ममता के समर्थन में शिवसेना ने कहा- मोदी और शाह जब तक, अंत नहीं संघर्ष का तब तक

संजय राउत ने कहा- ताउते तूफान से गुजरात में नुकसान हुआ है तो महाराष्ट्र और गोवा में भी हुआ है. प्रधानमंत्री गुजरात का हवाई दौरा कर रहे हैं, इस पर हम टीका-टिप्पणी नहीं करेंगे. इतना जरूर कहेंगे कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार एक मज़बूत सरकार है और अपने दम पर हर संकट का सामना करने में सक्षम है.

शिवसेना के मुखपत्र सामना (Saamna Editorial) में संजय राउत (Sanjya Raut) ने बंगाल में चल रही सीबीआई की कार्रवाई और राज्यपाल इसमें भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के नेतृत्व के तरीके और रवैये पर सवाल उठाया है और मोदी-शाह और ममदा दीदी के बीच के संघर्ष की तुलना इजरायल और गाजा पट्टी के संघर्ष से की है. सामना में लिखा है कि मोदी-शाह की जोड़ी ने लगता है कि पश्चिम बंगाल की पराजय को कुछ ज्यादा ही दिल से ले लिया है. इसीलिए केंद्र सरकार ने सीबीआई को एक महिला मुख्यमंत्री को परेशान करने के लिए और काम ना करने देने के लिए लगाया गया है. सामना में यह भी लिखा गया है कि कि यह संघर्ष तब तक चलेगा जब तक मोदी-शाह सत्ता में रहेंगे.

आज के सामना पर लिखे इस संपादकीय पर बात करेंगे लेकिन उससे पहले हम यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ताउते तूफान से हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए गुजरात का हवाई दौरा कर रहे हैं. इस पर संजय राउत ने पत्रकारों से बात चीत करते हुए कहा कि ताउते तूफान से गुजरात में नुकसान हुआ है तो महाराष्ट्र और गोवा में भी हुआ है. प्रधानमंत्री गुजरात का हवाई दौरा कर रहे हैं, इस पर हम टीका-टिप्पणी नहीं करेंगे. इतना जरूर कहेंगे कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार एक मज़बूत सरकार है और अपने दम पर हर संकट का सामना करने में सक्षम है.

ममता बनाम सीबीआई,  शिवसेना कूद कर आई

आज के सामना में शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत लिखते हैं कि प. बंगाल के चुनाव खत्म होने पर वहां शांति आएगी तब कुछ सामान्य होगा, ऐसा लगता था. परंतु ऐसा नहीं है. चुनाव में दयनीय पराजय हुई, परंतु भारतीय जनता पार्टी पराजय स्वीकार करने को तैयार नहीं है तथा केंद्रीय जांच एजेंसियों के मार्फत ममता बनर्जी पर हमले जारी ही रखे हुए है. इस पूरे झगड़े में प्रधानमंत्री मोदी का नाम खराब हो रहा है. सोमवार को कोलकाता में जो हुआ, वह देश की प्रतिष्ठा को शोभा नहीं देता है.

इसके बाद नारदा स्टिंग प्रकरण के मामले पर संजय राउत लिखते हैं कि वर्ष 2014 के नारदा स्टिंग प्रकरण में सीबीआई ने प. बंगाल के वर्तमान मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी तथा पूर्व मंत्री सोवन चटर्जी सहित विधायक मदन मित्रा आदि चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया. ये चारों सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं. नारदा स्टिंग प्रकरण में राजनीतिज्ञों का पैसे लेते हुए भ्रष्टाचार कैमरे में कैद हुआ था. यह गंभीर है, परंतु हैरानी की बात ये है कि भ्रष्टाचार के और दो आरोपी सुवेंदु अधिकारी व मुकुल राय फिलहाल भाजपा में चले गए हैं. ‘मैंने सुवेंदु अधिकारी को भी पैसे दिए और यह कैमरे में कैद है, पर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?’ यह सवाल अब जिस नारदा न्यूज ने स्टिंग ऑपरेशन किया था, उसके संपादक ने पूछा है. जिन्होंने भाजपा में प्रवेश करके ममता के खिलाफ चुनाव लड़ा, वे सभी ‘नारदा’ भ्रष्टाचार में शामिल होने के बाद भी शुद्ध हो गए. इसीलिए सीबीआई की कार्रवाई राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है, ऐसा कहने में हर्ज नहीं है.

