ऐसे ही एक मामले में एक किशोर घर से इसलिए भाग गया क्योंकि मां ने नूडल्ड मांगने पर दोबारा नहीं दिया। यह किशोर सागर से भोपाल पहुंचा था। रेलवे चाइल्ड लाइन ने रेस्क्यू करके काउंसलिंग की, तब मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद चाइल्ड लाइन ने परिजनों को बुलाया और उसको पिता को सौंप दिया।
रेलवे चाइल्ड लाइन को-ऑर्डिनेटर संजीव जोशी ने बताया कि सागर से भोपाल पहुंचे 14 वर्षीय किशोर ने काउंसलिंग में बताया कि मां उससे प्यार नहीं करती है। इसलिए वह घर नहीं जाना चाहता है। उसने भागने की वजह मां के द्वारा दोबारा नूडल्स न देना था। मां ने छोटी बहन के लिए नूडल्स बचाकर रखे थे जबकि वह सुबह खा चुकी थी। इस बात पर उसे गुस्सा आया और उसने घर छोड़ दिया।
काउंसलिंग के बाद परिजनों को सौंपे जा रहे बच्चे
भाई ने मोबाइल फोन छीन लिया तो घर से भागीं दो बहने
दो बहनें उत्तरप्रदेश से भागकर भोपाल पहुंची थी। वे केवल इस बात से नाराज थी क्योंकि मोबाइल पर बात करने पर भाई ने डांटा था। भाई ने दोनों बहनों से मोबाइल छीनकर रख लिया था। एक यात्री ने टीसी के आने पर दोनों बहनों को सहमा हुआ देखा और चाइल्ड लाइन के नंबर 1098 पर कॉल करके पूरी जानकारी दी।
सहेली के सामने पिता ने डांट दिया तो घर छोड़ दिया
होशंगाबाद की 11 वर्षीय किशोरी केवल इसलिए घर छोड़कर भोपाल पहुंची क्योंकि उसके पापा ने उसे सहेली के सामने डांट दिया। किशोरी ने काउंसलिंग में बताया कि वह स्कूल बंद होने के कारण अच्छा महसूस नहीं कर रही थी। सहेलियों से बात करने निकली तो डांट पड़ गई, जो उसे पसंद नहीं आया। रेलवे चाइल्ड लाइन ने कोरोना के बाद मार्च 2020 से अप्रैल 2021 तक घर से भागने वाले 74 नाबालिगों को रेस्क्यू कर उन्हें परिजनों को सौंपा है। भागने वालों में लड़कों की संख्या लड़कियों के मुकाबले काफी ज्यादा है।
बच्चों में कम हो रहा पेशेंस
जोशी ने बताया कि अभी तक हुई काउंसलिंग का विश्लेषण किया तो पाया कि कोरोना संक्रमण काल में घरों में बंद बच्चों का पेशेंस लेवल लगातार कम हो रहा है। बच्चे छोटी छोटी बातों में घर छोड़कर भाग जाते हैं। कई बच्चे अपनी नादानी की वजह से अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं।
हर साल घर छोड़कर निकल जाते हैं करीब 300 बच्चे
जोशी ने बताया कि हर साल 300 बच्चे घर छोड़कर निकलते हैं। लॉकडाउन, बच्चों के घरों के अंदर ही रहने और लंबे समय तक ट्रेन बंद होने जैसी परिस्थितियों के चलते यह आंकड़ा बहुत कम है। अक्टूबर 2020 में ट्रेनों की संख्या बढ़ते ही मार्च 2021 तक 64 बच्चे घर छोड़कर भोपाल पहुंचे।