BHU ने 1400 मरीजों पर किया आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल, शोधकर्ताओं का दावा- ‘मिले पॉजिटिव रिजल्ट’
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में कोरोना वायरस मरीजों के इलाज को लेकर आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल अब पूरा हो गया है. इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.
कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी से लड़ने के लिए BHU के आयुर्वेद संकाय में लगभग 1400 मरीजों और फ्रंट लाइन वर्कर्स पर आयुर्वेदिक दवाओं (Ayurvedic Medicine For Corona) का ट्रायल किया गया जो पूरा हो गया है. इस ट्रायल का रिजल्ट पॉजिटिव आया है, जिसे लेकर पूरी टीम बेहद उत्साहित है. शोध और ट्रायल को नई दिशा देकर परिणाम तक पहुंचाने के साथ फार्मूला और दवाओ के पेटेंट के लिए इस शोध को करने वाली टीम को आर्थिक मदद की आवश्यकता है.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में कोरोना वायरस मरीजों के इलाज को लेकर आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल अब पूरा हो गया है. अस्पतालों में भर्ती 160 मरीजों और होम आइसोलेशन में रहने वाले करीब 1200 संक्रमित मरीजों, उनके परिजनों को पहली और दूसरी लहर में दवा दी गई. दवा से रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और ऑक्सीजन सैचुरेशन भी सही रहा. परिणाम के बाद शोध में लगी टीम ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इसे नियमानुसार अन्य मरीजों के लिए शुरू करने की मांग की है. रेड क्रॉस सोसाइटी और जिला प्रशासन के सहयोग से कोरोना की पहली लहर के समय शोध के दौरान कोरोना संक्रमित मरीजों और उनके परिजनों को सुंठी चूर्ण सहित अन्य आयुर्वेदिक औषधियां दी गई थीं. उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.
अंतरराष्ट्रीय जनरल्स में पब्लिश कराने की चल रही कवायद
बीएचयू आयुर्वेद विभाग के वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कि अजीत प्रसाद महापात्रा के नेतृत्व में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर आर.एन. चौरसिया, ईएनटी के डॉक्टर विशंभर एवं IIT-BHU के डॉक्टर सुशील मिश्र की टीम अगस्त 2020 से इस विषय पर शोध कर रही थी. कोरोना पर किया जा रहा शोध अब पूरा हो गया है, लेकिन मामला आयुर्वेद से सम्बंधित है इस कारण विश्व पटल पर प्रकाशन आवश्यक है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय जनरल्स में रिपोर्ट प्रकाशित कराने की तैयारी चल रही है. बीएचयू में आयुर्वेदिक दवाओं का मरीजों पर शोध पूरा होने के बाद से इसके सकारात्मक परिणाम से देश को रूबरू कराना है.
‘फंड की जरूरत’
कोरोना के पहली लहर के समय से ही किये जा रहे इस शोध टीम में अहम भूमिका निभाने वाले बीएचयू न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एण्ड हेड डाक्टर रामेश्वर नाथ चौरसिया ने बताया कि कोविड के मरीजों में साईकोकाईनस्टॉन्ग नामक एक रिएक्शन होता है, जो शरीर का रिएक्शन होता है, जिसमें बहुत सारे केमिकल शरीर में रिलीज होते हैं. इसके कारण मरीज की स्थिति और बिगड़ जाती है. निमोनिया लंग्स में इतना ज्यादा फ़ैल जाता है कि साँस लेने में दिक्कत होने लगती है. इस हालात को देखते हुए बीएचयू आयुर्वेद विभाग, मार्डन मेडिसिन, न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, आईटी, बॉयो इन्फर्मेटिव के सीनियर प्रोफेसरों की एक टीम ने शोध और ट्रॉयल प्रारम्भ किया, जिसके आज सार्थक परिणाम आये हैं. फंड की आवश्यकता है, इस परिणाम को बड़े ही सिस्टमेटिक ढंग से दुनिया के सामने लाने की जरूरत है.