‘ममता दीदी पर अत्याचार के लिए राजभवन का इस्तेमाल’

आगे इस संपादकीय में संजय राउत ने राज्यपाल की भूमिका पर सीधे-सीधे सवाल उठाया है. उन्होंने लिखा है कि ममता बनर्जी पर राजनीतिक अत्याचार करना है और इसके लिए राजभवन में बैठाए गए जगदीश धनकड़ का बेरहमी से इस्तेमाल करना है, यह योजना तय लगती है. जिन दो मंत्रियों व दो विधायकों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है, वे विधानसभा के सदस्य हैं. उन्हें गिरफ्तार करने के लिए विधानसभा के अध्यक्ष की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है. वैसी कोई अनुमति नहीं ली गई. परंतु धनकड़ कहते हैं, ‘सीबीआई को विधायकों के गिरफ्तारी की अनुमति उन्होंने दी है.’

‘राष्ट्रीय महिला आयोग इस महिला उत्पीड़न को गंभीरता से ले’

राज्यपाल की इस भूमिका पर टिप्पणी करते हुए सामना संपादकीय में लिखा गया है कि राज्यपाल का बर्ताव संविधान से परे है. ऐसे राज्यपाल को गृह मंत्रालय द्वारा तुरंत वापस बुला लिया जाना चाहिए. धनकड़ का राजनीतिक व सामाजिक जीवन बहुत ज्यादा उज्ज्वल कभी भी नहीं था. उन्होंने राजनीति में कोई बहुत बड़ा कार्य किया, ऐसा भी नहीं है इसलिए केंद्र ने एक महिला मुख्यमंत्री को प्रताड़ित करके दिखाओ, ऐसी विशेष जिम्मेदारी दी गई होगी, तो राष्ट्रीय महिला आयोग को इस महिला पर अत्याचार को भी गंभीरता से लेना चाहिए.

‘ममता दीदी और सीबीआई, 6 घंटे तक चली लड़ाई’

आक्रामक स्वभाग के कारण ममता दीदी सड़क पर उतरेंगी, यह भाजपा की केंद्रीय जांच एजेंसी को लगा होगा और ठीक वैसा ही हुआ. हजारों समर्थकों के साथ ममता सड़क पर उतरीं और मार्च निकालकर सीबीआई कार्यालय तक पहुंच गईं. मुख्यमंत्री बनर्जी लगभग 6 घंटे सीबीआई कार्यालय में ताल ठोंककर बैठी रहीं. ‘मैं यहां से जाऊं, ऐसा लगता होगा तो आपको मुझे गिरफ्तार करना होगा.’ ऐसा उन्होंने सीबीआई से कहा. इन सबसे कोलकाता का माहौल तनावपूर्ण हो गया. शायद राज्यपाल धनकड़ यही चाहते होंगे इसीलिए केंद्र की ‘मन की बात’ को ही वे आगे बढ़ा रहे हैं. सीबीआई द्वारा अचानक शुरू की गई कार्रवाई ममता बनर्जी के खिलाफ शुरू किया गया राजनैतिक युद्ध है, ऐसा यशवंत सिन्हा ने कहा है.

‘ममता और केंद्र की हुज्जत, जैसे इजरायल-गाजा संघर्ष’

इसके बाद संपादकीय के समापन में केंद्र और ममता दीदी के बीच चल रहे संघर्ष को इजरायल-गाजा संघर्ष से जोड़ कर देखा गया है. संजय राउत कहते है कि हमने प्रारंभ में ही जैसे कहा था कि प. बंगाल में राजनीतिक संघर्ष इजराइल-गाजा संघर्ष जितना ही तीव्र है. केंद्र बनाम राज्य संघर्ष का यह अंतिम चरण है. प. बंगाल में ममता बनर्जी की जीत पर मोदी-शाह को इतना नाराज होने की जरूरत नहीं थी. परंतु वर्तमान नए दौर में प्रत्येक जीत-हार को व्यक्तिगत तौर पर लिया जाता है. इसलिए विजयी ममता को हतोत्साहित करके झुकाना ही है, ऐसा केंद्र ने तय किया होगा तो ऐसा करके वे लोकतांत्रिक परंपरा को नष्ट कर रहे हैं. परंतु कहे कौन? यह ऐसे ही चलता रहेगा.

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